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पाइअसद्दमहण्णवो
कोणाली-कोल
कोणाली स्त्री [दे] गोष्ठी, गोठ (बृह १)। कोध पुं [कोध] इस नाम का एक राजा, कोयव वि [कौयव] 'कोयव देश में निष्पन्न कोणिअ । [कोणिक राजा श्रेणिक का जिसने दाशरथि भरत के साथ जैन दीक्षा ली (पाचा २, ५, १, ५) । देखो कोयवग। कोणिग पुत्र, नृप-विशेष (अंतः गाया १, थी (पउम ८५, ४)।
कोयवग । पुं[दे] रूई से भरे हुए कपड़े १; महाः उव)।
कोप्प देखो कुप्प = कुप । कोप्पड (नाट)। कोयवय ) का बना हुमा प्रावरण-विशेष, कोणु स्त्री [दे] लेखा, लकीर, रेखा (दे २,२६)। कोप्प पुंदे] अपराध, गुनाह (दे २, ४५) ।
| रजाई (गाया १,१७-पत्र २२६)। कोणेट्टिया स्त्री [दे] गुज्जा, गु० 'चरणोठी' कोप्प वि [कोप्य ] द्वेष्य, अप्रीतिकरः कोयवी स्त्री [दे] रूई से भरा हुआ कपड़ा ( अनु० वृ० हारि० पत्र० ७६) देखो, । 'प्रकोप्पजंघजुगला' (पएह १, ३)। (बृह ३)। चणोदिया।
कोप्पर पू[कर्प]१ हाथ का मध्य भाग कोरंग पुं [कोरङ्क] पक्षि-विशेष (पएह १, कोण्ण पुं [दे. कोण] गृह-कोण, घर का (ोघ २६६ भा; कुमाः हे १, १२४) । २ १-पत्र ८)।
नदी का किनारा, तट, तीर (ोघ ३०)।
। एक भाग, कोना (दे २, ४५)।
कोरंट ) पुं[कोरण्ट, क] १ वृक्ष-विशेष
कोरंटग कोबेरी स्त्री [कौबेरी] विद्या-विशेष (पउम कोतव न [कौतव] मूषक के रोम से निष्पन्न
(पाप)। २ न. इस नाम का
भृगुकच्छ (भडौंच) शहर का एक उपवन सूता (राज)।
७, १४२)।
कोभग । कोतुहल देखो कुऊहल (काल)।
(वव १) । ३ कोरण्टक वृक्ष का पुष्प (पएह कोभक पक्षि-विशेष (अंतः कोभगक प्रौप)।
१, ४; जं १)। कोत्तलंका स्त्री [दे] दारू परोसने का भाण्ड,
कोमल वि [कोमल] मृदु, सुकुमार (जी १०; कारअ (शा) देखा कउरव (प्राकृ ८४) । पात्र-विशेष (२. १४)।
पास कप्पू)।
| कोरय। पुन [कोरक] फलोत्पादक मुकुल, कोत्तिअ वि [कौतुकिक] कौतूकी, कुतूहली कोमार वि [कौमार] १ कुमार से संबन्ध कोरव ) फल की कलो (पान); 'चत्तारि (गा ६७२)।
रखनेवाला, कुमार-संबन्धी (विपा १, ७१)। कोरवा पन्नत्ता' (ठा ४, १-पत्र १८५)। कोत्तिअ पुं[कोत्रिक] १ भूमि-शयन करने
२ कुमारी-संबन्धी (पान) । ३ कुमारी में कोरव देखो कउरव (सम्मत्त १७६) । वाला वानप्रस्थ (प्रौप)। २ न. एक प्रकार उत्पन्न (दे १, ८१)। स्त्री. रिया, "री कोरविआ स्त्री [कौरव्या] देखो कोरव्वीया का मधु (ठा ६)।
(भग १५)। 'भिच न [ भृत्यवैद्यक (अणु १३०)। कोत्थ देखो कोच्छ = कौक्ष ।
शास्त्र-विशेष, जिसमें बालकों के स्तन पान- कोरव्व पुंस्त्री [कौरव्य] १ कुरु-वंश में उत्पन्न कोत्थर न [दे] १ विज्ञान (दे २, १३)। २ संबन्धी वर्णन है (विपा १, ७-पत्र ७५)। (सम १५२; ठा ६)। २ कौरव्य-गोत्रीय ।
कोटर, गह्वर (सुपा २४७; निचू १५)। कोमारी स्त्री [कौमारी] विद्या-विशेष (पउम ३ पुं. आठवाँ चक्रवर्ती राजा ब्रह्मदत्त (जीव कोत्थल पुं [दे] १ कुशूल, कोष्ठ (दे २,
७,१३७)। ४८)। २ कोथली, थैला (स १६२)। कोमुइया स्त्री [कौमुदिका] श्रीकृष्ण वासुदेव कोरब्बीया स्त्री [कौरवीया] इस नाम की कारा स्त्री [कारी] भौंरी, कीट-विशेष की एक भेरी, जो उत्सव की सूचना के समय षड्ज ग्राम की एक मूर्च्छना (ठा ७)। (बृह १)। बजाई जाती थी (विसे १४७६)।
कोरिंट । देखो कोरंट (णाया १.१कोत्धुभ । पुं[कौस्तुभ] वासुदेव के वक्षः कोमुई स्त्री [दे] पूणिमा, कोई भी पूणिमा
कोरिंदय पत्र १६; कप्प; पउम ४२, ८; कोत्थह स्थल की मरिण (ती १०० प्राप (दे २,४८)।
कोरेंट ) प्रौपः उवा)। कोथुभ | महा: गा १५१ः परह १, ४)।
कोमुई स्त्री [कौमुदी] १ शरद् ऋत की कोल पुंदे] ग्रीवा, नोक, गला (दे २, ४५)। कोदंड पुं [कोदण्ड] धनुष, धनु, कार्मुक,
पूर्णिमा (दे २, ४८)। २ चन्द्रिका, चाँदनी कोल पुं [क्रोड] १ सूअर, वराह (पएह १, चाप (अंत १६)।
(प्रौप; धम्म ११ टी)। ३ इस नाम की एक १-पत्र ७; स १११)। २ उत्सङ्ग, गोदा कोदंडिम देखो कु-दंडिम (जं ३ कप्प)।
नगरी (पउम ३६, १००)। ४ कात्तिक की 'कोलीकय-' (गउड)। कोदंडिय
पूर्णिमा (राय) । 'नाह पुं["नाथ चन्द्रमा, कोल पुं[कोल] १ देश-विशेष (पउम ९८, कोदूसग देखो कोडूसग (भग ६, ७)।
चाँद (धम्म ११ टी)। महूसव पुं["महो- ६६) । २ घुण, काष्ठ-कीट (सम ३६) । ३ कोदव गेखो कुद्दव (भवि)।
त्सव] उत्सव-विशेष (पि ३६६) । शूकर, वराह, सूअर (उप ३२० टी; णाया कोहविया स्त्री [दे] मातृवाहा, क्षुद्र कीट- कोमुदिया देखो कोमुइया (णाया १, ५- १, १, कुमाः पान)। ४ मूषिक के आकार विशेष (सुख १८, ३५)। पत्र १००)।
का एक जन्तु (पएह १, १-पत्र ७)। ५ कोदाल देखो कुद्दाल (पएह १, १-पत्र कोमुदी देखो कोमुई = कौमुदी (णाया १, अस्त्र-विशेष (धम्म ५)। ६ मनुष्य की एक २३)।
नीच जाति (प्राचू ४)। ७ बदरी-वृक्ष, बेर कोहालिया स्त्री [कुद्दालिका] छोटा कुदार, | कोयव वि [कौतव] चूहे के रोमों से बना का गाछ । ८ न. बदरी-फल, बेर (दस ५,. कुदारी (विपा १, ३)। हुआ (वस्त्र) (अणु ३४)।
१; भग ६, १०)। पाग न [पाक नगर--
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