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जण्हली-जमलोइय
पाइअसद्दमहण्णवो
जण्हली श्री [दे] नीवी, नारा, इजारबन्द | जन्न देखो जण्ण (पराह १, २, ४ पउम ऐरवत वर्ष के एक भावी जिन-देव (पब ७)।। (दे ३, ४०)।
'पुरी स्त्री [पुरी] जम की नगरी, मौत का जण्हवी स्त्री [जाह्नवी] १ सगर चक्रवर्ती जन्न वि [जन्य] १ जन-हित, लोक-हितकर स्थानः 'को जमपुरीसमाणे समसाणे एवकी एक पत्नी, भगीरथ की जननी (पउम (सूम २, ६, २)। २ उत्पन्न होने योग्य मुल्लवइ? (सुपा ४६२)। पभ [प्रभ] ५, २०१)। २ गङ्गा-नदी, भागीरथी (पउम (धर्मसं २८०) ।
यमदेव का उत्पात-पर्वत, पर्वत-विशेष (ठा ४१, ५१ कुमा)।
जन्नत्ता। स्त्री [दे] बरात, गुजराती में 'जान' १०)1 °भड पुं[भट] यमराज का सुभट जण्हु पुं[जह्न ] भरत-वंशीय एक राजा जन्ना (सुपा ३६६% उप ७६८ टी)। (महा)। मंदिर न [ मन्दिर] यमराज का (प्राप्र; हे २, ७५)। 'सुआ स्त्री [सुता]
जन्नसेणी देखो जण्णसेणी (पार्थ ४) । धर, मृत्यु-स्थान (महा)। लय न [लय] गङ्गा-नदी, भागीरथी (पान)।
जन्नु देखो जाणु (पउम ६८, १०)। पूर्वोक्त ही अर्थ (पउम ४५, १०)। जण्हआ स्त्री [दे] जान. घुटना (पाप)। जन्नोवइय देखो जण्णोवईय (सुख २,१३)। जमग [यमका १ पक्षि-विशेष। देवजण्हुकन्ना स्त्री [जह कन्या गंगा-नदी | जनोवर्दय देखो जण्णोवईय (गाया १, विशेष (जीव ३)। ३ पर्वत-विशेष (जीव ३; १६--पत्र २१३)।
सम ११४इक)। ४ द्रह-विशेष, दह, झील जत्त देखो जय = यत् । भवि. जत्तिहामि जन्हवी देखो जण्हवी (ठा, ६)। (जीव ३; इक)। देखो जमय । - (निर १,१)। जप देखो जव = जप् (षड्)।
जमगं [दे एक साथ, एक ही जत्त पुं[यत्न] उद्योग, उद्यम, चेष्टा (उप | जपिर विजिपिता जाप करनेवाला (षड)जमगसमगं समय में, युगपत् (धम्म ११ जप्प देखो जंप। जप्पइ ( षड्)। जप्पंति
टी रणाया १, ४, प्रौप; विपा १, १)। जत्ता स्त्री [यात्रा] १ देशान्तर-गमन, देशाटन (पि २६६)।
जमणिया स्त्री [जमनिका] जैन साधु का (ठा ४, १; औप) । २ गमन, गतिः 'जत्तत्ति | जप्प पुं [जल्प] १ उक्ति, कथन । २ छल उपकरण-विशेष (राज)। होइ गमणं' (पंचभाः प्रौप)। ३ देव-पूजा के का उपालम्भ रूप भाषण (राज)।
जमदग्गि पुं [जमदग्नि] तापस-विशेष, इस निमित्ति किया जाता उत्सव-विशेष, अष्टाहिका, | जप्प वि [याप्य] गमन कराने योग्य । नाम का एक संन्यासी, परशुराम का पिता रथ-यात्रा आदिः 'हुँ नायं पारद्धा सिद्धाययणेसु | जाण न [°यान] वाहन-विशेष, शिविका (पि २३७)। जत्तानो (सुर ३, ३८)। ४ तीर्थ-गमन, (दे ६, १२२)।
जमदग्गिजडा स्त्री [यमदग्निजटा] गन्धतोर्थ-भ्रमण (धर्म २)। ५ शुभ-प्रवृत्ति (भग | जप्पभिइ प्रयत्प्रभृति जब से, जहाँ से | द्रव्य-विशेष, सुगन्धबाला (उत्तनि ३)। १८, १०)।
जप्पभि लेकर (गाया १, १ कप्प) जमय देखो जमग ५ न. अलंकार-शास्त्र में जत्ता स्त्री [ यात्रा] संयम-निर्वाह (उत्त | जप्पिअ वि [जल्पित] १ उक्त, कथित प्रसिद्ध अनुप्रास-विशेष । ६ छन्द-विशेष (पिंग)।
(प्राप)। २ न. उक्ति, वचन (अच्चु २) । जमल न [यमल] १ जोड़ा, युग्म, युगल जत्ति स्त्री [दे] १ चिन्ता । २ सेवा, सुश्रूषाः |जम सक [यमय ] १ काबू में रखना, (णाया १,१, हे २,१७३ से ५, ५६)। 'प्रजाणणाए तज्जत्ती न कया तम्मि केणवि' नियन्त्रण करना । २ जमाना, स्थिर करना । २ समान श्रेरिण में स्थित, तुल्य पंक्तिवाला (श्रा २८)।
जमेइ (से १०, ७०)। संकृ. जमइत्ता (राय)। ३ सहवर्ती, सहचारी (भग १५)। जत्तिअ देखो यत्तिअ (उवा २० टि)। (प्रौप)।
४ समान, तुल्य (रायः प्रौप) 1 °ज्जुणभंजा जत्तिय वि[यावत् ] जितना (प्रासू १५६;
जम पुं [यम १ अहिंसादि पाँच महाव्रत, पु र्जुनभञ्जक] श्रीकृष्ण वासुदेव (पराह
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साधु का व्रत (गाया १, ५, ठा २, ३)। प्रावम)।
१, ४)1 पद, पय न [पद] १ प्रायजत्तो देखो जओ (हे २, १६०)।
२ दक्षिण दिशा का एक लोकपाल, देव- श्चित्त-विशेष (निचू १)। २ आठ अंकों की जत्थ अ [यत्र जहाँ, जिसमें (हे २, १६१;
विशेष, जम-देवता, जमराज (पराह १,१ संख्या (पएण १२) । पाणि पु पाणि] प्रासू ७६)!
पाप हे १, २४५)। ३ भरणी नक्षत्र का मुष्टि, मुट्ठी (भग १६, ३)। जदि देखो जइ= यदि (निचू २)।
अधिपति देव (सुज्ज १०)। ४ किष्किन्धा जमलिय वि [यमलित] १ युग्म रूप से
नगरी का एक राजा (पउम ७, ४६)। ५ स्थित (राय)। २ सम-श्रेणि रूप से अवस्थित जदिच्छा देखो जइच्छा (बृह ३; मा १२)।
तापस-विशेष (आवम)। ६ मृत्यु, मौत (प्राव (णाया १, १, प्रौप)। जदु देखो जउ = यदु (कुमा: ठा८)। ४; महा)। ७ संयमन, नियन्त्रण (भावम)। जमलोइय वि [यमलौकिक] १ यमलोकजद्दर पुन [दे] वस्त्र-विशेष (सम्मत्त २१८ काइय पुं[कायिक असुर-विशेष, परमा- सम्बन्धी, यमलोक से सम्बन्ध रखनेवाला। २१६)।
धार्मिक देव, जो नारकी के जीवों को दुःख २ परमाधार्मिक देव, असुरों की एक जाति जधा देखो जहा (ठा २, ३, ३; १) । देते हैं (पएह १, १)। 'घोस पुं[ घोष] | (सूत्र १, १२) ।
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