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पाइअसद्दमहण्णवो
पट्टइल-पड
पट्टा, चकनामा, किसी प्रकार का अधिकार. पद्रिस दे. पट्रिश] प्रहरण-विशेष, एक पट्ठविअ वि [प्रस्थापित भेजा हुमा (पामा पत्र (कुप्र ११; जं३)। ६ रेशम । ७ पाट, प्रकार का हथियार (पराह १, १; पउम ८, कुमा)। २ प्रवत्तित (निचू २०)। ३ स्थिर सन (गा ५२०; कप्पू)। ८ रेशमी कपड़ा। ४५)।
किया हुअा (भग १२, ४)। ४ प्रकर्ष से ६ सन का कपड़ा (कप्प, औप) । १० पट्टी स्त्री [पट्टी] १ धनुर्यष्टि । २ हस्तपट्टिका, स्थापित, व्यवस्थापित (पएण २१)। सिंहासन, गद्दी, पाट (कुप्र २८ सुपा २८५)। हाथ पर की पट्टी 'उप्पीडियस रासरणपट्टिए' पद्रविइया। स्त्री [प्रस्थापिता] प्रायश्चित१२ कलाबत्तू (राज) । १३ पट्टी, फोड़ा (विपा १, १-पत्र २४) ।
पट्टविया । विशेष, अनेक प्रायश्चित्तों में आदि पर बांधा जाता लम्बा वस्त्रांश, पट टअ पंन देखो पट ट्या: 'पटुएहि
पट टयाः पटटा
जिसका पहले प्रारम्भ
जिसका पहले प्रारम्भ किया जाय वह (ठा पाटाः 'चउरंगुलपमारणपट्टबंवेण सिरिवच्छालं
: ५, २; निचू २०)। कियं छाइयं वच्छत्थलं' (महा, विपा १, १)।
। पट् टुया स्त्री [दे] पाद-प्रहार, लात; गुजराती पट्टाअ देखो पट्ठाव। वकृ. पट्टाएंत (गा १३ शाक-विशेष (सुज्ज २०) । इल्ल पुं
२03 में 'पाटू: 'सिरिवच्छो गोरोणं तहाहनो ४४०)। [47] पटेल, गाँव का मुखिया (जं ३)।
- पट्टयाए हिययम्मि' (सुपा २३७)। देखो पट्ठाण न [प्रस्थान] प्रयाण (सुपा १४२) । उडी स्त्री कुटी] तंबू, वस्त्र-गृह (सुर १३, । पड्डुआ।
पट्ठाव देखो पटुव । पट्ठावइ (हे ४, ३७)। १५७) । करि पृ [ करिन] प्रधान हस्ती ।
, पट् टुहिअ न [दे] कलुषित जल, गंदा जल; पट्ठावेइ (पि ५५३) । (सुपा ३७३) । कार पुं[कार] तन्तुवाय, .
. "प टुहियं जाण कलुसजतं' (पान)। पट्टाविअ देखो पटुविअ (हे ४, १६; कुमा; वस्त्र बुननेवाला, जुलाहा (पएरण १)। वासिआ स्त्री [वासिता] एक शिरो-भूषण (दे ४,
पट्ट वि [प्रष्ट] १ अग्रगामी, अग्रसर, अगुवा पि ३०६)। ४३) । °साला स्त्री [शाला] उपाश्रय, जैन
(णाया १, १ ----पत्र १६)। २ कृशल, निपुण। पट्टि स्त्री देखो पट्ट = पृष्ठ (गउड सण)। मंस मुनि के रहने का स्थान (सुपा २८५)। सुत्त ३ प्रधान, मुखिया (प्रौप; राज)।
न [मांस] पीठ का मांस (पएह १, २)। न [ सूत्रा रेशमी सूता (पावम)। हस्थि पट्ट वि [स्पृष्ट] जिसका स्पर्श किया गया हो पट्रिअ वि [प्रस्थित] जिसने प्रस्थान किया पुं [हस्तिन्] प्रधान हाथी (सुपा ३७२)। वह (प्रौप)।
। हो वह, प्रयात (दे ४, १६; मोघ ८१ भा; पट्टइल ।
सुपा ७८)। [दे] पटेल, गाँव का मुखिया
पट्ट न [पृष्ट] १ पीठ, शरीर के पीछे का पट्टइल्ल (सुपा २७३, ३६१)।
" भाग (णाया १, ६ कुमा)। २ तल, ऊपर पट्ठिअ वि [दे] अलंकृत, विभूषित (षड् )। पटुंसुअ न [पट्टांशुक] १ रेशमी वस्त्र । २ ।
: का भागः 'तलिमं पट्ठ' च तल' (पान)। पट्टिउकाम वि [प्रस्थातुकाम] प्रयाण का सन का वस्त्र (गा ५२०; कप्पू)।
"चर वि [चर] अनुयायी, अनुगामी (कुमा)। इच्छुक (था १४)। पट्टग देखो पट्ट (कस)।
पट्ट वि [पृष्ट] १ जिसको पूछा गया हो पट्ठिसंग न [दे] ककुद, बैल के कंधे पर पट्टण न [पत्तन नगर, शहर (भग; औप; वह । २ न. प्रश्न, सवाल, 'छबिहे पठे
___ का कूबड़, डिल्ला (दे ६, २३) । प्राप्रः कुमा)। पएणत्ते' (ठा ६-पत्र ३७५)।
पट्ठी देखो पट्टि (महाः काल)। पट्टदेवी स्त्री [पट्टदेवी] पटरानी (सिरि पट्ठव सक [प्र+ स्थापय ] १ प्रस्थान
पट्टीवंस पु[पृष्ठवंश घर के मूल दो खंभों
। पर तिरछा रखा जाता बड़ा खम्भा (पव १२१२)।
कराना, भेजना। २ प्रवृत्ति कराना। ३ पट्टय देखो पट्ट (उवाः पाया १, १६)।
१३३)। प्रारम्भ करना। ४ प्रकर्ष से स्थापना करना।।
पठ देखो पढ़। पठदि (शौ) (नाट-मृच्छ पट्टसुत्त न पिसूत्र] रेशमी वस्त्र (धर्मवि ५ प्रायश्चित्त देना । पटुवइ (हे ४, ३७)।
१४०)। पठंति (पिंग)। कर्म, पठाविभइ ७२)।
भूका. पट्टवइंसु (कप्प) । कृ. पट्टवियव्य पट्टाढा स्त्री दे] पट्टा, घोड़े की पेटी, कसनः (कसः सुपा ६२७) ।
पठग देखो पाढग (कप्प)। 'छोडिया पट्टाढा, ऊसारियं पल्लाणं' (महाः पट्ठवग देखो पट्टवय (कम्म ६, ६६ टी)। पड अक [पत् ] पड़ना, गिरना। पडइ सुख १८, ३७)।
पट्ठवण न [प्रस्थापन] १ प्रकृष्ट स्थापन ।। (उवः पि २१८, २४४)। वकृ. पडत, पट्टिय विपट्टिक] पट्टे पर दिया जाता २ प्रारम्भः ‘इमं पुण पटुवणं पडुच्च' (अण) । पडमाण (गा २६४; महा भविः बृह ६)। गाँव वगैरह, 'पुव्विं पट्टियगामम्मि तुट्टदव्वत्थं पट्ठवणा स्त्री [प्रस्थापना] १ प्रकृष्ट स्थापना ।
संकृ. पडिअ ( नाट-शकु ६७)। कृ. पट्टइलो नरवालो पुव्विं जो आसि गुत्तीए २ प्रायश्चित्तप्रदानः 'दुविहा पट्ठवणा खलु'
पडणीअ (काल)। खित्तो' (सुपा २७३)। (वव १)।
पड [पट] वन, कपड़ा (औपः उव; स्वप्न पट्टिया स्त्री [पट्टिका] १ छोटा तख्ता, पाटी पट्ठवय वि [प्रस्थापक] १ प्रवर्तक, प्रवृत्ति ८५; स ३२६; गा १८) कार देखो गार 'चित्तपट्टिया' (सुर १, ८८)। २ देखो करानेवाला (णाया १, १-पत्र ६३)। २ (राज)। कुंडी स्त्री [°कुटी] तंबू, वस्त्र-गृह पट्टी; 'सरासरणपट्टिया' (राज-जं ३)। प्रारम्भ करनेवाला (विसे ६२७)। (दे ६, ६; ती ३)। 'गार पुं [कार]
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