________________
५२६
पाइअसद्दमहण्णवो
पडिसंध-पडिसाहरण ३ अनुकूल करना। पडिसंधए (उत्त २७, पडिसद्दिय वि [प्रतिशब्दित] प्रतिध्वनि- पडिसाय ( [दे] घर्घर कएठ, बैठा हुआ १)। पडिसंधयाइ (सूत्र २, ६, ३)। संकृ. | युक्त (सम्मत्त २१८)।
| गला (दे ६, १७)। पडिसंधाय (सूत्र २, २, २६)। पडिसम प्रक[प्रति+शम् ] विरत होना। पडिसार सक[प्रतिस्मारय् ] याद दिलाना। पडिसंध । सक [प्रतिसं +धा] १ आदर पडिसमइ (से ६, ४४)।
पडिसारेउ (भग १५)। पडिसंधा करना । २ स्वीकार करना। पडि- पडिसमाहर सक [प्रतिसमा + ह] पीछे संघए (पच्च ७)। संकृ. पडिसंधाय (सूत्र
पडिसार सक [प्रति + सारय् ] सजाना, खींच लेना: 'दिट्टि पडिसमाहरे (दस ८, २, २, ३१, ३२, ३३, ३४, ३५)।
सजावट करना। पडिसारेदि (शौ), कमं.
पडिसारीअदि (शौ) (कप्पू)। पडिसंमुह न [प्रतिसंमुख संमुख, सामने; पडिसय ( [प्रतिश्रय उपाश्रय, साधु का | 'गो पडिसंमुहं पज्जोयस्स' (महा)। निवास-स्थान (दस २, १, टी)।
पडिसार सक [प्रति+ सारय] खिसकाना, पडिसलाव पुं [प्रतिसंलाप] प्रत्युत्तर, जवाब पडिसर पुं [प्रतिसर] १ सैन्य का पश्चाद्भाग
हटाना, अन्य स्थान में ले जाना। पडिसारेइ (से १, २६; ११, ३४)। (प्राप्र)। २ हस्त-सूत्र, वह धागा जो विवाह
(से १०, ७०)। पडिसलीण वि [प्रतिसंलीन] १ सम्यक् |
से पहले वर-वधु के हाथ में रक्षार्थ बाँधते हैं। पडिसार [दे] १ पटुता । २ वि. निपुण, लीन, अच्छी तरह लीन । २ निरोध करनेकंकण (धर्म २)।
पटु, चतुर (दै ६, १६)। वाला (ठा ४, २; प्रौप)। पडिया स्त्री पडिप्सरण न [प्रतिसरण] कंकण (पंचा
पडिसार पुं [प्रतिसार] १ सजावट । २ ८,१५)। [प्रतिमा] क्रोध आदि के निरोध करने की
अपसरण । ३ विनाश । ४ पराङ मुखता (हे पडिसरीर न [प्रतिशरीर] प्रतिमूत्ति, 'पट्टप्रतिज्ञा (औप)।
१, २०६; दे ६, ७६)। विनो पडिसरीरं व (धर्मवि ३)। पडिसंविक्ख सक [प्रतिसंवि + ईक्ष] | पडिसलागा स्त्री [प्रतिशलाका] पल्य-विशेष
रडिसार पुं [प्रतिसार] अपसारण (हे १, विचार करना । पडिसंविक्खे (उत्त २, ३१)। (कम्म ४,७३)।
२०६)। पडिसंवेद । सक [प्रतिसं + वेदय] पडिसव सक [प्रति + शप्] शाप के बदले | प्रडिसारण न [प्रतिस्मारण] याद दिलाना पडिसंवेय अनुभव करना। पडिसंवेदेइ, में शाप देना, 'प्रहमाहो त्ति न य पडि- | पडिसंवेययंति (भग; पि ४६०)।
हति सत्ताविन य पडिसवंति' (उब)। पडिसारणा स्त्री [प्रतिस्मारणा] संस्मारण पडिसंसाहणया स्त्री [प्रतिसंसाधना] पडिसव सक [प्रति + Q] १ प्रतिज्ञा
(भग १५)। अनुव्रजन, अनुगमन (प्रौप; भग १४, ३ करना। २ स्वीकार करना। ३ पादर करना। पडिसारिअ वि [दे] स्मृत, याद किया हुआ २५, ७)। कृ. पडिसवणीय (सण)।
(दे ६, ३३)। पडिसंहर सक [प्रतिसं + ह] १ निवृत्त पडिसवत्त वि [प्रतिसपत्न] विरोधी शत्रु पडिसारिअ वि [प्रतिसारित] १ दूर किया करना। २ निरोध करना। पडिसंहरेज्जा (दसनि ६, १८)।
हुआ, अपसारित (से ११, १) । २ विनाशित (सूम १, ७, २०)।
| पडिसा अक [ शम् ] शान्त होना । पडिसाइ । (से १४, ५८)। ३ पराङ मुख (से १३, पडिसक्क देखो परिसक्क। पडिसक्का (हे ४,१६७)।
३२)। (भवि)।
पडिसा अक [न] भागना, पलायन पडिसारी स्त्री [दे] जवनिका, परदा (दे ६, पडिसडण न [प्रतिशदन, परिशदन] १ होना। पडिसाइ, पडिसंति (हे ४, १७८ २२)। सड़ जाना। २ विनाशः 'निरन्तरपडिसडण- | कुमा)।
पडिसाह सक [प्रति + कथय] उत्तर देना। सीलारिण पाउदलारिण' (काल)। | पडिसाइल वि [दे] जिसका गला बैठ गया
पडिसाहिज्जा (सूत्र १, ११, ४)। हो, घर्घर कण्ठवाला (द ६, १७) । पडिसडिय वि [परिशटित] जो सड़ गया
पडिसाहर सक [प्रतिसं + ह] निवृत्त करना। पडिसाड सक [प्रति + शादय , परिहो, जो विशेष जीर्ण हुआ हो वह (पिंड
पडिसाहरेज्जा (सूम २, २, ८५)। शाटय ] १ सड़ाना । २ पलटाना । ३ नाश ५१७)। करना । पडिसाडेंति (प्राचा २, १५, १८)।
पडिसाहर सक [प्रतिसं + ह] १ सकेलना, पडिसत्तु पुं [प्रतिशत्र] प्रतिपक्षी, दुश्मन, संकृ. पडिसाडित्ता (माचा २, १५, १८)।
समेटना। २ वापस ले लेना। ३ ऊँचे ले वैरी (सम १५३; पउम ५, १५६)। पडिसाडणा स्त्री [परिशाटना] च्युत करना,
जाना । पडिसाहरइ (प्रौपा णाया १, १पडिसत्थ पु [प्रतिसाथै प्रतिकूल यूथ (निचू
भ्रष्ट करना (वव १)।
पत्र ३३) । संकृ. पडिसाहरित्ता, पडिसा११)। पडिसाम अक [शम् ] शान्त होना । पडिसा- |
हरिय (णाया १,१; भग १४, ७)। पडिसद्द प्रतिशब्द] १ प्रतिध्वनि (पउम | मइ (हे ४, १६७; षड् )।
पडिसाहरण न [प्रतिसंहरण] १ समेट, १६, ५३; भवि) । २ उत्तर, प्रत्युत्तर, जवाब पडिसाय वि शिान्त] शान्त, शम-प्राप्त
संकोच । २ विनाश; 'सीयतेयलेस्सापडिसाहर(पउम ६, ३५)। (कुमा)।
गट्टयाए (भग १५-पत्र ६६६)।
उत्तर, प्रत्युत्तर पम पडसाम प्रक
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org