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६७२ पाइअसहमहण्णवो
मन्न-मय मन्न देखो माण-मानय् । कृ. मन्न, मन्नाय ममाइय वि [ममायित] जिसपर ममता की (पउम ६,५९)। ३ एक विद्याधर-नरेश मन्नणिज्ज, मन्नियव्व, मनिय (उप गई हो वह (पाचा)
(पउम ८, १)। हर पुं[धर] ऊँटवाला १०३६; धर्मवि ७६; भविः सुर १०, २८ ममाय वि [दे] ग्रहण करना। ममायंति (सुख ६, १) सुपा ३६ ठा १ टी-पत्र २१; सं ३५)M (दस ६, ४६)
मय वि [मृत] मरा हुमा, जीव-रहित (णाया मन्ना श्री [मनन] १ मति, बुद्धि (ठा १- ममाय वि [ममाय ममत्व करनेवाला (निचू
१, १, उवः सुर २, १८ प्रासू १७; प्राप्र)। पत्र १९)। २ मालोचन, चिन्तन (सूम २ १३) ।
'किच्च न [कृत्य] मरण के उपलक्ष में १, ४१ ठा१)।ममि वि [मामक] मेरा, मदीय; 'ममं वा
किया जाता श्राद्ध आदि कर्म (विपा १, २)। मन्ना स्त्री [मान्या] प्रभ्युपगम, स्वीकार (ठा
ममि वा' (सूप २, २, ६)।
मय पुंन [मद] १ गर्व, अभिमानः 'एयाई १-पत्र १६) ममूर सक [चूर्णय ] चूरना। ममूरइ (धात्वा
मयाई विगिच धीरा' (सूत्र १, १३, १६; मन्नाय देखो मन्न = मानय :
१४८)
मम्म पुंन [मर्मन] १ जीवन-स्थान । २ मन्नाविय वि [मानित] मनाया हुआ (सुपा |
सम १३, उप ७२८ टीः कुमाः कम्म २,
२६)। २ हाथी के गण्ड-स्थल से झरता १५६) सन्धि-स्थान (गा ४४६; उप ६६१, हे १,
प्रवाही पदार्थ (णाया १, १-पत्र ६५, मन्निय वि [मत] माना हुआ (सुपा ६०५ | ३२)। ३ मरण का कारण-भूत वचन आदि
कुमा)। ३ प्रामोद, हर्ष । ४ कस्तूरी। ५ कुमा). (णाया १,८)। ४ गुप्त बात (प्रासू ११
मत्तता, नशा। ६ नद, बड़ी नदी। ७ वीर्य, मन्नु पुं [मन्यु] १ क्रोध, गुस्सा (सुपा सुपा ३०७)। ५ रहस्य, तात्पर्य (श्रु २८)।
शुक्र (प्राप्र)। करि पुं[करिन्] मदवाला ६०४)। २ दैन्य, दीनताः 'सोयसमुन्भूयगरुय“य वि [ग] मर्म-वाचक (शब्द) (उत्त १,
हाथी (महा)। गल वि [कल] १ मद से मन्नुवसा' (सुर ११, १४४)। ३ अहंकार। २५; सुख १, २५) ।
उत्कट, नशे में चूरः ‘मप्रगलकुंजरगमणी' ४ शोक, अफसोस । ५ ऋतु, यज्ञ (हे २, मम्मक्क पुं[दे] गवं, अहंकार ( षड् )।
(पिंग)। २ पुं. हाथी (सुपा ६% हे १, २५, ४४)
मम्मका स्त्री [दे] १ उत्कएठा। २ गवं (दे १८२ पान दे ६, १२५)। ३ छन्द-विशेष मन्नुइय वि [मन्यवित] मन्यु-युक्त, कुपित
(पिंग)। णासणी स्त्री [ नाशनी] विद्या(सुख ४, १)
मम्मण न [मन्मन] १ अव्यक्त वचन (हे २, विशेष (पउम ७, १४०)। धम्म पुं[धर्म] मन्नुसिय वि [दे] उद्विग्न (स ५६६)।
६१ दे ६, १४१; विपा १, ७; वा २६)। विद्याधर-वंश के एक राजा का नाम (पउम
२ वि. अव्यक्त वचन बोलनेवाला (था १२) मन्ने देखो मण्णे (हे १, १७१, रंभा)
५, ४३), मंजरी स्त्री [मञ्जरी] एक स्त्री मम्मण पुं[दे] १ मदन, कन्दर्प। २ रोष, का नाम (महा)। वारण पुं [वारण] मप्प न [दे] माप, बाँटः 'तेण य सह वरु| गुस्सा (दे ६, १४१)
मदवाला हाथी; 'भयवारणो उ मत्तो निवागणं आणेवि य तस्स हट्टमप्पाणि' (सुपा
मम्मणिआ स्त्री [दे] नील मक्षिका (दे ६, डियालागवरखंभो' (महा)। ३६२)।
१२३) मम्भीसडी। (अप) स्त्री [मा भैषी:] अभय
मय पुं [मृग] १ हरिण (कुमाः उप ७२८ ममीसा । वचन (हे ४, ४२२) । | मम्मर पू[मर्मर] शुष्क पत्तों की आवाज
टी)। २ पशु, जानवर। ३ हाथी की एक (गा ३६५)। ममकार (ममकार] ममत्व, मोह, प्रेम,
जाति । ४ नक्षत्र-विशेष । ५ कस्तूरी। ६ मम्मह पुं [मन्मथ] कामदेव, कन्दर्प (गा मकर राशि। ७ अन्वेषण। ८ याचन, स्नेह (गच्छ २, ४२)। ४३०; अभि ६५)
माँग। ६ यज्ञ-विशेष (हे १, १२६)। च्छी ममञ्चय वि [मदीय] मेरा (सुख २, १५)। मम्मी स्त्री [दे] मामी, मातुल-पत्नी (दे ६, स्त्री [°ाक्षी] हरिण के नेत्रों के समान नेत्रममत्त न [ममत्व ममता, मोह, स्नेह (सुपा
वाली (सुर ४, १६; सुपा ३५५, कुमा)। २६)।
मय न [मत] मनन, ज्ञान (सूत्र २, १, °णाह [नाथ सिंह (स १११)। णाहि ममया स्त्री [ममता] ऊपर देखो (पंचा १५,
५०)। २ अभिप्राय, प्राशय (प्रोपनि १६० | पुंस्त्री [ नाभि] कस्तूरी (पात्र; सुपा २००० ३२)।
सूअनि १२०)। ३ समय, दर्शन, धर्मः । गउड)। 'तण्हा स्त्री [तृष्णा] धूप में जलममा सक [ ममाय ] ममता करना । ममाइ,
'समभो मयं' (पामा सम्मत्त २२८)। ४ वि. भ्रान्ति (दे से ६, ३५) तण्हिआ स्त्री ममायए (सून २, १, ४२, उव)। वकृ.
माना हुआ (कम्म ४, ४६)। ५ इष्ट, अभीष्ट [तृष्णिका] वही अर्थ (पि ३७५), तिण्हा ममायमाण, ममायमीण (प्राचा; सूप २, (सुपा ३७१)+ न्नु वि [ज्ञ] दार्शनिक देखो तण्हा (पि ५४)। "तिण्हिआ देखो ६, २१) (सुपा ५८२)।
तहिआ (पि ५४)। धुत्त पुं [धूर्त] ममाइ वि [ममत्विन ममतावाला (सूम १, मय पुं[मय] १ उष्ट्र, ऊँट (सुख ६, १)।। शृगाल, सियार (दे ६, १२५)। 'नाभि १, १, ४)।
। २ अश्वतर, खच्चर; 'मयमहिससरहकेसरि- देखो णाहि (कुमा)। राय पुं [ राज]
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