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पाइअसहमहण्णवो
माहव-मिंढय
माहव ( [माधव १ श्रीकृष्ण, नारायण मि (अप) देखो अवि-अपि (भवि)। मिअंग देखो मयंग = मृदंग (कप्यू)। (गा ४४३; वज्जा १३०)। २ वसन्त ऋतु। मिस्त्री [ मृत् ] मिट्टी, मट्टी; 'जह मिल्ले- | मिअसिर देखो मगसिर (पि ५४)। ३ वैशाख मास (गा ७७७, रुक्मि ५३) वावगमादलाबुणोवस्समेव गइभावो' (विसे | मिआ स्त्री [मृगा] १ राजा विजय की पत्नी पणइणी स्त्री [प्रणयिनी ] लक्ष्मी (स | ३१४२)। प्पिड ["पिण्ड] मिट्टी का | (विपा १, १)। २ राजा बलभद्र की पत्नी ५२३)
पिंडा (अभि २००)। म्मय वि [मय] (उत्त १६, १) उत्त, पुत्त पुं[पुत्र] माहविआ स्त्री [माधविका] नीचे देखो
मिट्टी का बना हुआ (उप २४२: पिंड ३३४; १ राजा विजय का एक पुत्र (विपा १, १; (पान)। सुपा २७०)
कर्म १५)। २ राजा बलभद्र का एक पुत्र, माहवी स्त्री [माधवी] १ लता-विशेष (गा मिअ देखो मय = मृग; 'सवरिणदियदोसेणं जिसका दूसरा नाम बलश्री था (उत्त १६, ३२२; अभि १६६; स्वप्न ३६)। २ एक | मिनो मनो वाहबारणे' (सुर ८, १४२; २) वई स्त्री [वती] १ प्रथम वासुदेव राजपला (पउन १, १२६ २०, १८४) उत्त १,५; परह १,१, सम ६०; रंभा, की माता का नाम (सम १५२)। २ राजा माहारयण न [दे] १ वस्त्र, कपड़ा। २ ठा ४, २; पि ५४), चक्क न [चक्र]
शतानीक की पटरानी का नाम (विपा वस्त्र-विशेष (दें ६, १३२) ।
विद्या-विशेष, ग्राम-प्रवेश आदि में मृगों के माहिंद [माहेन्द्र] एक देव-लोक (सम दर्शन आदि से शुभाशुभ फल जानने की मिस्त्री [मिति] १ मान, परिमाण । २ ८)। २ एक इन्द्र, माहेन्द्र देवलोक का विद्या (सूत्र २, २, २७) णअणी,
हद, अवधिः 'कि दुक्करमुवायाणं न मिई स्वामी (ठा २, ३-पत्र ८५)। ३ ज्वर- 'नयणा स्त्री [ नयना] देखो मय-च्छी
जमुवायसत्तीए' (धर्मवि १४३) । विशेष: 'माहिंदजरो जायो' (सुपा ६०६)। (नाट; सुर ६; १५३)। मय पुं [मद]
मिइ देखो मिउ = मृत् (धर्मसं ५५८) । ४ दिन का एक मुहूर्त (सम ५१)। ५ वि. कस्तूरी (रंभा ३५)। रिउ पुं["रिपु] महेन्द्र-सम्बन्धी (पउम ५५, १६) । सिंह (सुपा ५७१)। वाण पुं [वाहन]
मिइंग देखो मयंग = मृदंग (हे १, १३७; माहिंदफल न [माहेन्द्रफल] इन्द्रयव, भरतक्षेत्र के एक भावी तीर्थंकर (सम १५३)
कुमा)
मिइंद देखो मइंद = मृगेन्द्र (अभि २४२)।कौरेया का बीज (उत्तनि ३) मिअ [मृग] हरिण के आकार का पशु
मिउ स्त्री [मृद्] मिट्टी, मट्टी; 'मिउदंडचक्कमाहिल [दे] महिषी-पाल, भैंस चरानेवाला । विशेष, जो हरिण से छोटा और जिसका
चीवरसामग्गीवसा कुलालुव्व' (सम्मत्त २२४), (दे ६, १३०)। पुच्छ लम्बा होता है। लोमिअ वि
'मिउपिंडो दवघडो सुसावगो तह य दवसाहु माहिवाय पुं[दे] १ शिशिर पवन (दे ६, [°लोमिक] उसके बालों से बना हुआ
त्ति' (उप २५५ टी)। १३१)।२ माघ का पवन ( षड् )। (अणु ३५)
मिउ वि [मृदु] कोमल, सुकुमार (प्रौप; माहिसी देखो महिसी (कप्प)।- मिअ देखो मित्त =मित्र (प्राप्र)।
कुमा; सण)। माही स्त्री [माघी] १ माघ मास की पूर्णिमा। मिअ वि [दे] अलंकृत, विभूषित (षड् ) मिउ वि [मृद मनोज्ञ, सुन्दरः 'मिउमद्दव
२ माघ की अमावस्या (सुज्ज १०, ६)। मिअ वि[मित] मानोपेत, परिमित (उत्त संपन्ने (दि ५२)। माहूर वि माथुर मथुरा का (भत्त १४५)।। १६, ८, सम १५२, कप्प)। २ थोड़ा, मिंचण न [दे] मीचना, निमीलन (दे माहुर न [दे] शाक, तरकारी (दे ६, १३०)। | अल्प; 'मिनं तुच्छं' (पाप)। वाइ वि
। ३, ३०)।माहुर । वि [माधुर, क] १ मधुर रस
[वादिन] आत्मा आदि पदार्थों को परिमित
मिंज , स्त्री [मज्जा] १ शरीर-स्थित धातुमाहुरय) वाला। २ आम्ल रस से भिन्न ___ माननेवाला (ठा ८-पत्र ४२७)।
मिंजा विशेष, हाड़ के बीच का अवयवरसवाला (उवा)।
मिअ देखो मित्र = इव (गा २०६ : नाट) मिंजिय विशेष (पएह १,१-पत्र महा: माहुरिअ न [माधुर्य] मधुरता (प्राकृ १६) मि देखो मिआ। ग्गाम पुं [ग्राम] उवाः प्रौप)। २ मध्यवर्ती अवयव; 'पहरणमाहुलिंग पुं[मातुलिङ्ग] १ बीजपूर वृक्षा | ग्राम-विशेष (विपा १,१)।
मिजिया इवा' (पएण १७-पत्र ५२६)।बीजौरानीबू का पेड़ (हे १, २४४; चंड)। | | मिअआ स्त्री [मृगया] शिकार (नाट- मिठ पुं[दे] हस्तिपक, हाथी का महावत २ न. बोजौरे का फल (षड् ; कुमा)। शकु २७)।
मिठिल , (उप १२८ टी; कुप्र ३६८; महा माहेसर वि [माहेश्वर] १ महेश्वर-भक्त | मिअंक पुंमृगाङ्क] १ चन्द्र, चाँद (हे १, भत्त ७६; धर्मवि ८१, १३५; मन १०% (सिरि ४८)। २ न. नगर-विशेष (पउम | १३०; प्राप्रः कुमाः काप्र १६४)। २ चन्द्र
उप १३०)। देखो मेंठ 1 १०, ३४)।
का विमान (सुज्ज २०)। ३ इक्ष्वाकु वंश | मिंढ पुंस्त्री [मेढ] १ मेंढा, भेड़, मेष, गाडर माहेसरी स्त्री [माहेश्वरी] १ लिपि-विशेष का एक राजा (पउम ५, ४)। 'मणि पुंमिंढय (विसे ३०४ टी; उप पृ २०५; कप्र (सम ३५)। २ नगरी-विशेष (राज) ।। [ मणि] चन्द्रकान्त मणि (कप्पू)।. ११६२), 'ते य दरा मिढया ते य' (धर्मवि .
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