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मिढिय-मित्तिय
पाइअसहमण्णवो १४०)। स्त्री. "ढिया (पान)। २ न. पुरुष- हियाहियविभागनाणसण्णासमन्निो कोई मिणाय न [दे] बलात्कार, जबरदस्ती (दे ६, लिंग, पुरुष-चिह्न (राज)। मुह पुं[मुख] (विसे ५१९)।
११३) १ अनार्य देश-विशेष (पव २७४)। २ न. | मिच्छ देखो मिच्छा (कम्म ३, २, ४)। मिणाल देखो मुणाल (प्राकृ का रंभा)। नगर-विशेष (राज) । देखो मेंढ।
कार पु[ कार] मिथ्या-करण (प्रावम)। मित्त पु[मित्र] १ सूर्य, रवि (सुपा ६४५; मिंढिय पुं [मेण्ढिक ग्राम-विशेष (कम १)। °त्त न [व] सत्य तत्त्व पर अश्रद्धा, सुख ४, ६ पान; वजा १४४)। २ नक्षत्रदेवमिग देखो मय =मृग (विपा १, ७ सुर २,
सत्य धर्म का अविश्वास (ठा ३, ३; विशेष, अनुराधा नक्षत्र का अधिष्ठायक देव २२७; सुपा १६८ उव), 'सोहो मिगाणं
पाचू ६, भगः प्रौपः उप ५३१; कुमा)। (ठा २, ३—पत्र ७७सुज १०, १२)। ३ सलिलाण गंगा' (सूत्र १, ६, २१), गंध
'त्ति वि ["त्विन् सत्य धर्म पर विश्वास महोरात्र का तीसरा मुहूर्त (सम ५१, सुज्ज पं गधा यर्गालक मनष्य की एक जाति | नहीं करनेवाला, परमार्थ का अश्रद्धालु (दं। १०, १३)। ४ एक राजा का नाम (विपा (इक)। 'नाह पुं [नाथ] सिंह (सुपा
१८)। दिट्ठि, दिट्ठीय, दिद्रि, दिट्ठिय १, २)। ५ पुंन. दोस्त, वयस्य सखा; 'मित्तो ६३२) ५ वइ पुं[पति] सिंह (पएह १, वि [दृष्टि, क] सत्य धर्म पर श्रद्धा नहीं सही वयंसों (पाप), 'पहाणमित्ता' (स १; सुपा ६३६).। वालुंकी स्त्री [ वालुङ्की] रखनेवाला, जिन-धर्म से भिन्न धर्म को मानने- ७०७), 'तिविहो मित्तो हवई' (स ७१५; वनस्पति-विशेष (पएण १७-पत्र ५३०)।- वाला (सम २६ कुमा; ठा २, २; औप; सुपा ६४५; प्रासू ७६)। केसी स्त्री [°केशी] गरि पुं[रि] सिंह (उवः सुर ६,२७०) ठा १)।
रुचक पर्वत पर रहनेवाली एक दिक्कुमारी हिव पु [धिप] सिंह (पण्ह २, ५)।-मिच्छा प्र [मिथ्या] १ असत्य, झूठा
देवी अलबुसा मित (?त्त) केसी' (ठा ८मिगया स्त्री [मृगया] शिकार (सुपा २१४ (पास)। २ कर्म-विशेष, मिथ्यात्व-मोहनीय
पत्र ४३७७ इक), गा स्त्री [गा] वैरोचन
बलीन्द्र की एक अन-महिषी, एक इन्द्राणी कर्म (कम्म २, ४; १४)। ३ गुण-स्थानक कुप्र २३; मोह ६२)
विशेष, प्रथम गुरण-स्थानक (कम्म २, २, ३; मिगव्व न [मृगव्य ऊपर देखो (उत्त
(ठा ४, १-पत्र २०४) । णंदि पुं १३), "दंसण न [दर्शन] १ सत्य तत्त्व
[नन्दिन] एक राजा का नाम (विपा २, १८, १)
१०)। दाम पुं [दाम] एक कुलकर पर अश्रद्धा (सन का भगः औप)। २ असत्य मिगसिर देखो मगसिर (सम ८ इक पि |
पुरुष का नाम (सम १५०)। "देवा स्त्री धर्म (कुमा)। नाण न [ज्ञान] असत्य ४३६) । मिगावई देखो मिआ-बई (पउम २०, १८४ ज्ञान, विपरीत ज्ञान, प्रज्ञान (भग) । सुअ
स्त्री [ देवा] अनुराधा नक्षत्र (राज)। 'व २२, ५५; उव; अंत कुप्र १८३; पडि)।
वि [वत् ] मित्रवाला (उत्त ३, १८) न [श्रत प्रसत्य शास्त्र, मिथ्यादृष्टि-प्रणीत शास्त्र (णंदि)।
सेण [सेन] एक पुरोहित-पुत्र (सुपा मिगी स्त्री [मृगी] १ हरिणी (महा)। २
५०७) विद्या-विशेष (राज)। पद न [पद स्त्री मिज अक [मृ] मरना । मिजंति (सूत्र १,
मित्त देखो मेत्त = मात्र (कप्पा जी ३१; का गुह्य स्थान, योनि (राज)। ७, ६) । वकृ. मिजमाण (भग)।
प्रासू १४५)। मिच्चु देखो मच्चु (षड् , कुमा)।
मिजंत 1 .
मित्तल पुं[दे] कन्दर्प, काम (दे ६, १२६; मिच्छ (अप) देखो इच्छ = इष् ; 'न उ देइ
सुर १३, ११८)। कप्पु मिच्छइ न न दंडु' (भवि)। मिज्म वि [मेध्य] शुचि, पवित्र (उप ७२८
मित्ति स्त्री मति] १ मान, परिमाण । २
टी) मिच्छ पुं [म्लेच्छ] यवन, अनार्य मनुष्य
सापेक्षता (पउम २७, १८, ३४, ४१; ती १५; संबोध
मिट सक [दे] मिटाना, लोप करना। मिटि- 'उस्सग्गववायाणं मितीए ग्रहण भोयणं दुटुं। १६). "पहु पुं[प्रभु] म्लेच्छों का राजा
__ जसु (पिंग)। प्रयो. मिटावह (पिंग) उस्सग्गववायाणं मित्तीइ तहेव उवगरणं' (रंभा) पिय न [प्रय] पलाण्डु, प्याज, | मिट्ठ वि [मिष्ट, मृष्ट] मीठा, मधुर 'मुहमिट्ठा
(अज्भ. ३७) । लशुन; 'मिच्छप्पियं तु भुतं जा गंधो ता न | मणदुट्ठा वेसा सिट्ठाण कहमिट्ठा' (धर्मवि मित्तिआ स्त्री [मृत्तिका] मिट्टी, मट्टी (अभि हिउंति' (बृह ५) हिव पुं[धिप] ६५ कप्पू: सुर १२, १७, हे १, १२८, २४३) "वई नो [वता] दशाएं देश की यवनों का राजा (पउम १२, १४) रंभा)।
प्राचीन राजधानी (विचार ४८)। मिच्छ न [मिथ्य] १ असत्य वचन, भूठ। मिण सक [मा, मी] १ परिमाण करना, | मित्तिज अक [मित्रीय ] मित्र को चाहना। २ पि. असत्य, झूठा: 'मिच्छ ते एवमाहंसु' | नापना, तोलना । २ जानना, निश्चय करना। वकृ. मित्तिज्जमाण (उत्त ११, ७) ।
उम २३, | मिणइ (विसे २१८६), मिणसु (पव २५४)। मित्तिय न [मैत्रेय १ गोत्र-विशेष, जो वत्स २६) । ३ मिथ्यादृष्टि, सत्य पर विश्वास नहीं मिणण न [मान] मान, माप, परिमाण (उप गोत्र की एक शाखा है। २ पुंस्त्री. उस गोत्र में रखनेवाला, तत्त्व का अश्रद्धालु 'मिच्छो | १६७)।।
उत्पन्न (ठा ७-पत्र ३६०)।
मिजमाण | देखो मा = मा।--
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