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महापाइअसद्दमहण्णवो
६७६ (ठा ५, ३-पत्र ३५१). पउम [ पद्म] "पिउ पुं[पित] पिता का बड़ा भाई (सम १५४) । ३ वि. बड़ा भयानक (दंस ४)। १ भरतक्षेत्र का भावी प्रथम तीर्थंकर (सम (विपा १, ३-पत्र ४०) पीढ [पीठ] भीमसेण पु[भीमसेन] एक कुलकर १५३) । २ पुंडरीकिणी नगरी का एक राजा एक जैन महर्षि (सट्ठि ८१ टी), पुंख पुरुष का नाम (सम १५०) । भुअ पु और पीछे से राजर्षि (णाया १, १६-पत्र न [पुङ्ख] एक देव-विमान (सम २२) [भुज] देव-विशेष (दोव)। भुअंग पु २४३) । ३ भारतवर्ष में उत्पन्न नववाँ पुंड न [पुण्ड] एक देव-विमान (सम [भुजङ्ग] शेष नाग (से ७, ५६) भोया चकवर्ती राजा (सम १५२; पउम २०, २२) पुंडरीय न[ पुण्डरीक] १ विशाल
स्त्री [ भोगा] एक महा-नदी (ठा ५, ३१४३) । ४ भरतक्षेत्र का भावी नववाँ श्वेत कमल (राय) । २ . ग्रह-विशेष (सम
पत्र ३५१)। मउंद पूंन [ मुकुन्द] वाद्यचक्रवर्ती राजा (सम १५४)। ५ एक राजा १०४)। ३ देव-विशेष । ४ देखो पुंडरी
विशेष (भग) । मंति पु. [ मन्त्रि ] (ठा ६)। ६ एक निधि (ठा -पत्र (राज), "पुर न [पुर] १ एक विद्याधर-नगर १ सर्वोच्च अमात्य, प्रधान मन्त्री (प्रौपः सुपा ४४६)। ७ एक द्रह (सम १०४ ठा २, (इक) । २ नगर-विशेष (विपा २,७)। पुरा २२३, रणाया १, १)।२ हस्ति-सैन्य का ३–पत्र ७२)। ८ राजा श्रीणिक का एक स्त्री [पुरी] महापक्ष्म-विजय की राजधानी अध्यक्ष (णाया १,१-पत्र १९)मंस न पौत्र (निर १. १)। ६ देव-विशेष (दीव) । (ठा २,३-पत्र८०)। पुरिस पुं["पुरुप] [मांस] मनुष्य का मांस (कप्पू)। मञ्च १० वृक्ष-विशेष (ठा २, ३)। ११ न. संख्या- १ श्रेष्ठ पुरुष (पएह २, ४)। २ किंपुरुष- |
पुं["अमात्य प्रधान मन्त्री (कुमा), 'मत्त विशेषः महापद्मांग को चौरासी लाख से निकाय का उत्तर दिशा का इन्द्र (ठा २, पुं[°मात्र] हस्तिपक, हाथी का महावतः गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह (जो २)। ३-पत्र ८५)। पुरी देखो पुरा (इक)। 'तत्तो नरसिंहनिवस्स कुंजरा १२ एक देव-विमान (सम ३३)। पउमअंग पोंडरीअ न [पुण्डरीक] एक देव-विमान
सिहभयविहुरहियया । न [पद्माङ्ग] संख्या-विशेष, पद्म को चौरासी (स ३३) । देखो पुंडरीय (ठा २, ३-पत्र अवगरिणयमहामत्ता मत्तावि लाख से गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह | ७२)। फल देखो मह-प्फल (उवा)।
पलाइया झत्ति (जो २) पउमा स्त्री पद्मा] राजा फलिह न [स्फटिक] शिखरी पर्वत का
(कुप्र ३६४)।श्रेणिक की पक पुत्र-वधू (निर १,१)। एक उत्तर-दिशा-स्थित कूट (राज)। बल
'मरुया श्री [ मरुता] राजा श्रेणिक की पंडिय वि[ पण्डित श्रेष्ठ विद्वान (रंभा)। वि[बल] १ महान बलवाला (भग)।
एक पत्नी (अंत)। मह पू[मह] महोपट्टण न [पत्तन] बड़ा शहर (उवा)। २ . ऐरवत क्षेत्र का एक भावी तीर्थकर
त्सव (प्राव ४)। महंत वि [महत्] 'पण्ण,पन्न वि [प्रज्ञ] श्रेष्ठ बुद्धिवाला | (सम १५४)। ३ चक्रवर्ती भरत के वंश में
अति बड़ा (सुपा ५६४ स ६६३) । माई (उप ७७३; पि २७६)। पभ न [प्रभ] उत्पन्न एक राजा (पउम ५, ४ ठा -पत्र
(अप) स्त्री [माया] छन्द-विशेष (पिंग)।एक देव-विमान (सम १३) । पभा स्त्री ४२६)। ४ सोमवंशीय एक नर-पति (पउम "माउया स्त्री ["मातृका] माता की बड़ी [प्रभा] एक राज्ञी (उप १०३१ टो)।
५, १०) । ५ पाँचवें बलदेव का पूर्वजन्मीय बहन (विपा १ ३–पत्र ४०)। माढर पम्ह [पक्ष्म] महाविदेह वर्ष का एक
नाम (पउम २०, १६०)। ६ भारतवर्ष का पुं[माठर] ईशानेन्द्र के रथ-सैन्य का विजय-प्रान्त (ठा २, ३)। परिणा,
भावी छठवाँ वासुदेव (सम १५४)। बाहु अधिपति (ठा ५, १-पत्र ३०३; इक)। परिन्ना स्त्रो [परिज्ञा] आचारांग सूत्र के
पु[बाहु] १ भारत-वर्ष का भावी चतुर्थ माणसिआ स्त्री [ मानसिका एक विद्याप्रथम श्रुतस्कन्ध का सातवाँ अध्ययन (राज;
वासुदेव (सम १५४)। २ रावण का एक देवी (संति ६) माहण [ब्राह्मण] आक) पसु पुं [पशु] मनुष्य (गउड) ।
सुभट (पउम ५६, ३०)। अपर विदेह-वर्ष श्रेष्ठ ब्राह्मण (उवा) । मुणि पुं[मुनि] पह पुं [पथ] बड़ा रास्ता, राज-मार्ग
में उत्पन्न एक वासुदैव (प्राव ४)। भद्द न | श्रेष्ठ साधु (कुमा)। मेह पुं [ मेघ बड़ा (भगः परह १, ३; प्रौप) । पाण न ["प्राण]
[भद्र] तप-विशेष (पव २७१)। भदप- मेघ (गाया १, १-पत्र ४ठा ४, ४)। ब्रह्मलोक-स्थित एक देव-विमान (उत्त १८,
डिमा स्त्री [भद्रप्रतिमा] नीचे देखो (प्रौप)। "मेह वि ['मेध] बुद्धिमान (उप १४२ टी)। २८), पायाल पुं [पाताल] बड़ा
भद्दा स्त्री [भद्रा] व्रत-विशेष, कायोत्सर्ग- मोक्ख वि [मृर्ख] बड़ा बेवकूफ (उप पाताल-कलश (ठा ४, २-पत्र २२६: सम | ध्यान का एक व्रत (ठा २, ३-पत्र ६४) १०३१ टी) यण पुं [जन] श्रेष्ठ लोग ७१) । पालि स्त्री [पालि] १ बड़ा पल्य ।
भय देखो मह-भय (प्राचा) । भाअ, (सुपा २६१)। यस देखो जस (प्रौपः २ सागरोपम-परिमित भव-स्थिति-आयु, 'भाग वि [ भाग] महानुभाव, महाशय कप्प) । रक्खस पु [ राक्षस] लंका 'प्रहमासि महापाणे
(अभि १७४; महा सुपा १९८; उप पृ ३)। नगरी का एक राजा जो धनवाहन का पुत्र जुइम बरिससमोवमे। जा सा पालिमहापाली दिव्या
भीम पु[ भीम] १ राक्षसों का उत्तर था (पउम ५, १३६) रह पुं [रथ] ___ वरिससमोवमा' दिशा का इन्द्र (ठा २, ३–पत्र ८५)। २ १ बड़ा रथ (परह २, ४-पत्र १३०)।२ (उत्त १८, २८)। भारतवर्ष का भावी पाठवा प्रतिवासुदेव । वि. बड़ा रथवाला । ३ बड़ा योद्धा, दस
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