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महेसि-माउआ पाइअसहमहण्णवो
६८३ महेसि देखो मह-रिसि (सम १२३; पएह माआरा । स्त्री [मात] १ माँ, जननी (षड् माइण्हिआ स्त्री [मृगतृष्णका] धूप में जल
१, १; उप ३५७ ७२८ टी; अभि ११८) माइ ठा ४, ३; कुमाः सुपा ३७७)। की भ्रान्ति (उप २२० टी; मोह २३)। महोअर पुं [महोदर] १ रावण का एक २ देवता, देवी (हे १, १३५; ३, ४६; सुख माइलि वि[दे] मृदु, कोमल (दै ६, १२९)। भाई (से १२, ५४)। २ वि. बहु-भक्षी ३, ६)। ३ स्त्री, नारी। ४ माया (पंचा १७,
माइल्ल देखो माइ = मायिन् (सूत्र १, ४, १, (निचू १) ४८)। ५ भूमि। ६ विभूति । ७ लक्ष्मी ।
१८, माचा; भग, ओघ ४१३; पउम ३१, महोअहि पुं[महोदधि] महासागर (से ५, ८ रेवती। ६ पाखुकर्णी। १० जटामांसो।
५१, प्रोप; ठा ४, ४)। २, महा)। रव पुं[व] वानर-वंश का ११ इन्द्र-वारुणी, इन्द्रायण (षड्; हे १,
माइवाह , पुंस्त्री [दे. मातृवाह] द्वीन्द्रिय एक राजा (पउम ६, ६३)। १३५, ३, ४६)। घर न [गृह] देवी
माईवाह । जन्तु-विशेष, क्षुद्र कीट-विशेष (उत्त महोच्छव देखो महूसव (सुर ६, ११०)। मन्दिर (सुख ३, ६), "ट्ठाण, ठाण न
३६, १२६, जी १५: पुष्फ २६५)। स्त्रो. हा [स्थान] १ माया-स्थान (पंचा १७, ४८; महोदहि देखो महोअहि (पएह २, ४ उप सम ३६)। २ माया, कपट-दोष (पंचा १७,
(सुख १८, ३५; जी १५)। ७२८ टी)। ४८; उवर ८४), 'मेह कुं[ मेध यज्ञ
माउ देखो माइ = मातु (भगः सुर १, १७६, महोरग पुं [महोरग] १ व्यन्तर देवों की विशेष, जिसमें माता का वध किया जाय वह
औपा प्रामा कुमा; षड्; हे १, १३४; एक जाति (पराह १, ४–पत्र ६८ इक)। यज्ञ (पउम ११, ४२)। हर देखो 'घर (हे
१३५)। गाम पु[ग्राम स्त्री-वर्ग (बृह २ बड़ा साप । ३ महाकाय सर्प की एक १, १३५)। देखो माउ, माया = मातु ।
१) °च्छा देखो "सिआ (हे २; १४२; जाति (पएह १, १-पत्र ८) त्थ न
गा ६४८)। "पिउ पुं[पित] मां-बाप [स्त्र] प्रस्त्र-विशेष (महा)। माइ वि [मायिन् माया-युक्त, मायावी
(सुर १, १७६)। "म्मही स्त्री [मही] माँ महोरगकंठ पुं [महोरगकण्ठ] रत्न-विशेष (भगः कम्म ४, ४०) ।
की माँ, नानी (रंभा २०) । °सिआ, 'सी, (राय ६७)। माइम [मा] मत, नहीं (प्राकृ ७८)।
'स्सिआ स्त्री [ध्वस] माँ की बहन, मौसी महोसव देखो महूसव (नाट-रत्ना २४)। माइ वि [दे] १ रोमश, रोमवाला, प्रभूत (हे २, १४२, कुमाः विपा १, ३, सुर ११, महोसहि स्त्री [महौषधि] श्रेष्ठ औषधि | माइअ बालों से युक्त (दे ६, १२८; णाया । २१६ पि १४८ विपा १,३-पत्र ४१)।(गउड)। १,१८-पत्र २३७)। २ मयूरित, पुष्प
माउ वि [मात, क] १ प्रमाता, मा अ [मा] मत, नहीं (चेइय ६८४; प्रासू विशेषवाला (औपः भगः गाया १, १ टी
माउअ प्रमाण-कर्ता, सत्य ज्ञानवाला । २१)। पत्र ५, अंत)।
२ परिमाण-कर्ता, नापनेवाला। ३ पुं. जीव । मा स्त्री [मा] १ लक्ष्मी, दौलत (से ३, १५ माइअ वि [मात] समाया हुमा, अटा हुमा ४ आकाश: 'माऊ', 'माउरो (षड् हे १, सुर १६, ५२)। २ शोभा (से ३, १५)। (सुख ६, १)।
१३१; प्राप्रा प्राकृ८; हे १, १३४)। मा प्रक [मा] १ समाना, घटना। २ | माइअ वि [मायिक मायावी (दे६, १४७; माउअ वि [मातृक] माता-संबन्धी (हे १, माअसक. माप करना। ३ निश्चय करना, णाया १, १४)।
१३१ प्राप्रा प्राकृ८; राज)1. जानना । माइ, मामइ, माइजा, माएजा (पव
माइअ वि [मात्रिक] मात्रा-युक्त, परिमित माउअ पुंन [मातृक, का] १ प्रकार प्रादि ४० कमाप्राकृ६६, संवेग १८ औप)।
(तंदु २०; पन्ह १, ४ पत्र ६८)। वकृ. मंत, माअंत (कुमाः ४, ३० से २,
छयालीस अक्षर: 'बंभीए णं लिवीए छायालीसं
माउयक्खरा' (सम ६६ प्राव ५)। २ स्वर । ६; गा २७८)। कवकृ. मिजंत, मिज्जमाण माइअ देखो मा% मा।. (से ७, ६६; सम ७६; जीवस १४४)। कृ. माई देखो माइ = मा (हे २, १९१; कमा)। ३ करण (हे १, १३१ प्राप्रा प्राकृ८)।
नीचे देखो। माअव्व; 'वाया सहस्स-मइया', माइअ माइंगण न [दे] वृन्ताक, भंटा (उप ५९३) (से ६, ३, महा; कप्प)। देखो मेअ = मेय । माइंद [दे देखो मायंद (प्राप्र, स ४१६) माउआ स्त्री [मातृका] १ माता, मां (णाया माअडि पुं [मातलि] इन्द्र का सारथि (से | माइंद पुं [मृगेन्द्र सिंह, केसरी; 'एकसर- १,६-पत्र १५८)। २ ऊपर देखो (सम पहरदारियमाइंदगइंदजुज्झमाभिडिए' (वजा |
६९)। पय पुन [पद] शास्त्रों के सार-भूत १५, ५१)। माअरा देखो माइ = मातृ (कुमा; हे ३, ४६) ४२)
शब्द-उत्पाद, व्यय और ध्रौव्य (सम ६९) माअलि देखो माअडि (से १५, ४६) माइंदजालन [मायेन्द्रजाल] माया-कर्म, | माउआ स्त्री [दे. मातृका] दुर्गा, पार्वती, माअलिआ स्त्री [दे] मातृष्वसा, माता की माइंदयाल बनावटी प्रपंच (सुर २, २२९ उमा (दे ६, १४७)। बहन (दे ६, १३१) ।
स ६६०)।
माउआ स्त्री [दे] १ सखी, सहेली (दे ६, माअही स्त्री [मागधी] काव्य की एक रीति माइंदा स्त्री [दे] पामलकी, मामला का गाछ १४७; पात्र; णाया १, ६-पत्र १५८) । (कप्पू)। देखो मागहिआ। । (दे ६, १२९)
२ ऊपर के होठ पर के बाल, मूंछ; रत्तगंड
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