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महाणसि-महिसी
पाइअसहमहण्णवो
६८१
बल्लह पुंवला , नरपति हि
महिंद वि
मा
२९५)।
महाणसि वि [महानसिन] रसोई बनाने- [पति राजा (णाया १, १ टीः प्रौप) वंश का एक राजा (पउम ५, ६) सीह वाला, रसोइया । स्त्री. णी (णाया १,७- वट्ठ देखो पट्र (हे १, १२६ कुमा) पुं [सिंह] १ कुरु देश का एक राजा पत्र ११७)।
वल्लह पुं.["वल्लभ] राजा (गु १०)। वाल (उप ७२८ टी)। २ सनत्कुमार चक्रवर्ती का महाणसिय वि [महानसिक] ऊपर देखो पु [पाल] १ राजा, नरपति (हे १, एक मित्र (महा)। (विपा १,८)
२२६) । २ व्यक्ति वाचक नाम (भवि)। महिंद वि [माहेन्द्र] १ महेन्द्र-सम्बन्धी । महाबिल न [दे. महाबिल] व्योम, प्रकाश "वेढ [वेष्ट, पीठ] मही-तल, भू-तल | २ उत्पात-विशेष (अरण २१५)। (दे ६, १२१)
(से १, ४ ४६) सामि पुं[स्वामिन्] महिंदुत्तरवडिंसय न[महेन्द्रोत्तरावतंसक] महामंति पुं [महामन्त्रिन्] महावत, हस्ति- राजा (कुमा) हर पुं[धर] १ पर्वत | एक देव-विमान (सम २७)।। पक (राय १२१ टी)।
(पापा से ३, ३८ ४, १७ कुप्र ११७)। महिगा देखो नाहिजा (जीवस ३१) ।। महारिय (अप) वि [मदीय] मेरा (जय
२ राजा (कुप्र ११७) ।।
महिच्छ वि [महेच्छ] महत्वाकांक्षी (सूत्र ३०)
महिअ वि मथित विलोडित (से २, १८ २,२,६१) महाल पुं [दे] जार, उपपति (दे ६, पान)।
| महिच्छा स्त्री [ महेच्छा] महत्वाकांक्षा, ११६)
महिअ वि [महित] १ पूजित, सत्कृत (से अपरिमित वाञ्छा (पएह १, ५)महालक्ख वि [दे] तरुण, जवान (दे ६, | १२, ४७; उवा प्रौप)। २ न. एक देव- महिट्ठ विदे] मट्ठा से संसृष्ट, तक्र-संस्कारित १२१) विमान (सम ४१) । ३ पूजा, सत्कार (णाया
(विपा १,६-पत्र ८३) महालय देखो मह = महत् (गाया १,८; उवा १, १)
महिड्ढि , वि [महर्द्धि, क] बड़ी ऋद्धिपोप), 'मा कासि कम्माई महालयाई' (उत्त | महिअ वि [ महीयस] बड़ा, गुरु; 'राम
महिड्ढिय वाला, महान वैभववाला (श्रा १३, २६) । स्त्री. °लिया (औप)। निमोमो महिमो को रणाम गमागप्रमिह करेइ' महिड्ढीय । २७; भगः पोषभा ६; औपः महालय पुंन [महालय १ उत्सवों का स्थान (मुद्रा १८७)
पि ७३)। (सम ७२) । २ बड़ा प्रालय । ३ वि. महिअदुअ न [दे] घी का किट्ट, घृत-मल
| महिअदुअ न [दे] घी का किट्ट, घृत-मल महिम पुत्री [महिमन] १ महत्त्व, माहात्म्य, बृहत्काय, बड़ा शरीरवाला (सूम २, ५, ६)। (राज)
गौरव (हे १,३५, कुमाः गउड; भवि)। २ महालवक्ख पुं [दे. महालयपक्ष श्राद्ध-पक्ष |
महिआ स्त्री [महिका] १ सूक्ष्म वर्षा, सूक्ष्म , योगी का एक प्रकार का ऐश्वर्य (हे १, ३५)।आश्विन (गुजराती भाद्रपद) मास का कृष्ण
जल-तुषार (पएण १; जो ५)। २ घूमिका, | महिला देखो मिहिला (महा राज)। पक्ष (दे ६, १२७) ।
धुंध, कुहरा (ओष ३० पात्र)! ३ मेघ- महिला स्त्री [महिला] स्त्री, नारी (कुमाः महावल्ली स्त्री [दे] नलिनी, कमलिनी (दे ६,
हे ३, ४१; पाप्र)। थूभ पुं[स्तूप] कूप १२२)। देखो मिहिआ।
प्रादि का किनारा (विसे २०६४)।. महाविजय पुं [महाविजय] एक देवविमान महिंद पुं [महेन्द्र] १ बड़ा इन्द्र, देवाधीश महिलिया श्री [महिलिका, महिला] ऊपर (प्राचा २, १५, २)।
(प्रौपः कप्पा गाया १, १ टी-पत्र ६)। देखो (णाया १, २, पउम १४, १४५) महासउण पुं [दे] उल्लू, घूक-पक्षी (दे ६, | २ पवंत-विशेष (से ६, ५६) । ३ प्रति महान्, प्रासू २४) । १२७)।
खूब बड़ा (ठा ४, २-पत्र २३०)। ४ एक महिलिया स्त्री [मिथिलिका, मिथिला] महासद्दा स्त्री [दे] शिवा, शृगाली (दे ६, राजा (पउम ५०, २३) । ५ ऐरवत वर्ष का देखो मिहिला (कप्प)।१२०० पान)
भावी १५ वाँ तीर्थकर (पव ७)। ६ पुन. महिस पु [माहष] भैंसा (गउड; औप महासेल दि [माहाशैल] महाशैल नगर से एक देव-विमान (सम २२, देवेन्द्र १४१) गा ५४८)। सुर पु [सुर] एक संबन्ध रखनेवाला, महाशैल का (पउम ५५, कत न [कान्त] एक देव-विमान (सम दानव (स ४३७)। ५३)।
२७)। केउ [केतु] हनुमान के मातामह महिसंद [दे] वृक्ष-विशेष, शिशु का पेड़ महि देखो मही (कुमा)। अल न [तल] | का नाम (पउम ५०, १६) ज्झय पुं । (दे ६, १२०)। भू-पीठ, भूमि-पृष्ठ (कुमाः गउडा प्रासू ४५) [ध्वज १ बड़ा ध्वज । २ इन्द्र के ध्वज महिसिअ वि [महिषिक] भैसवाला, भैंस गोयर [गोचर] मनुष्य (भविः सण)। के समान ध्वज, बड़ा इन्द-ध्वज (ठा ४, चरानेवाला (मरण १४४)।पट्ट न [पृष्ट] भूमि-तल (षड् )। पाल j ४-पत्र २३०)। ३ न. एक देव-विभान महिसिक्कन [दे महिषी-समूह (दे ६, [पाल] राजा (उव)। मंडल न [मण्डल] (सम २२) । दुहिया स्त्री [ दुहिता] । १२४) भू-मण्डल (भविः हे ४, ३७२)। रमण पं अजनासुन्दरी, हनूमान की माता (पउम ५०, महिसी स्त्री [महिपी] १ राज-पत्नी (ठा ४, [रमण] राजा (श्रा २७)। वइ पुं. २३). "विक्कम पुं ["विक्रम] इक्ष्वाकु, १)। २ भैस (पापः पउम; २६, ४१)।
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