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पाइअसहमहण्णवो
माउआपय-माणस मंसुपाहि माउयाहिं उवसोहियाई (णाया १, माघवई नी [माघवती] सातवी नरक-भूमि कप्प; जी ३०; श्रा १४)। ४ प्रमाण, सबूत ६-पत्र १५८)
(पव १४३; इक; ठा ७–पत्र ३८८)। (विसे १४६,धर्मसं ५२५)। ५मादर, सत्कार माउआपय न [मातृकाण्द्] मूलाक्षर, 'म' माघवामाघवा, वी] ऊपर देखो, 'मघव (णाया १,१० कप्प)। ६ पु.एक ठि-पुत्र (सुपा
से 'ह तक के अक्षर (दसनि १, ८) माघवी ।त्ति माघव त्ति य पुढवीणं नामधेयाई' ५४५)। इंत, इत्त, इल्ल वि [°वत् ] मानमाउक्क वि [मृदु,°क] कोमल, कुमार (हे (जीवस १२, इक)।
वाला (षड् : हे २,१५६; हेका ७३; पि ५६५) १, १२७, २, ६६ कुमा) माज्जार देखो मजार (संक्षि २)।
स्त्री. त्ता, 'त्ती (कुमाः गउड)। तुंग पुं माउक्क न [मृदुत्व कोमलता (हे १, १२७
[तुङ्ग] एक प्राचीन जैन कवि (नमि २१)। माडंबिअ [माडम्बिक १ 'मडंब' का |
'वई बी [वती] १ मानवाली स्त्री (से १०, २, २. कुमा)।
अधिपति (गाया १, १; प्रौपः कप्प)। २ | माउचा स्त्री [दे. मातृप्यत] देखो माउ-च्छा
६६) । २ रावण की एक पत्नी (पउम ७४, प्रत्यन्त-सीमा-प्रान्त का राजा (पएह १, (षड्)
११)। संघ न [संघ] एक विद्याधर-नगर ५-पत्र ६४)माउच्चा स्त्री [दे] सखी, सहेली (षड्)। माडंबिय वि [माडम्बिक] चित्र-मंडप का
(इक) । वाइ वि [वादिन] अहंकारी
(प्राचा) माउच्छ वि [दे] मृदु, कोमल (दे ६, अध्यक्ष (राय १४१)।
माण वि [मान] मान-संबन्धी, मान का १२६)। माडिअ न [दे] गृह, घर (दें ६, १२८) ।
'कोहाए माणाए मायाए' (पडि)। माउत्त । देखो माउक्क = मृदुत्व (कुमाः हे माढर माठर] १ सौधर्मेन्द्र के रथ-सैन्य माउत्तण २२ षड् ) -
माण न [दे] परिमारण-विशेष, दस शेर को का अधिपति (ठा ५,१-पत्र ३०३, इक)।
नाप गुजराती में 'माणु" (उप १५४)।. माउल पुं [मातुल] माँ का भाई, मामा २ न. गोत्र-विशेष (कप्प)। ३ शास्त्र-विशेष
(णंदि)।
माणंसि वि [दे] १ मायावी, कपटी (दे ६, (सुर ३, ८१; रंभा; महा)
माढर पुंस्त्री [माठर माठर-गोत्र में उत्पन्न माउलिअ देखो मउलिअ (से ११, ६१)।..
१४७ षड्)। २ स्त्री. चन्द्र-वधू (दे ६,
१४७)। (णेदि ४६) माउलिंग देखो माहुलिंग (राज)। माढरी स्त्री [माठरी वनस्पति-विशेष (पएण
माणंसि देखो मणंसि (काप्र १६६; संक्षि माउलिंगा स्त्री [मातुलिङ्गा, गी] बोजौरे १-पत्र ३६) ।
१७; षड्)। माउलिंगी का गाछ (पएण १-पत्र माढिअ वि [माठित] सन्नाह-युक्त, वर्मित
माणण न [मानन] १ प्रादर, सत्कार ३२ पउम ४२, ६)। (कुमा)।
(प्राचा) । २ मानना (रयण ८४)। ३ माउलुंग देखो माहुलिंग (हे १, २१४ माढी स्त्री [माठी] कवच, वर्म, बख्तर (दें ६, |
अनुभव । ४ सुख का अनुभवः 'सुइसमागणे १२८ टी; पण्ह १, ३–पत्र ४४ पान; से
(पजि ३१)। मागंदिअ [माकन्दिक] माकन्दिकपुत्र
माणणा स्त्री [मानना] ऊपर देखो (पएह २, नामक एक जैन मुनि (भग १५-१टी) माण सकमानय1१ सम्मान करना, आदर
१. रयण ८४)। पुत्त पुं[पुत्र] वही अर्थ (भग १८, ३)
करना । २ अनुभव करना । माणइ, माणेइ, माणय देखो माण % (दे) (सुपा ३५८)। मागसीसी स्त्री [मार्गशीर्षी] १ अगहन मास मारणंति, मारणेमि (हे १,२२८ महा; कुमाः माणव पुं [मानव] १ मनुष्य, मत्यं (पानः को पूर्णिमा। २ अगहन की अमावास्या सिरि ६६) । वकृ. मात, माणेमाण सुपा २४३) । २ भगवान् महावीर का एक
(सुर २, १८२० रणाया १,१-पत्र ३३)। गण (ठाह-पत्र ४५१ कप्प)।मागह । वि [मागध क] १ मगध- कवकृ. माणिज्जंत (गा ३२०) । हेक. | माणवग। [मानवक] १ एक निधि, मागय । देशीय, मगध देश में उत्पन्न, मगध । माणिउं, माणेउं (महाः कुमा) । कृ. माणवय अस्त्र-शस्त्रों की पूत्ति करनेवाला देश का, मगध-संबन्धी (प्रोघ ७१३; विसे माणणिज, माणणीअ माणेयव्य (उव: निधि (उप ६८६ टी; ठा -पत्र ४४६; १४६६ पव ६१; णाया १, ८ पउम ६६, सुर १२, १६५ अभि १०७ उप १०३१ | इक)। २ ज्योतिष्क ग्रह-विशेष, एक महाग्रह ५५) । २ पुं. स्तुति-पाठक, बन्दी, चारण टी); 'जया य माणिमो होइ पच्छा होइ - (ठा २, ३, सुज २०)। ३ सौधर्म देवलोक (पाम; औप)। भासा स्त्री [भाषा] देखो माणिमो' (दसचू १, ५)।
का एक चैत्य-स्तम्भ (सम ६३)। मागहिआ का पहला अर्थ (राज)- माण पुन [मान] १ गवं, अहंकार, अभिमानः माणवी स्त्री [मानवी] एक विद्या-देवी (संति मागहिआ स्त्री [मागधिका] १ मगध देश 'भड्ढद्धीकयमाणिणिमाणों (कुमा), 'पुवं की भाषा, प्राकृत भाषा का एक भेद । २ विबुहसमक्खं • गुरुणो एयस्स खंडियं माणं' माणस न [मानस] १ सरोवर-विशेष (पएह कला-विशेष (प्रौप)। ३ छन्द-विशेष (सुख (सम्मत्त ११९) । २ माप, परिमाण । ३ १, ४ मोपः महा, कुमा)। २ मन, अन्त:२, ४५ प्रजि ४)
नापने का साधन, बाट-बटखरामादि (मराः। करण (पाम; कुमा) । ३ कि. मन-संबन्धी,
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