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माणसिअ-मायण्डिया
पाइअसहमहण्णवो
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मन का (सुर ४, ७५)। ४ पुं. भूतानन्द के माणुस्स देखो माणुस (आचाः औप; धर्मवि मामि अ. सखी के आमन्त्रण में प्रयुक्त किया गन्धर्व-सैन्य का नायक (इक)।
१३; उपपं २, विसे ३००७); 'माणुस्सं जाता अव्यय (हे २, १९५; कुमा)। माणसिअ वि मानसिक] मन-संबन्धी, मन लोग' (ठा ३, ३–पत्र १४२), 'माणुस्सगाई मामिया। स्त्री [दे] मामा की बहू (विपा का (श्रा २४ औप)। भोगभोगाई' (कप्प)
मामी १,३-पत्र ४१, ३६, ११२, माणसिआ स्त्री [मानसिका] एक विद्या-देवी | माणुस्स । न [मानुष्य, क] मनुष्यत्व, गा २०४७ प्राकृ ३८)। (संति ६)।
माणुस्सयमानुसपन, मनुष्यता (सुपा १६६ माय वि [मात] समाया हुमा (कम्म ५, माणि वि [मानिन्] १ मान-युक्त, मानवाला स १३१ प्रासू ४७ पउम ३१, ८१)। ८५ टी; पुप्फ १७२; महा)।(उव, कुप्र २७६; कम्म ४, ४०) स्त्री. माणुस्सी देखो माणुसी (पव २४०)।
माय वि [मायावत् ] कपटवाला, 'कोहाए "णिणी (कुमा)। २ पुं. रावण का एक माणूस देखो माणुस (सुर २, १७२; ठा ३,
२, माणाए मायाए लोभाए' (पडि)। सुमट (पउम ५६ २) । ३ पर्वत-विशेष । ४ । ३–पत्र १४२)।
माय देखो मे त = मात्र; 'लोमुक्खण्णमायमवि' कूट-विशेष (राजः इक) 10 | माणेसर पुं[माणेश्वर] माणिभद्र यक्ष (भवि)।
(सूप २, १, ४८) माणिअ वि [दे. मानित] अनुभूत (दे ६, माणोरामा (अप) स्त्री [मनोरमा] छन्द-विशेष
माय देखो माया = माया (प्राचा)। १३०; पान)
(पिंग)। माणिअ वि [मानित] सत्कृत (गउड)। मातंग देखो मायंग (प्रौप)।
माय देखो मत्ता = मात्रा। न वि [s] माणिक न [माणिक्य रत्न-विशेष, माणिक मातंजण देखो मायंजण (ठा २, ३ ---पत्र
परिमाण का जानकार (सूम २, १, ५७)। (सुपा २१७; वजा २०; कप्पू)। ८०)।
मायइ स्त्री [दे] वृक्ष-विशेष (पउम ५३, माणिग देखो माणि (पउम ७३, २७)। मातुलिंग देखो माहुलिंग (पाचा २, १, ८,
७६)
मायंग पु[मातङ्ग] १ भगवान सुपार्श्वनाथ माणिभद पुं[माणिभद्र] १ यक्ष-निकाय के उत्तर दिशा का इन्द्र (ठा २, ३–पत्र ८५
का शासनयक्ष । २ भगवान महावीर का मादलिआ स्त्री [दे] माता, जननी (दे ६, इक)। २ यक्षदेवों की एक जाति (सिरि
शासन-यक्ष (संति ७,८)। ३ हस्ती, हाथी १३१)।
(पान; सुर १, ११)। ४ चाण्डाल, डोम ६६६; इक)। ३ देव-विशेष । ४ शिखर- मादु देखो माउ % स्त्री (प्राकृ८)
(पास)। विशेष (राज; इक)। ५ एक देव-विमान माधवी देखो माहवी = माधवी (हास्य १३३)
मायंगी स्त्री [मातङ्गी] १ चाण्डालिन (निचू (राज) माभाइ पुत्री [दे] अभय-प्रदान, अभय-दान, |
१) । २ विद्या-विशेष (प्राचू १)। माणिम देखो माण = मानम् ।
अभय (दे ६, १२६; षड्) ।
| मायंजण पुं [मातञ्जन] पर्वत-विशेष (इक)। माणी स्त्री [मानिका] २५६ पलों का एक माभीसिअ न [दे] ऊपर देखो (द ६,
मायंड पु[मार्तण्ड] सूर्य, रवि (सुपा २४२० माप (मणु १५२)। १२६)
कुप्र ८७)। माणुस पुन [मानुष] १ मनुष्य, मानव, माम अ. कोमल आमन्त्रण का सूचक अव्यय
मायंद पु [दे. माकन्द] आम्र, आम का मत्यं (सून १, ११, ३; पण्ह १, १; उव; (पउम ३८, ३६)।
पेड़ (हे २, १७४; प्रातः दे ६, १२८; कुप्र सुर ३, ५६ प्रातः कुमा); 'जं पुण हिययावंदं माम । [दे] मामा, माँ का भाई (सुपा जणेइ तं माणुसं विरल' (कुप्र ६), 'मयाणि
७१, १०६) । मामग, १६:१६५)। माइपिइपमुहमाणुसारिण सव्वाणि (कप्र २६)। मामग) वि [मामका १ मदीय, मेरा मायदिअ देखो मार्गदिअ (भग १८,१) २ वि. मनुष्य-संबन्धीः 'तिविहं कहावत्थु ति
मामय) (प्राचा; अच्चु ७३) । २ ममतावाला मायंदी स्त्री [माकन्दी] नगरी-विशेष (स ६; पुवायरियपवानो, तं जहा, दिव्वं दिव्वमाणसं (सूत्र १, २, २, २८)।
कुप्र १०६) माणुसं च' (स २)
मामय देखो मामग = (दे) (पउम ९८, ५५; मायंदी स्त्री [दे] श्वेताम्बर साध्वी (६, माणुसी स्त्री [मानुषी] १ स्त्री-मनुष्य, मानवी
१२६)। (पव २४१, कुप्र १६०) । २ मनुष्य से मामा स्त्री [दे] मामी, मामा की बहू ( दे ६, मायण्हिया स्त्री [मृगतृष्णि का] किरण में संबन्ध रखनेवालीः 'माणूसी भासा' (कप्र ११२)।
जल की भ्रान्ति , मरु-मरीचिका; ६७)।।
मामाय वि [मामाक] 'मा' 'मा' बोलनेवाला, ___ 'जह मुद्धमो मायरिहयाए माणुसुत्तर । पु[मानुषोत्तर] १ पर्वत- निवारक (मोघ ४३५) ।
तिसिमो करेइ जल-बुद्धि । >माणुसोत्तर विशेष, मनुष्यलोक का सीमा- मामास पुं [मामाष] १ अनार्य देश-विशेष । तह निविवेयपुरिसो कारक पर्वत (राज ठा ३, ४, पीव ३) । २ २ अनायं देश में रहनेवाली मनुष्य-जाति
कुण्इ अधम्मेवि धम्ममई' न. एक देव-विमान (सम २)। (इक)।
(सुपा ५००)
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