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पाइअसहमणवो
हजार योद्धाओं के साथ अकेला जूझनेवाला (१, २, १, १ र
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[ रथिन ] देखो पूर्व का रस और (उप ७२६ राय ["राज] १ बड़ा राजा, राजाधिराज ( उप ७६८ टी; रंभा महा) । २ सामानिक देव, इन्द्रसमान ऋद्धिवाला देव (सुर १५, ६) । ३ लोकपाल देव (सम ८६)) रिट्ठपुं [रिष्ठ ] बलि नामक इन्द्र का एक सेनापति (इक) । "रिसि[ऋषि] वा मुनि, चेष्ठ साधु ( उव) रिह, रुह देखो मह - रिह (पि १४०; अभि १८७) रोरु पुं [रोरु ] प्रतिष्ठान नरकेन्द्रक की उत्तर दिशा में स्थित एक नरकावास (देवेन्द्र २४ ) । रोरुअ पुं [शेरुक, 'रीरख] सातवी मरक-भूमि का एक नरकवास नरक स्थान (सम ५८, ठा ५, ३ – पत्र ३४१; इक ) + रोहिणी स्त्री [रोहिणी] एक महा-विद्या (राज) । लंजर पुं [अलञ्जर] बड़ा जल-कुम्भ (ठा ४, २- पत्र २२६) । लच्छी स्त्री ['लक्ष्मी ] १ एक श्रेष्ठि-भार्या (उप ७२८ टी) । २ छन्दविशेष (पिंग)। ३ श्रेष्ठ लक्ष्मी । ४ लक्ष्मीविशेष (नाट) । लयंग न [ 'लताङ्ग ] संख्या- विशेष, लता नामक संख्या को चौरासी लाख से गुरणने पर जो संख्या लब्ध हो वह ( इक जो २) लया स्त्री [लता] संख्याविशेष, महालतांग को चौरासी लाख से गुरगने पर जो संख्या लब्ध हो वह ( जो २ ) । - 'लोहिअक्ख' ["लोहिताक्ष] क्लीन्द्र के महिनका अभिपति (५, १ ३०२; इक) । 'वक्कन [ वाक्य ] परस्परसंबद्ध श्रर्थं वाले वाक्यों का समुदाय (उप ८५९)[स] विजय-विशेष विदेह वर्षं का एक प्रान्त (ठा २, ३ इक) 'बच्छा स्त्री ['वत्सा] वही ( इक ) x वण न [वन] मथुरा के निकट का एक वन (ती ७) वण पुंन [आपण ] बड़ी दुकान (भय) प [व] विजयशेष- विशेष (ठा २, ३ - पत्र ८०; इक) वय देखो मह-व्यय ( सुपा ६५० ) । वराह पुं [ह] १ विष्णु का एक धरतार (गड)। २ बड़ा सूअर (सूत्र १,७, २५) । वह
देखो 'पह (से १, ५८) वाउ पुं [वायु ] ईशानेन्द्र के बल-सैन्य का अधिपति (ठा ५, १- पत्र ३०३; इक) । 'वाड पुं [वाट ] बड़ा बाड़ा, महान गोष्ठ; 'निव्वाणमहावाडं' ( उवा) विगइ स्त्री [विकृति] अति विकारजनक वस्तु मधु, मांस, मच धीर माखन (ठा ४, १ – पत्र २०४; अंत ) । "विजय वि [विजय ] बड़ा विजयवाला 'महाविजयसरपरवाच महात्रिमा शामी' (क) 'विदेह ["विदेश] वर्ष विशेष क्षेत्र-विशेष (सम १२ वा श्रीम अंत) विमाण न ["विमान] श्रेष्ठ देवगृह (उवा) । विल न [बिल] कन्दरा श्रादि बड़ा विवर (कुमा) । वीर पुं [वोर] १ वर्तमान समय के अन्तिम तीर्थंकर (सम १३ उवा विपा १, १ ) । २ वि. महान् पराक्रमी (किरात १६ ) + वीरिअ पुं [वीर्य ] इक्ष्वाकु वंश के एक राजा का नाम (पउम ५, ५) वीहि 'वीही स्त्री [वोथि, 'थी] बड़ा बाजार ( पउम ६६, ३४) । २ श्रेष्ठ मार्ग (श्रांचा) । 'वेग [ वेग ] एक देव-जाति, भूतों की एक प्रकार की जाति (राजः इक) वैजयंती स्त्री [° वैजयन्ती ] बड़ी पताका विजय पताका, (कप्पू ) । सई [ती] उत्तम पतिव्रता स्त्री (उप ७२८ टी. पडि) । सउणि स्त्री [शकुनि ] एक विद्याधर- स्त्री ( परह १, ४ – पत्र ७२) । सड्ढि वि [श्रद्धिन् ] बड़ी श्रद्धावाला (प्राचापि ३३३) । सत्त वि [ "सत्त्व ] पराक्रमी ( ११ महा "समुह ' ["समुद्र ] महासागर (बा) सवग "समय ["शवक] भगवान् महावीर का एक उपासक ( उवा) । 'सामाण न
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विदेह का एक प्रान्तका २, ३ एक)[सामान] एक देव- विमान (सम ३२ ) ।
साल [शाल ] एक युवराज ( पडि) 1 "सिलाटव["शिलाण्टक ] राजा कि मोर टकराव की लड़ाई (भाग ७ पत्र ११५) सीद ["सिंह] एक राजा, षष्ठ बलदेव और वासुदेव का पिता (डा पत्र ४४७) 'सीहणिकीलिय, सहनिकीलियन [सिंहनिक्रीडित] उप-विशेष (राज पव २७१ - गाथा १५२२) सीहसेण पुं [ 'सिंहसेन ]
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महाअत- महाणस
भगवान् महावीर के पास दीक्षा लेकर अनुत्तर देवलोक में उत्पन्न राजा श्रेणिक का एक पुत्र ( अनु २ ) सुक्क [शुक्र ] १ एक देवलोक देवलोक ( १३ विपा २, १) । २ सातवें देवलोक का इन्द्र (ठा २, ३--पत्र ८५) । ३ न. एक देव - विमान (सम ३३) सुमिण पुं ["स्वप्न ] उत्तम फल का एक सूचक स्वप्न (गाया १, १ – पत्र १३ पि ४४७) सुर [असुर ] १ बड़ा दानव । २ दानवों का राजा हिरण्यकशिपु ( से १, २ गउड) । सुव्वय, सुव्वया श्री [वता] भगवान नेमिनाथ की दु श्राविका (कप्प श्रावम ) ) 'सूला स्त्री [शूला ] फाँसी (श्रा २७ ) से पुं [ श्वेत] एक इन्द्र, कूष्माण्ड नामक वानव्यन्तर देवों का उत्तर दिशा का इन्द्र (इक;
ठा २, ३ – पत्र ८५ ) से [सेन] १ ऐरवत क्षेत्र के एक भावी जिन देव (सम १५४) । २ राजा श्रेणिक का एक पुत्र जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा ली थी ( अनु २ ) । ३ एक राजा (विपा १, ६पत्र ८८ ) । ४ एक यादव ( गाया १, ५) । ५ न. एक वन (विसे २०८९ ) । देखो मह-सेण सेणकण्डू [सेनकृष्ण] राजा श्रेणिक का एक पुत्र ( प ५२) । "सेकण्डा श्री [ सेनकृष्णा ] राजा रिंक की एक पाली (२५) 'सेल [शेल] [१] बड़ा पर्यंत (गाया ११) २ न. नगर- विशेष ( पउम ५५, ५३) । 'सोआम, सोदाम ["सौदाम] वैरोचन बली के अका अधिपति (ठा ५. १ इक) हरिपुं [हरि] एक नर-पति दसवें चक्रवर्ती का पिता (सम १५२ ) । "हिमय, "हिमवंत [हिमवत् ] पर्वत- विशेष (पउम १०२, १०५ ठा २, २० मा २ देव-वशेष ( ४ ) 1महाअत्तवि [दे] श्रव्य, श्रीमन्त (दे ६, ११९) । महाइय पुं [दे] महात्मा (भवि ) । महागड [दे. महानट] ख महादेव (दे ६, ४, १२१) IV.
महासन [महानस ] रसोई पर पाक थान ( रणाया १८ गा १३३ उप २५६ टी) ।
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