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६७८ पाइअसहमहण्णवो
महापुत्र (निर १, १), कण्हा स्त्री ["कृष्णा] कुल न [कुल] १ श्रेष्ठ कुल (निचू ८)। नीला (राज) । णुभाअ, णुभाग वि राजा श्रेणिक की एक पत्नी (अंत २५)। २ वि. प्रशस्त कुल में उत्पन्न निक्खंता जे [अनुभाग] महानुभाव, महाशय (नाट'कप्प ' [कल्प] १ जैन ग्रन्थ विशेष महाकुला' (सून १, ८, २४)। गंगा स्त्री मालती ३६ गच्छ १, ४ भग; सिरि १६)(णंदि)। २ काल का एक परिमाण (भग [गङ्गा] परिमाण-विशेष (भग १५) । गह णुभाव वि [°अनुभाव] वही अर्थ (सुर १५), कमल न ['कमल] संख्या-विशेष, पुं[ग्रह] १ सूर्य प्रादि ज्योतिष्क (साधं २, ३५ द्र ६६) । तमपहा स्त्री [तमःचौरासी लाख महाकमलांग की संख्या (जो ८७) । गह वि [ आग्रह] आग्रही, हठी प्रभा] सप्तम नरक-पृथिवी (पव १७२) । २)। कव्य देखो मह-कव्व (सम्मत्त (साध ८७). "गिरि पु [गिरि] १ एक 'तमा स्त्री [तमा] वही (चेइय ७५६) । १४६)। काय पूं [काय] १ महोरग जैन महाष (उव; कप्प)। २ बड़ा पवत
जैन महर्षि (उव; कप्प)। २ बड़ा पर्वत तीरा स्त्री [तीरा] नदी-विशेष (ठा ५, देवों का उत्तर दिशा का इन्द्र (ठा २, ३, (गउड), गोव पुं[गोप] १ महान् रक्षक। ३–पत्र ३५१) तुडिय न [°त्रुटित] इक)। २ वि. महान् शरीरवाला (उवा)। २ जिन भगवान (उवा विसे २६५६) महात्रुटितांग को चौरासी लाख से गुणने पर काल पुं [ काल] १ महाग्रह-विशेष, एक 'घोस पुं[घोष] १ऐरवत क्षेत्र के एक जो संख्या लब्ध हो वह, संख्या-विशेष (जो ग्रह-देवता (सुज्ज २० ठा २, ३)। २ भावी जिनदेव (सम १५४)। २ एक इन्द्र, २) दामद्वि. [दामास्थि] ईशानेन्द्र दक्षिण लवण-समुद्र के पाताल-कलश का स्तनित कुमार देवों का उत्तर दिशा का इन्द्र के वृषभ-सैन्य का अधिपति (इक) । दामढि अधिष्ठायक देव (ठा ४,२-पत्र २२६)। (ठा २, ३-पत्र ८५)। ३ एक कुलकर पुं [दामद्धि] वही अर्थ (ठा ५, १-पत्र ३ एक इन्द्र, पिशाच-निकाय का उत्तर दिशा पुरुष (सम १५०)। ४ परमाधार्मिक देवों ३०३)। दुम देखो मह-दुदुम (इक)। का इन्द्र (ठा २,३-पत्र ८५)। ४ परमा- की एक जाति (सम २६)। ५ न. देवविमान- २ न. एक देव-विमान (सम ३५) । दुमसेण धार्मिक देवों की एक जाति (सम २८)। ५ विशेष (सम १२; १७)। चद पं [°चन्द्र]-पु[द्र मसेन] राजा श्रेणिक का एक वायु-कुमार देवों का एक लोकपाल (ठा ४,
ऐरवत वर्ष के एक भावी तीर्थकर (सम पुत्र जिसने भगवान महावीर के पास दीक्षा १-पत्र १९८)। ६ वेलम्ब इन्द्र का एक १५४)। जणि पं [जनिक श्रेष्ठी, ली थी (अनु २) देव पुं [देव] १ श्रेष्ठ लोकपाल (ठा ४,१-पत्र १९८)। ७ नव सार्थवाह आदि नगर के गएय-मान्य लोग देव, जिन-देव (पउम १०६, १२) । २ शिव, निधियों में एक निधि, जो धातुओं की पूर्ति (कुमा)। जलहि पुं, [जलधि महा-सागर गौरी-पति (पउम १०६, १२ सम्मत्त ७६)।' करता है (उप ९८६ टी; ठा ६-पत्र (सुपा ४७४) । जस [ यशस् ] १ भरत देवी स्त्री [°देवी] पटरानी (कप्पू), धण ४४६)। ८ सातवीं नरक-भूमि का एक चक्रवर्ती का एक पौत्र (ठा ८-पत्र ४२६)।
पु[धन] एक वणिक (पउम ५५, ३८) नरकावास (ठा ५, ३-पत्र ३४१, सम २ ऐरवत क्षेत्र के चतुर्थ भावी तीर्थंकर-देव
'धणु पु[ धनुष्] बलदेव का एक पुत्र ५८)। ६ पिशाच देवों की एक जाति (सम १५४) । ३ वि. महान् यशस्वी (उत्त
(निर १, ५)4°नई स्त्री [ नदी] बड़ी नदी (राज)। १० उज्जयिनी नगरी का एक १२, २३) । जाइ स्त्री [जाति गुल्म
(सम २७, कस) - नंदिआवत्त देखो प्राचीन जैन मन्दिर (कुप्र १७४)। ११ शिव, विशेष (पएण १)। जाण न [यान] १
'गंदियावत्त (इक) । नगर न [ नगर] महादेव (प्राव ६)। १२ उज्जयिनी का एक बड़ा यान-वाहन । २ चारित्र, संयम
बड़ा शहर (पएह २, ४)। 'नय पु [ नद] श्मशान (अंत)। १३ राजा श्रेणिक का (प्राचा)। ३ एक विद्याधर-नगर का नाम
ब्रह्मपुत्रा आदि बड़ी नदी (प्रावम)। नलिण एक पुत्र (निर १, १)। १४ न. एक देव- (इक) । ४ . मोक्ष, मुक्ति (प्राचा)। जुद्ध
न [ नलिन] १ संख्या-विशेष, महानलिनांग विमान (सम ३५) । काली स्त्री [ काली] | न [युद्ध] बड़ी लड़ाई (जीव ३)। जुम्म
को चौरासी लाख से गुणने पर जो संख्या १ एक विद्या-देवी (संति ५)। २ भगवान् । पुन['यग्म] महान राशि (भग ३५) लब्ध हो वह (जो २)। २ एक देव-विमान सुमतिनाथ की शासन-देवी (संति ९)। ३ ण देखो यण; 'गामदुप्रारब्भासे अगडसमीवे |
(सम ३३)। नलिणंग न [नलिनाङ्ग] राजा श्रेणिक की एक पत्नी (अंत २५) महारणमझे वा' (प्रोध ६६), णई स्त्री संख्या-वशष, नालन का चारासा लाख स "किण्हा स्त्री [कृष्णा] एक महा-नदी (ठा [ नदी] बड़ी नदी (गउडा पउम ४०, १३) गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह ५; ३–पत्र ३५१) । कुमुद, कुमुय न | दियावत्त पु. [नन्द्यावर्त] १ घोष (जो २) 4 निजामय पुं [निर्यामक] [कुमुद] १ एक देव-विमान (सम ३३)। नामक इन्द्र का एक लोकपाल (ठा ४,१- श्रेष्ठ कर्णधार (उवा)। निद्दा स्त्री [निद्रा] २ संख्या-विशेष, चौरासी लाख महाकुमुदांग पत्र १९८)। २ न. एक देवविमान (सम मृत्यु, मरण (पउम ६, १९८), निनाद, की संख्या (जो २)। कुमुयअंग न [°कुमु- ३२) । °णगर देखो नगर (राज)। निनाय वि [निनाद] प्रख्यात, प्रसिद्ध दाङ्ग] संख्या, कुमुद को चौरासी लाख से लिण देखो नलिण (राज) । °णील न (प्रोघ ८६ ८६ टी) । निसीह न गुणने पर जो संख्या लब्ध हो वह (जो २)। ['नील] १ रल-विशेष । २ वि. अति नील [निशीथ एक जैन आगम-ग्रन्थ (गच्छ ३, कुम्म पुं [कूमे] कूर्मावतार (गउड)। वर्णवाला (जीव ३; प्रौप)। °णीला देखो । २६)। 'नीला स्त्री [ नीला] एक महानदी
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