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पाइअसद्दमहण्णवो
मर-मरुद्देवा
मरमाण (गा ३७५ प्रासू ६४; सुपा ४०५; निवासी, मराठा (पएह १, १-पत्र १४ । पर्वत, ऊँचा पहाड़ (निचू ११)। ४ वृक्षभगः सुपा ६५१ प्रासू ८३) । संकृ.मरिऊण | पिंग) । ५ छन्द-विशेष (पिंग)
विशेष, मरुया, मरुवा (पण्ह २, ५-पत्र (पि ५८६)। हेकृ. मरिउं, मरे (संक्षि मरहट्ठी स्त्री [महाराष्ट्री] १ महाराष्ट्र की | १५०)। ५ ब्राह्मण, विप्र (सुख २, २७)। ३४) । कृ.मरियव्व (अंत २४, सुपा २१५, | रहनेवाली स्त्री। २ प्राकृत भाषा का एक भेद ६ एक नृप वंश । ७ मरु-वंशीय राजाः 'तस्स ५०१, प्रासू १०६), मरिएब्बउं (अप) | (पि ३५४)।
य पुढोए नंदो परणपन्नसयं च होइ वासाणं । (हे ४, ४३८)
मराल वि [दे] अलस, मन्द, पालसी (दे ६, मरुयारणं अट्ठसयं' (विचार ४६३)। ८ मरु मर पुं[दे] १ मशक । २ उल्लू, घूक (दे ६, ११२ पाप) ।
देश का निवासी (पण्ह १. १) । कतार न १४०)।
मराल 'मराल] १ हंस पक्षी (पाप)।२ ["कान्तार] निर्जल जंगल (अच्चु ८५) । मरअद। पुंन [मरकत] नील वर्णवाला छन्द-विशेष (पिंग)।
स्थली श्री [स्थली] मरु-भूमि (महा)। मरगय । रत्न-विशेष, पन्ना (संक्षि हे
मराली स्त्री [दे] १ सारसी, सारस पक्षी की। "भू स्त्री [भू] वही (श्रा २३)। य वि १, १८२; प्रौप; षड् गा ७५, काप्र ३१);
| मादा । २ दूती। ३ सखी (दे ६, १४२)। [ज] मरु देश में उत्पन्न (पराह १,४'परिकम्मिनोवि बहुसो कारो कि मरगयो मरिअ वि [मृत] मरा हुआ (सम्मत्त १३६)M पत्र ६८) होई' (कुप्र ४०३)।
मरिअ वि [दे] १ त्रुटित, टूटा हुआ। २ | मरुअ देखो मरु = मरुत् (पराह १, ४-पत्र मरजीवय पुं [दे. मरजीवक समुद्र के भीतर विस्तोणं (षड्) ।
६८)। २ एक देव-जाति (ठा २, २)उतर कर जो वस्तु निकालने का काम करता
| मरिअ देखो मिरिअ (प्रयौ १०५; भास कुमार पुं [कुमार] वानरद्वीप के एक है वह (सिरि ३८५) । ८ टी)।
राजा का नाम (पउम ६, ६७) वसभ मरिइ देखो मरीइ; 'अह उप्पन्ने नाणे जिरणस्स, | पुं[वृषभ] इन्द्र (पएह १, ४-पत्र ६८)। मरट्ट [दे] गवं, अहंकार (दे ६, १२०;
| मरिई तो य निक्खंतो' (पउम ८२, २४)। मरुअअ ) [मरुबक] वृक्ष-विशेष, मरुमा, सुर ४, १५४ प्रासू ८५, ती ३; भविः सण
मरिस सक [मृष्] सहन करना, क्षमा मरुअग) मरुवा (गउड; परण १-पत्र हे ४, ४२२, सिरि ९६२); 'अखिलमइ
करना । मरिसइ, मरिसेइ, मरिसेउ (हे ४, ३४)। (?र)ट्टकंदप्पमहरणे लद्धजयपडायस्स' (धर्मवि
२३५; महाः स ६७०) । कृ. मरिसियव्य मरुआ स्त्री [मरुता] राजा श्रेणिक की एक ६७)। (स ६७०)।
पत्नी (अंत)। मरट्टा स्त्री [दे] उत्कर्ष,
मरिसावणा स्त्री [मर्षगा] क्षमा (स ६७१)। मरुइणी स्त्री [मरुकिणी] ब्राह्मण-स्त्री, ब्राह्मणी 'एईइ प्रहरहरिपारुणिममरट्टाई
मरीइ पुं[मरीचि ( भगवान् ऋषभदेव का (विसे ६२८)।। (?) लजमाणाइ। एक पौत्र और भरत चक्रवर्ती का पुत्र, जो | मरुंड देखो मुरुड (अंतः प्रौप; गाया १, बिबफलाई उबंधणं व
भगवान् महावीर का जीव था (पउम ११, १-पत्र ३७) । ___ वल्ल्लीसु विरयंति॥
६४) । २ पुंस्त्री. किरण (पएह १, ४-पत्र मरुकुंद पुं [दे. मस्कुन्द] मरुया, मरुवे का (कुप्र २६६) ७२ धर्मसं ७२३) ।
गाछ (भवि) मर? (अप) देखो मरहट्ट (पिंग)। मरीया स्त्री [मरीचिका] १ किरण-समूह । मरुग देखो मरुअमरुक (पएह १,१मरढ देखो मरहट्ट । स्त्री. 'ढी (कप्पू)। २ मृग-तृष्णा, किरण में जल भ्रान्ति (राज) पत्र १४; इक)। मरण न मा मौत. मत्य (प्राचाः भगः मरीचि देखो मरीइ (प्रौपः सुज १,६)।- मरुदेव पुं [मरुदेव] १ ऐवत क्षेत्र में पान; जी ४३; प्रासू १०७; ११६); 'सेसा मरीचिया देखो मरीइया (प्रौप)।
उत्पन्न एक जिनदेव (सम १५३)। ३ एक मरणा सव्वे तब्भवमरण पायवा' (पव मरु [ मरुत्] १ पवन, वायु । २ देव,
कुलकर पुरुष का नाम (सम १५०; पउम
देवता । : सुगन्धी वृक्ष-विशेष, मरुया, मरुवा मरल गक मराल- मराल, हंस (प्राकृ५) पिड)। ४ हनुमान का पिता (पउम ५३.! मरुदवा खामरुदया, वा] १ भगवान मरह सक[ मृप] क्षमा करनाः ‘खमंतु ७६) । णदग पुं ['नन्दन] हनूमान्
मरुदेवी ऋषभदेव की माता का नाम (उवः मरहंतु रणं देवाणुप्पिया' (णाया १, ८- (पउम ५३, ७६) । स्सुय पुं [°सुत] वही
सम १५०, १५१)। २ राजा श्रीरिणक की पत्र १३५)।(पउम १०१, १) । देखो मरुअ = मरुत् ।।
एक पत्नी, जिसने भगवान् महावीर के पास मरहट्ठ पुन [महाराष्ष्ट] १ बड़ा देश । २ मरु पुं[मरु, क] १ निर्जल देश
दीक्षा लेकर मुक्ति पाई थी (अंत)। देश-विशेष, महाराष्ट्र, मराठाः 'मरहट्ठो मरहट्ठ मरुअ (णाया १, १६-–पत्र २०२, मरुद्देवा स्त्री [मरुद्देवा] भगवान् महावीर के (हे १, ६६७ प्राकृ ६ कुमा)। ३ सुराष्ट्र प्रौप)। २ देश-विशेष, मारवाड़ (ती ५ पास दीक्षा लेकर मुक्ति पानेवाली राजा (कुमा ३, ६०)। ४ पुं. महाराष्ट्र देश का महा; इक; पएह १, ४–पत्र ६८) । ३ । धेरिणक को एक पत्नी (अंत २५)।
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