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मयंक-मर पाइअसहमहण्णवो
६७३ सिंह, केसरी (पउम २, १७, उप पू ३०)। [तालङ्क] छन्द-विशेष (पिंग) । "तेरसी ५४)। हर पुन [गृह] वही (पाम; से 'लंछण पुं [ लाञ्छन] चन्द्रमा (पामः | स्त्री [त्रयोदशी] चैत्र मास की शुक्ल | १, १०४, ४८; वजा १५४; भवि)। कुमा; सुर १३, ५३)। लोअणा स्त्री त्रयोदशी तिथि (कुप्र ३७८)। "दुम पुं | भयरंद पुं [दे. मकरन्द] पुष्प-रज, पुष्प[ रोचना] गोरोचन, गोरोचना, पीत-वर्ण ["द्र म] वृक्ष-विशेष (से ७, ६६) । "फल न
पराग (दे ६, १२३; पाप कुमा ३, ५४) । द्रव्य-विशेष (अभि १२७) । रि पुं[रि] [फल] फल-विशेष, मैंनफल; 'तो तेणुप्पलं
मयरंद पुं [मकरन्द] पुष्प-रस, पुष्प-मधु (दे सिंह (पान)। रिदमण पुं[रिदमन] मयणफलेरण भावियं मणुस्सहत्थे दिन्नं, एवं
६, १२३, सुर ३, १०० प्रासू ११३: कुमा)। राक्षस-वंश का एक राजा, एक लंका-पति वररुइस्स देजाहि' (सुख २, १७)। मजरी (पउम ५, २६२)। हिव पुं[धिप]
मयल देखो मइल = मलिन (सुपा २६२) । स्त्री [मअरी] १ राजा चण्डप्रद्योत की एक सिंह, केसरी (पामा स ६)। देखो मिअ, स्त्री का नाम । २ एक श्रेष्ठि-कन्या (महा)। मयलणा देखो मइलणा (सुपा १२४, २०६)। मिग% मृग।
"रेहा स्त्री [खा] एक युवराज की पत्नी मालवुत्ती [दे] देखो मइलपुत्ती (दे ६, मयंक ) देखो मिअंक (हे १,१७७; १८००
(महा)। वेय ( [वेग] पुरुष-विशेष का १२५) ।। मयंग कुमाः षड्; गा ३६६ रंभा)। नाम (भवि) । सुंदरी स्त्री [सुन्दरी] राजा मयलिअ देखो मलिणि (उप ७२८ टी)। मयंग देखो मायंग=मातंग; 'कूबर वरुणो |
श्रीराल की एक पत्नी (सिरि ५३)। 'हरा
मयल्लिगा स्त्री [मतल्लिका] प्रधान, श्रेष्ठ, , भिउडी गोमेहो वामण मयंगों' (पव २६) स्त्री [गृह] छन्द विशेष (पिंग) हल देखो
'कूडक्खरविप्रो(?उ)मयल्लिगाणं' (रंभा १७)।
फल; 'भयरणहलगंधरो ता उव्वमिया चंदमयंग ' [मृदङ्ग] वाद्य-विशेष (प्राकृ ८)। हाससुरा' (धर्मवि ६४)।
मयह देखो मगह। सामिय पुं[स्वामिन] मयंगय पुं [मतङ्गज] हाथी, हस्ती (पउम मयणंकुस पुं[मदनाङ्कश] श्रीरामचन्द्र का
मगध देश का राजा (पउम ६१, ११)। ८०, ६६ उप पृ २६०)। एक पुत्र, कुश (पउम ६७, ६)।
"पुर न [पुर] राज-गृह नगर (वसु)।। मयंगा स्त्री [मृतगङ्गा] जहाँ पर गंगा का मयणसलागा स्त्री [दे. मदनशलाका]
हिवइ पुं[धिपति] मगध देश का राजा प्रवाह रुक गया हो वह स्थान (णाया १, मयणसलाया । मैना, सारिका (जीव १
(पउम २०, ४७)। ४-पत्र ६६)। टी-पत्र ४१, दे ६, ११६)।
मयहर ' [दे] १ ग्राम-प्रधान, ग्राम-प्रवर, मयंतर न [मतान्तर] भिन्न मत, अन्य मत मयणसाला स्त्री [दे. मदनशाला] सारिका
गाँव का मुखिया (पव २६८, महा; पउम
६३, १६) । २ वि. वडील, मुखिया, नायक विशेष (पएह १,१-पत्र ) (भग) मयंद देखो मइंद = मृगेन्द्र (सुपा १२)
'सयलहत्यारोहपहाणमयहरेण' (स २८०%; मयणा स्त्री [दे. मदना] मैना, सारिका (उप १२६ टी, पाव १)।
महानि ४ पउम ६३, १७)। स्त्री. रेिगा, मयंध वि [मदान्ध] मद के कारण अन्धा बना
"रिया, री (उप १०३१ टी; सुर १, ४१; हुआ, मदोन्मत्त (सुर २, ६६)। मयणा स्त्री [मदना] १ वैरोचन बलीन्द्र की
महा सुपा ७६ १२६)। मयग वि [मृतक] १ मरा हुआ। २ न. |
एक पटरानी (ठा ५, १-पत्र ३०२)। २
मयाई स्त्री [दे] शिरो-माला (दे ६, ११५)।। मुर्दा (णाया १, ११० कुप्र २६ औप)। शक्र के लोकपाल की एक स्त्री (ठा ४, १
मयार ([मकार] १ म' अक्षर । २ मका"किञ्च न [कृत्य] श्राद्ध प्रादि कर्म (णाया पत्र २०४)।
रादि अश्लील-प्रवाच्य शब्द: 'जत्थ जयारमयणाय पु[मैनाक १ द्वीप-विशेष । २
मयार समणी जंपइ गिहत्थपच्चक्वं' (गच्छ मयड पुंदे] पाराम, बगीचा (दे ६,
पर्वत-विशेष (भवि)। ११५)।
मयणिज देखो मदणिज (कप्पः पराण १७)। मयाल (अप) देखो मराल (पिंग)। मयण पुं[मदन] १ कन्दपं, कामदेव (पामा मयणिवास पुं[दे] कन्दर्प, कामदेव (दे ६, मयालि पुं [मयालि] जैन महषि-विशेषधरण २५, कुमा; रंभा)। २ लक्ष्मण का १२६) ।।
१ एक अन्तकृद् मुनि (अंत १४)। २ एक एक पुत्र (पउम ६१, २०)। ३ एक वणिक्- मयर ' [मकर] १ जलजन्तु-विशेष, मगर- अनुत्तर-गामी मुनि (अनु १)। पुत्र (सूपा ६१७)। ४ छन्द का एक भेद | मच्छ (मौपः सुर १३, ४६)। २ राशि- मयाली स्त्री [दे] लता-विशेष, निद्राकरी लता (पिंग)। ५ वि. मद-कारक, मादक; 'मयणा विशेष, मकर राशि (सुर १३, ४६; विचार (दे ६, ११६ पान)। दरनिव्वलिया निव्वलिया जह कोदवा तिविहा' १०६) । ३ रावण का एक सुभट (पउम ५६; मर अक [मृ] मरना । मरइ, मरए (हे ४, (विसे १२२०)। ६ न. मीम, मोमः ‘मयणो २६)। ४ छन्द-विशेष (पिंग)। केउ j - २३४ भगः उवः महाः षड्), मर (हे ३, मयणं विम विलीणों (पण २५; पाप सुर [केतु] कामदेव, कन्दर्प (कप्पू) द्धय | १४१) । मरिजइ, मरिजउ (भवि; पि ४७७)। २, २४६)। घरिणी स्त्री [गृहिणी] [ध्वज] वही (पाप, कुमाः रंभा) भूका. मरही, मरीम (आचाः पि ४६६) । काम-प्रिया, रति (कुप्र १०१)। तालंक पुं| लंछण p [लाञ्छन] वही (कप्पू; पि । भवि. मरिस्ससि (पि ५२२) । वक. मरत,
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