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५५६ पाइअसहमहण्णवो
परिणमण-परिणा परिणममाण (ठा ७; णाया १,१-पत्र 'सव्वदन्बपरिणइरूवो परिणामियो सम्वों परिणिय वि [परिणीत] जिसका विवाह ३१)। (विसे २१७६, ३४६५)।
हुआ हो वह (सरण; भवि)। परिणमण न [परिणमन] परिणाम (धर्मसं परिणामिअ वि [परिणमित] परिणत किया परिणिव्वव सक [परिनिर + वापय ] ४७२; उप ८९८)। हमा (पिड ६१२; भग)।
सर्व प्रकार से अतिशय परिणत करना । परिणमिअ) वि [परिणत] १ परिपक्व परिणामिआ स्त्री [पारिणामिको] बुद्धि- संकृ. परिणिव्वविय (कस)। परिणय (पाम)। २ वृद्धि-प्राप्त; 'तह
विशेष, दीर्घ काल के अनुभव से उत्पन्न होने- परिणिव्वा अक परिनिर + वा] १ शान्त परिणमिमो धम्मो जह तं खोभंति न सुरावि' वाली बुद्धि (ठा ४,४)।
होना। २ मुक्ति पाना, मोक्ष को प्राप्त (धर्मवि ८) । ३ अवस्थान्तर को प्राप्त (ठा
परिणाय वि [परिज्ञात] जाना हुआ, परिचित करना। परिणिव्वायंति (भग )। भूका. २, १-पत्र ५३; पिंड २६५)। वय वि (पउम ११, २७)।
परिरिणब्वाईसु (पि २१६)। भाव. परि[वयस्] १ वृद्धः बूढ़ा (णाया १,१
परिणाव सक [परि + णायय् ] विवाह णिवाहिति (भग)। पत्र ४८)।
कराना । परिणावसु (कुप्र ११६) । कृ. परिणिव्वाण न [परिनिर्वाण मुक्ति, मोक्ष परिणयण न [परिण बन] विवाह (उप
परिणावियव्य, परिणावयब (कुप्र ३३०; (पाचा कप्प)। १०१४: सुपा २७१)। १५४)।
परिणिन्वुइ स्त्री [परिनिर्वत] ऊपर देखो परिणयणा स्त्री. ऊपर देखो (धर्मवि १२६)।
परिणावण न [परिणायन] विवाह कराना (राज)। परिणव देखो परिणम । परिणवइ (पारा (सुपा ३६८)।
परिणिव्वुय देखो परिनिव्वुअ (ोप)। ३१ महा)।
परिणाविअ वि [परिणावित] जिसका विवाह परिणी सक [परि + णी] १ विवाह करना। परिणाइ परिज्ञाति] परिचय, 'कह तुज्झ
कराया गया हो वह (सुपा १६५; धर्मवि तेण समयं परिणाई तक्खणेण उप्पनो
२ ले जाना। कवकृ. परिणिज्जंत, परिणीय१३६; कुप्र १४)। (पउम ५३, २५)।
माण (कुप्र १२७, प्राचा)। परिणाहपरिणाह] १ लम्बाई, विस्तार परिणी का परि + गम 1 बाहर निकलना। परिणाम सक [परि + णमय ] परिणत
(पान से ११, १२)। २ परिधि (स ३१२ करना । परिणामेइ (ठा २, २) । कवकृ.
वकृ. परिणित (स ६६१)। ठा २, २)। परिणामिज्जमाण, परिणामेजमाण (भगः
परिणीअ वि [परिणीत] जिसका विवाह परिणिऊण देखो परिण। ठा १०) । हेकृ. परिणामित्तए (भग ३, परिणित देखो परिणी परि + गम् ।
किया गया हो वह (महा प्रासू ६३, सण)। परिणिज्जत देखो परिणी = परि + णी।
परिणील वि [परिनील] सर्वथा हरा रंग परिणाम [परिणाम] १ अवस्थान्तर-प्राप्ति, परिणिज्जरा स्त्री [परिनिर्जरा विनाश, क्षय
का (गउड)। रूपान्तरलाभ (धर्मसं ४७२) । २ दीर्घ काल (पउम ३१, ६)।
परिणे देखो परिणी। परिणेइ (महा; पि के अनुभव से उत्पन्न होनेवाला आत्म-धर्म परिणिजिय वि [परिनिर्जित] पराभूत,
४७४)। हेकृ. परिणेउं (कुप्र ५०)। कृ. विशेष (ठा ४,४-पत्र २८३) । ३ स्वभाव, पराजय-प्राप्त (पउम ५२, २१)।
परिणेयव्व (सुपा ४५५; कुप्र १३८)। धर्म (ठा ६) । ४ अध्यवसाय, मनो-भाव परिणिट्ठा स्त्री [परिनिष्ठा संपूर्णता, समाप्ति |
परिणेविय (अप) वि[परिणायित] जिसका (निचू २०)। ५ वि. परिणत करनेवाला:
विवाह कराया गया हो वह (सरण)। 'दिटुंता परिणाम' (वव १० बृह १)।
(उवर १२५)। परिणामणया। स्त्री [परिणामना] परिण
परिणिट्ठाण न [परिनिष्ठान अवसान, अन्त परिणेव्वुय देखो परिनिव्वुअ (उत्त १८, परिणामणा माना, रूपान्तरकरण (पराण (विसे ६२६)।
३५)। ३४-पत्र ७७४; दिसे २२७८)।
| परिणिहिअ वि [परिनिष्ठित] १ पूर्ण किया परिण वि [परिज्ञ ज्ञाता, जानकार (प्राचा परिणामय वि [परिणामक] परिणत करने- हुआ, समाप्त किया हुआ (रयण २५)। १,५, ६, ४)। वाला (बृह १)।
२ पार-प्राप्त (णाया १, ८ भास ९८; परिण देखो परिणा' (प्राचा १, २, परिणामि वि [परिणामिन] परिणत होमे- पंचा १२, १४)। ३ परिज्ञात (वव १०)। ६, ५)। वाला (दे १, १; श्रावक १८३)। कारण परिगिट्रिया स्त्री [परिनिष्ठिता] १ कृषि- परिण्णा सक [परि + ज्ञा] जानना । संकृ. न [ कारण] कार्य-रूप में परिणत होनेवाला | विशेष, जिसमें दो या तीन बार तृण-शोधन परिण्णाय (आचाः भग)। हेकृ. परिण्णाहूँ कारण, उपादान कारण (उबर २७)। किया गया हो वह कृषि; अर्थात् दो या तीव | (शौ) (अभि १८६)। परिणामिअ वि [पारिणामिक] १ परिणाम- बार की सोहनी (निराई ) की हुई खेत। २ परिण्णा स्त्री [परिज्ञा] १ ज्ञान, जानकारी जन्य, परिणाम से उत्पन्न । २ परिणाम- दीक्षा-विशेष, जिसमें बारंबार अतिचारों की (प्राचाः वसुः पंचा ६, २५)। २ विवेक संबन्धी। ३ पृ. परिणाम । ४ भाव-विशेषः । आलोचना की जाती हो वह दीक्षा (राज)। (प्राचा)। ३ पर्यालोचन, विचार (सूत्र १,
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