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पाइअसहमहण्णवो
पीमासुरक-झुंज
(पउम ५, २६३)। ६ सगर चक्रवर्ती का ३)। परिसप्प पुंखो [परिसप] हाथ से २३६; महा जी ३१)। २ एक देव-जाति, एक पुत्र (परम ५, १७५) । ७ दमयंती का चलनेवाला प्राणी, हाथ से चलनेवाली सर्प- नाग-कुमार देव (पएह १, ४)। ३ वानव्यंतर पिता (कुप्र ४८)। ८ एक कुल-पुत्र (कुप्र जाति (जी २१; परण १; जीव २)। स्त्री. देवों की एक जाति, महोरग (इक)। ४ १२२)। 8 गुजरात का चालुक्य-वंशीय "प्पिणी (जीव २)। मूल न [ मूल रंडीबाणः 'मं कुट्ठरिणव्व भुयगं तुम पयारेसि एक राजा-भीमदेव (कुप्र ४)। १० कक्षा, काँख (पाप्र)। मोयग पुं[ मोचक अलियवयणेहिं (कुप्र ३०९)। ५ वि. हस्तिनापुर नगर का एक कूटग्राह-राज- रत्न की एक जाति (भगः प्रौप; उत्त ३६, भोगी, विलासी (णाया १, १ टी-पत्र ४; पुरुष (विपा १, २) एव पुं["देव] ७६; तंटु २०).. सप्प पुं[स] देखो औप)परिरिंगिअन [परिरिङ्गत छन्दगुजरात का एक चालुक्य राजा (कुप्र ५) परिसप्प (पव १५०), ल वि [वत् ] विशेष (पजि १६) °वई श्री [°वती] एक कुमार पुं[कुमार] एक राज-पुत्र (धम्म) बलवान् हाथवाला (सिरि ७६६)।
इन्द्राणी, अतिकाय नामक महोरगेन्द्र की एक प्पभ प्रभ] राक्षस-वश का एक भुअअ देखो भुअग (गउड; पिंग; से ७, अग्र-महिषी (इका ठा ४, १; पाया २)। राजा, एक लंका-पति (पउम ५, २५९)M 38 पाम)।
वर [वर] द्वीप-विशेष (राज)। रह [ रथ] एक राजा, दमयंती का भुअइंद भुजगेन्द्र] १ श्रेष्ठ सर्प (गउड)। भुअग वि [भोजक] पूजक, सेवा-कारक पिता (कुप्र ४८), सेण पुं[सेन] १ २ शेषनाग, वासुकि (अच्चु २७), वुरेस | (णाया १, १ टी-पत्र ४ औपः अंत)। एक पाण्डव, भीम (णाया १, १६)। २ पु[पुरेश] श्रीकृष्ण (अच्चु २७)।
भुअगा श्री [भुजगा] एक इन्द्राणी, एक कुलकर पुरुष (सम १५०)। वलि
भुअईसरपु [भुजगेश्वर] ऊपर देखो अतिकाय नामक इन्द्र की एक अग्न-महिषी पुं[विलि] अंग-विद्या का जानकार पहला भुअएसर (पएह १, ४-पत्र ७८ अन्तु
(ठा ४, १, णाया २; इक)। रुद्र पुरुष ( विचार ४७३ )। सुर न | ३६)। °णअरणाह ' [नगरनाथ] श्री[सुर] शास्त्र-विशेष (अणु)।
भुअगीसर देखो भुअईसर (संदु २०)। कृष्ण (अच्चु ३६)।
भुअण देखो भुवण (चंड हास्यः १२२; भीमासुरक न [भीमासुरोक्त. रीय] एक भुअंग [भुजंग] १ सर्प, साँप (से ५,
पिंग गउड)। जैनेतर प्राचीन शास्त्र (अणु ३६)। ६० गा ६४०; गउड; सुर २, २४५ उव;
भुअप्पइ भीरु । वि[भीरु, क] डरपोक (चेइय
महा पात्र) । २ विट, रंडीबाज, वेश्या-गामी भुअप्फई देखो बहस्सइ (पि २१२ षड् )।भीरुअ गउड; उत्त २७, १० अभि
(कुमाः वज्जा ११६)। ३ जार, उपपति ८२)। (कप्पू)। ४ द्यूतकार, जुपाड़ी (उप पू
भुआ देखो भुअ = भुज। भीस सक [भीषय ] डराना। भीसइ
२५२)। ५ चोर, तस्करः 'देव सलोत्तमो
भुइ स्त्री [भृति] १ भरण। २ पोषण । ३ (धात्वा १४७), भीसेइ (प्राकृ ६४)।
चेव मायापोयकुसलो वारिणययवेसधारी वेतन । ४ मूल्य ( हे १, १३१ षड् )। भीसण वि [भीषण] भयंकर, भय-जनक
गहिरो महाभुअंगो' (स ४३०)। ६ बदमाश, भुउडि देखो भिउडि (पि १२४) ।। (जी ४६ सणः पात्र)
ठगः 'ताबसवेसधारिणो गहियनलियापनोग- भुगल न [दे] वाद्य-विशेष (सिरि ४१२) । भीसय देखो भेसग (राज)।.
खग्गा विसेणकुमारसंतिया चत्तारि महाभूयंग भुज सक [भुज् ] १ भोजन करना। २ भीसाव देखा भीस। भोसावेइ (धात्वा
त्ति' (स ५२४)। "कित्ति स्त्री [कृत्ति] | पालन करना । ३ भोग करना। ४ अनुभव १४७)।
कंचुक (गा ६४०)। पआत (अप) देखो | करना।भु जइ (हे ४,११०; कसः उवा)। भुंजेजा भीसिद (शौ) वि [भीषित] भय-भीत किया प्पजाय (पिंग)। पजाय न [प्रयात] (कप्प); 'निप्रभु भुंजसु सुहेणं (सिरि १०४४)। हुआ, डराया हुआ (नाट-माल ५६)। | १ सर्प-गति । २ छन्द-विशेष (भवि)। राअ भूका. भुजित्था (पि ५१७)। भवि. भुंजिही, भीह अक [भी] डरना । भीहइ (प्राकृ ६४)।
[राज शेषनाग (त्रि ८२)* वइ पुं भोक्खसि, भोक्खामि, भोक्खसे, भोच्छ (पि भुअ देखो भुंज । भुइ, भुअए (षड्)। [पति शेषनाग (गउड) । पआअ (अप) ५३२, कप्पः हे ३, १७१)। कर्म. भुज्जइ, भुअ न [दे] भूर्ज-पत्र, वृक्ष-विशेष की छाल देखो पजाय (पिंग)
भुजिज्जइ (हे ४, २४६)। वकृ. भुंजंत, (दे ६, १०६) । रुक्ख पुं [वृक्ष] वृक्ष
भुअंगम पु [भुजंगम] १ सर्प, साँप (गउड | मुंजमाण, भुंजेमाण, भुजाण (प्राचा; विशेष; भूर्जपत्र का पेड़ (परण १-पत्र | १७८० पिंग)। २ स्वनाम-ख्यात एक चोर
कुमाः विपा १, २, सम ३६, कप्पः पि ३४) । वत्त न [पत्र] भोजपत्र (गउड (महा)
५०७, धर्मवि १२७)। कवकृ. भुज्जत भुअंगिणी। स्त्री भुजङ्गी] १ विद्या-विशेष
(सुपा ३७५) । संकृ. भुजिअ, भुजिआ, भुअ पुंस्त्री [भुज] १ हाथ, कर (कुमा)। भुअंगी (पउम ७, १४०)। २ नागिन भुजिऊण, भुजिऊणं, भुजित्ता, २ गणित-प्रसिद्ध रेखा-विशेष (हे १, ४)। (सुपा १८१; भत्त ११७)।
भुजित्तु, भोच्चा, भोत्तु, भोत्तूग (पि स्त्री. आ (हे १, ४, पिंग; गउड; से १, भुअग पुं [भुजग] १ सर्प, साँप (सुर २, ५६१ सूत्र १, ३, ४, २ सण; पि ५८५;
भुअस्सइ
धारिणो गाहमा महाभयंग
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