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मञ्चिअ-मझ
पाइअसहमहण्णवो लोक (कुप्र ४११)। लोईय वि [ लोकीय] मच्छिअ वि [मात्स्यिक] मच्छीमार (श्रा मज्जा स्त्री [दे. मर्या ] मर्यादा (दे ६, ११३; मनुष्य-लोक से सम्बन्ध रखनेवाला (सुपा । १२; अभि १८७; विपा १, ६; पिंड ६३१)।- (भवि) ।।
| मच्छिका (मा) देखो माउ मातृ (प्राकृ मज्जा स्त्री [मज्जा] धातु-विशेष, चर्बो, हड्डी मच्चिअ वि [दे] मल-युक्त (दे ६, १११ टो) १०२) ।
के भीतर का गूदा (सण)। मच्चिर वि [मदित गवं करनेवाला (कुमा)।
मच्छिगा देखो मन्छिया (पि ३२०)। मज्जाइल्ल वि [मर्यादिन] मर्यादावाला (निचू
मच्छिया। स्त्री [मक्षिका] मक्खी (णाया मच्चु पु [मृत्यु] १ मौत, मरण (प्राचा
मच्छी १,१६, जो १८ उत्त ३६, सुर २, १३८ प्रासू १०६; महा)। २ यम,
मज्जाया स्त्री [मर्यादा] १ न्याय्य-पथ-स्थिति, ६० प्रातः सुपा २८१)।यमराज (षड्)। ३ रावण का एक सैनिक
व्यवस्था 'रयणायरस्स मजाया' (प्रासू ६८ मज सक [मद् अभिमान करना । मज्जइ, (पउम ५६, ३१)।
आवम)।२ सीमा, हद, अवधि । ३ कूल, मज्जई, मज्जेज्ज (उव; सूत्र १, २, २,१,
किनारा (हे २, २४)। मच्छ पु[मत्स्य] १ मछली (णाया १,
धर्मसं ७८)। १; पाना जी २०; प्रासू ५०)। २ राहु
मजार पुंस्त्री [मार्जार] १ बिल्ला, बिलाव मज्ज अक [ मस्ज ] १ स्नान करना । २ (सुजन २०)। ३ देश-विशेष (इक, गति)।
(कुमाः भवि) । २ वनम्पति-विशेष; 'वत्थुलडूबना । मज्जइ (ह४, १०१), मज्जामा ४ छन्द का एक भेद (पिंग) । खल न
पोरगमजारपोइवल्ली य पालका' (पएण १(महा ५७, ७, धर्मसं ८६४)। वकृ. [खल] मत्स्यों को सुखाने का स्थान (प्राचा
पत्र ३४) । स्त्री. रिआ,°री (कप्पू, पान)। मज्जमाण (गा २४६; णाया १, १)। २, १, ४, १)। बंध पु [बन्ध] संकृ. मजिऊण (महा)। प्रयो., संकृ.
मज्जार पुंमार्जार] वायु-विशेष (भग १५मच्छीमार, धीवर (पएह १, १; महा)। मज्जावित्ता (ठा ३, १-पत्र ११७)।
पत्र ६८६) मच्छ पुन [मत्स्य] मत्स्य के आकार की | मज सक [मृज् ] साफ करना, मार्जन | मज्जाविअ वि [मज्जित स्नपित (महा)।
एक वनस्पति (प्राचा २, १, १०, ५, ६) करना। मज्जा (षड् प्राकृ ६६; हे ४, मजिअ वि [दे] १ अवलोकित, निरीक्षित । मच्छंडिआ स्त्री [मत्स्यण्डिका] खण्डशर्करा,
२ पीत (दे ६, १४४)। एक प्रकार की शक्कर (पएह २, ४, पाया मज्ज न [मद्य] दारू, मदिरा (ौपः उवाः
मजिअ वि [मज्जित] स्नातः (पिंड ४२३; १, १७ परण १७, पिंड २८३ मा ४३)।"
हे २, २४; भवि)। 'इत्त वि [वत्]
मदिरा-लोलुप (सुख १, १५)। व वि मच्छंडी श्री [मत्स्यण्डी] शक्कर (अणु
मजिअ वि [माजित] साफ किया हुआ [प] मद्य-पान करनेवाला (पान) वीअ
वि [°पीत जिसने मद्य-पान किया हो वह मच्छंत देखो मंथमन्थ् । .
मजिआ स्त्री [ मार्जिता] रसाला, भक्ष्यमच्छंध देखो मच्छ-बंध (विपा १, ८-पत्र
विशेष--दही, शकर आदि का बना हुआ मजग विमाद्यक] मद्य-सम्बन्धीः 'अन्न वा ८२)।
और सुगन्ध से वासित एक प्रकार का खाद्य, मज्जग रसं' (दस ५, २, ३६)। मच्छर मत्सर] १ ईर्ष्या, द्वेष, डाह, मज्जण न [मज्जन] १ स्नान । २ डूबना
श्रीखएड (पान, दे ७, २; पब २५६)1. पर-संपत्ति की असहिष्णुता (उव)। २
(सुर ३, ७६; कप्पू, गउड; कुमा)। °घर न मजिर वि [मज्जित] मजन करने की प्रादतकोप, क्रोध। ३ वि. ईर्ष्यालु, द्वेषी। ४
[गृह] स्नान-गृह (णाया १, १-पत्र वाला (गा ४७३; सण) 10 क्रोधी । कुपण (हे २, २१)।
१६)। °धाई स्त्री [ धात्री] स्नान कराने- | मज्जोक वि [दे] अभिनव, नूतन (दे ६, मच्छर न [मात्सर्य] ईवा, द्वेष (से ३,
वाली दासी (णाया १, १--पत्र ३७)।। ११८)। १६)
'पाली स्त्री [पाली] वही अर्थ (कप्प)। मज्म न [मध्य] १ अन्तराल, मझार, बीच मच्छर वि [मत्सरिन्] मत्सरवाला (पराह
मज्जण न [मार्जन] १ साफ करना, शुद्धि - (पान कुमादं ३६; प्रातू ५७; १६७) । २, ३; उवा; पात्र)। स्त्री. °णी (गा ८४,
(कप्प) । २ वि. मार्जन करनेवाला (कुमा)। २शरीर का अवयव-विशेष (कप्पू) | ३ महा)।
°घर न [गृह] शुद्धि-गृह (कप्पा प्रौप)। संख्या-विशेष, अन्त्य और पराध्य के बीच की मच्छरिअ वि [मत्सरित, मत्सरिक] ऊपर |
मज्जर देखो मंजर (प्राकृ ५)। स्त्री. रो; 'को संख्या (हे २, ६०; प्राप्र)। ४ वि. मध्यवर्ती, देखो (पउम ८, ४६ पंचा १, ३२; भवि)। जुन्नमज्जरि कंजिएण पवियारिउ तरई' बीच का (प्रासू १२५) एस पुं[दश] मच्छल देखो मच्छर=मत्सर ( हे २, २१; (सुर ३,१३३)।
देश-विशेष, गंगा और यमुना के बीच का षड्)।
मजविअ वि [मजित] १ स्नपित। २ प्रदेश, मध्य प्रान्त (गउड)।गय वि [गत] मच्छिा देखो मक्खिअ माक्षिक (पव। स्नात; 'एत्थ सरे रे पंथिन गयवइवहुयाउ १ बीच का, मध्य में स्थित (माचाः कप्प)। ४-गाथा २२०)। मज्जविया' (वज्जा ६०)।
२ पुं. अवधिज्ञान का एक भेद (णंदि)।
(पउम २०, १२७; कप्पः।
(विपा १,
ह
वान किया हो वह
छ-बंध (विपा १, ५
-पत्र (विपा पात] जिसने माला (पान) विवि मामहाः पान),
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