________________
६१४ पाइअसहमहण्णवो
पेच्छय-पेलु पेच्छय वि [दे] जो देखे उसी को चाहनेवाला, पेडाल पुं[दे. पेटाल] बड़ी मजूषा, बड़ी पेमालुअ वि [प्रेमिन] प्रेमी, अनुरागी (उप समाजाभिलाषी (दे६.५८) पेटी (मुद्रा ११.)।
९८६ टी) पेच्छा स्त्री [प्रेक्षा] प्रेक्षणक, तमाशा, खेल, पेडावइ पेटकपति यूथ का नायक (सुपा | पेम्म देखो पेम (हे २,६८३, २५, कुमा; गा नाटक; पेच्छाछरणो सिएगविलोप्रशारण जहा
१२६; प्रासू ११६)। सुचोक्सोवि न किंचिदेव' (उपपं ३७, सुर| पेडिआ स्त्री [पेटिका मजूषा (मुद्रा २४०) पेम्मा श्री प्रेमा] छन्द-विशेष (पिंग) १२, २७) आप)। दखा पक्खा घर न | पेड स्त्री पुं[दे] महिष, भैसा (द६,८०)। | पेया नी[पेया वाद्य-विशेष, बड़ी काहला [गृह] देखो हर (ठा ४, २)। मंडव | पेड्डा स्त्री [दे] १ भित्ति, भीत। २ द्वार,
(राय ४५) ।। पुं[मण्डप] नाट्य-गृह, खेल प्रादि में दरवाजा । ३ महिषी, भैस (दे ६, ८०)।
पेर सक[प्र + ईरय] १ पठाना, भेजना, प्रेक्षकों के बैठने का स्थान (पव २६६) लपेट देखो पीट-पीठ (हे १,१०६; कुमा);
प्रेषण करना। २ धक्का लगाना, आघात हर न [गृह] नाटक-गृह, खेल-तमाशा का
करना । ३ पादेश करना। ४ किसी कार्य में | काऊण पेढं टविया तत्थ एसा पडिमा' (कुप्र स्थान (पउम ८०, ५)
जोड़ना-लगाना। ५ पूर्वपक्ष करना, प्रश्न ११७)। पेच्छि वि [प्रेक्षिन] प्रेक्षक, द्रष्टा (इय
करना, सिद्धान्त का विरोध करना। ६ पेढाल वि [दे] १ विपुल (दे ६, ७ गउड)। १०६ गा २१४)
गिराना। पेरइ (धर्मसं ५६०; भवि)। वकृ. २ वर्तुल, गोलाकार (द ६, ७ गउड; पान) पेच्छिअ वि [प्रेक्षित] १ निरीक्षित, अव
पेरंत (कुप्र ७०; पिंग)। कवकृ. पेरिजंत पेढाल वि [पीठवत् ] पीठ-युक्त (गउड) लोकित (कुमा)। २ न. निरीक्षण, अवलोकन
(सुपा २५१; महा)। कृ. पेज (राज)। पेढाल पुं[पेढाल] १ भारत वर्ष का पाठवाँ (सुर १२, १८३, गा २२५) ।
| पेरंत देखो पर्जत (हे १, ५८; ६३; प्राप्र;
भावी जिनदेव, 'पेढालं अठ्ठमयं पाणंदजियं पेच्छिर वि [प्रेक्षित] निरीक्षक, द्रष्टा (गा |
प्रौप; गउड) चक्कवाल न [चक्रवाल] नमसामि' (पव ४६)। २ ग्यारह रुद पुरुषों
बाह्य परिधि, बाहर का घेराव (परह १, ३)।१७४ ३७१)
में दसवाँ (विचार ४७३)। ३ एक ग्राम, पेज देखो पा = पा
वञ्च न [वर्चस्] मण्डप, तृणादिजहाँ भगवान महावीर का विचरण हुआ था। पेज पुंन [प्रेमन] प्रेम अनुराग (सूत्र २,
निमित गृह (राज) 'पेढालग्गाममागमो भयवं' (प्रावम)। ४ न. ५, २२, प्राचा; भगः ठा १, चेइय ६३४) ।
पेरग वि [प्रेरक प्रेरणा करनेवाला, पूर्वपक्षी एक उद्यान, 'तो सामी दढभूमि गो, तीसे 'दंसि वि [दर्शिन] अनुरागी (प्राचा)।
(धर्मसं ५८७)। बाहि पेढालं नाम उजाणं' (माव १) पुत्त पेज वि [प्रेयस् ] अत्यन्त प्रिय (प्रौप)
पेरण न [दे] १ ऊध्वं स्थान (दे ६, ५६)।
पुं[पुत्र] १ भारतवर्ष का आठवाँ भावी पेज वि [प्रेज्य पूज्य, पूजनीय (राज)।
२ खेल, तमाशा (स ७२३, ७२५) । जिन-देवः 'उदए पेढालपुत्ते य' (सम १५३)। पेज देखो पर प्र + ईरय ।।
पेरण न [प्रेरण] प्रेरणा (कुप्र ७०)
२ भगवान् पार्श्वनाथ के संतान में उत्पन्न एक पेजल न [दे] प्रमाण (दे ६, ५७)।
| पेरणा स्त्री [प्रेरणा] ऊपर देखो (सम्मत्त
जैन मुनि; 'अहे णं उदए पेढालपुत्ते भगवं पेजलिअ वि [दे] संघटित ( षड् )।
पासावचिजे नियंठे मेयज्जे गोत्तेणं' (सूत्र २, पेज्जा देखो पेआ (ोघ १४६: हे १, २४८)।
पेरिअ वि [प्रेरित] जिसको प्रेरणा की गई
७, ५, ८, ९)। ३ भगवान महावीर के पास पेजाल वि [दे] विपुल, विशाल (दे ६,७)।
__ हो वह (दे ८, १२; भवि)
दीक्षा लेकर अनुत्तर विमान में उत्पन्न एक पेट न [दे] पेट, उदर (पिंग पव १)।
पेरिज न [दे] साहाय्य, सहायता, मदद (दे
जैन मुनि (अनु २)। पेट्ट पेट्र देखो पिटु = पिष्ट (संक्षि ३; प्राकृ ५; पेढिया देखो पीढि आः 'चत्तारि मणिपीढि
पेरिजंत देखो पेर%D+ ईरय ।। यानो' (ठा ४, २–पत्र २३०)। २ ग्रन्थ प्राप्र)
पेरुल्लि वि [दे] पिण्डीकृत, पिण्डाकार किया पेड देखो पेडयः 'नडपेडनिहा' (संबोध १८)
की भूमिका, प्रस्तावना (वसु)। पेडइअ पुं [दे] धान्य प्रादि बेचनेवाला पेढी देखो पीढी (जीव ३)।
पेलब वि [पेलव] १ कोमल, सुकुमार, मृदु वणिक् (दे ६, ५६)।
पेणी स्त्री [प्रेणी] हरिणी का एक भेद (परह (पान से २, २७, अभि २६; प्रौप)। २ पेडक) न [पेटक] समूह, यूथः 'नडपेडक- | १,४-पत्र ६८)
पतला, कृश। ३ सूक्ष्म, लघु (गाया १,१पेडय संनिहा जाण' (संबोध १५; सुपा पेदंड वि [दे] लुप्त-दएडक, जुए में जो हार पत्र २५; हे १, २३८) । ५४६, सिरि १६३; महा)
| गया हो वह, जिसका दाव चला गया हो वह | पेलु श्री [पेलु] पूणी, रुई को पहला 'कंतामि पेडा स्त्री [पेटा] १ मञ्जूषा, पेटी (दे ५, (मृच्छ ४६)
ताव पेलु' (पिंडभा ३५) + करण न ३८; महा) । २ पेटाकार चतुष्कोण गृह-पंक्ति पेम पुन [प्रेमन्] प्रेम, अनुराग, प्रीति, स्नेह [करण] पूणी-पूनी बनाने का उपकरण, में भिक्षार्थ-भ्रमण (उत्त ३०, १६) । । (उवा प्रौपः सं ५; सुपा २०४ रयण ४२)। शलाका आदि (विसे ३३०५)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org