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पाइअसहमहण्णवो
पुत्ती-पुप्फा पुत्ती स्त्री [पोती] १ वस्न-खण्ड, मुख-वत्रिका मार्य श्री संभूतविजय का एक शिष्य (कप्प)-ठा २, ४)। २ ईशानेन्द्र के हस्ति-सैन्य का (पव ६०; संबोघ ५४)। २ साड़ी, कटी-वन | पुन्नयण [पुण्यजन] यक्ष, एक देव-जाति अधिपति देव (ठा ५, १; इक)। ३ देव. (धर्मवि १७) । देखो पोत्ती। (पान)
विशेष (सिरि ६६७)'दंती स्त्री [दन्ती] पुत्तुल्ल पुं[पुत्र] पुत्र, लड़का (प्राकृ ३५)। |
पुन्नाग देखो पुनाग (कप्पा कुमाः पउम दमयन्ती की माता का नाम, एक रानी
पुनाम:२१, ४६ पान)। ३ न. पुन्नाग का पुत्थ वि [दे] मृदु, कोमल (दे ६,५२)।
(कुप्र ४८) नालिया स्त्री ['नालिका] पुन्नाय) फूल (कुमाः हे १, १६०)
पुष्प का बेट-डंठल (तंदु ४)। निज्जास' पुत्य पुंन [पुस्त, क] १ लेप्यादि कर्म
पुन्नालिया।दे] देखो पुण्णाली (सुपा | पुत्थय (श्रा १)। २ पुस्तक, पोथी,
[निर्यास] पुष्प-रस (जीव ३) ५ °पुर न पुन्नाली ५६ ५६७)।
[पुर] पाटलिपुत्र, पटना शहर (राज)। किताब: 'पुत्थए लिहावेई' (कुप्र ३४८), | पुन्निमा देखो पुण्णिमा (रंभा)। 'अवहरिओ पुत्थरो सहसा' (सम्मत्त ११८)।
'पूरय पुं[पुरक] पुष्प की रचना-विशेष पुप्पुअ वि[दे] पीन, पुष्ट, उपचित (दे ६,
(णाया १, १६)°पभ न [प्रभ] एक देखो पोत्था ५२)।
देव-विमान (सम ३८)। बलि पु['बलि] पुथवी देखो पुढवी (चंड)। पुप्फ न [पुष्प] १ फूल, कुसुम (णाया १,१७
उपचार, पुष्प-पूजा (पाप)। बाण पुं पुथुणी) (पै) देखो पुढवी (प्राकृ १२४४ कप्पः सुर ३,६५; कुमा)। एक विमानावास,
[°बाण] कामदेव (रंभा)+ भद्द स्त्रीन पुथुवी पि १९०)। नाथ (4) पुं["नाथ] देवविमान-विशेष (देवेन्द्र १३५; सम ३८)। [भद्र] नगर-विशेष, पटना शहर (राज) राजा (प्राकृ १२४)। ३ स्त्री का रज। ४ विकास । ५ याँख का
मंत वि[वत्] पुष्पवाला (णाया १,१)। पुध देखो पिह = पृथक् (ठा १०)।
एक रोग। ६ कुबेर का विमान (हे १, 'माल न [ माल] वैताब्य की उत्तर श्रेणि पुधं देखो पिधं (हे १, १८८)।
२३६; २, ५३, ६०, १५४) इरि पुं का एक नगर (इक) °माला स्त्री [ माल]
[गिरि] एक पर्वत का नाम (पउम ७६, १०) पुधम (पै) देखो पुढम, पुदुम (पि
ऊर्व लोक में रहनेवाली एक दिक्कुमारी पुधुम १०४ हे ४, ३१६)
कंत न [कान्त] एक देव-विमान; 'पुफ्फ- | देवी (ठा ८-पत्र ४३७)। य ( [क]
कंत' (सम ३८)। करंडय पुं[करण्डक] | १ फेन, डिण्डीर (पान)। २ न. ईशानेन्द्र पुन्न देखो पुण्ण = पुन्या 'कह मह इत्तियापुत्रा
हस्तिशीर्ष नगर का एक उद्यान, 'पुप्फकरंडए | का एक पारियानिक विमान, देव-विमानजं सो दीसिज पञ्चक्खं' (सुर १२, ११८; उप ७६८ टी; कुमा)५ कखिअ वि [ काङ्क्षित,
उज्जाणे' (विपा २, १) । केउ पुं[ केतु] विशेष (ठा ८; इक; पउम ७६, २८ प्रौप)।
१ ऐरवत क्षेत्र का सातवाँ भावी तीर्थकर- ३ पुष्प, फूल (कप्प)। ४ ललाट का एक काङ्क्षिन] पुण्य की चाहवाला (भग)।
जिनदेव (सम १५४)। २ ग्रह-विशेष, ग्रहा- पुष्पाकार आभूषण (जं २)। देखो ऊपर - कलस पुं [कलश] एक राजा का नाम
धिष्ठायक देव-विशेष (ठा २, ३), ग न ग। लाई, 'लावी स्त्री [लावी] फूल (उव ७६८ टी) 1 °जसा स्त्री ['यशस्]
[क] १ मूल भागः 'भारणस्स पुफ्फगंतो इमेहि बिननेवाली स्त्री (पाम दे १, ६)। लेस एक स्त्री का नाम (उप ७२८ टी) पत्तिया
कज्जेहि पडिलेहे' (ोघ २८६)। २ पुष्प, न [°लेश्य एक देव-विमान (सम ३८) स्त्री [प्रत्यया] एक जैन मुनि-शाखा (कप्प)। "पिवासय वि ["पिपासक] पुण्य का
फूल (कप्प)। ३ देखो नीचे °य (प्रौप)। वई स्त्री [°वती] १ ऋतुमती स्त्री (दे ६,
'चूला स्त्री [चूला] १ भगवान् पार्श्वनाथ १४; गा ४८०)। २ सत्पुरुष नामक किंपुरुप्यासा, पुण्य की चाहवाला (भग)। भागि
की मुख्य शिष्या का नाम (सम १५२; षेन्द्र की एक अग्र-महिषी (ठा ४, १; णाया वि[ भागिन्पुण्य का भागी, पुण्य-शाली
कप्प)। २ एक महासती, अन्निकाचार्य की २)। ३ बीसवें जिनदेव की प्रवत्तिनी(सुपा ६४१)। "सम्म पुं["शर्मन्] एक
सुयोग्य शिष्या (पडि)। ३ सुबाहुकुमार की प्रमुख साध्वी का नाम (सम १५२, पव ब्राह्मण का नाम (उप ७२८ टी) °सार ।
मुख्य पत्नी का नाम (विपा २, १) चूलिया है)। ४ चैत्य-विशेष (भग)। वण्ण न [सार] एक स्वनाम-ख्यात श्रेष्ठी (उप
स्त्री [चूलिका] एक जैन ग्रन्थ (निर १, [°वर्ण] एक देव-विमान (सम ३८) सिंग ७२८ टी)
४) चणिया स्त्री [.निका] पुष्पों से न [ शृङ्ग] एक देव-विमान (सम ३८)। पुन्न देखो पुण्ण = पूर्ण (सुर २, ६७; उप पूजा (णाया १, २)। "चिणिया स्त्री सिद्ध न [सिद्ध] देव-विमान-विशेष ७६८ टी ठा २, ३, अनु २) तल्ल पुं [°चायिनी] फूल बिननेवाली स्त्री (पान) (सम ३८) सुय पुं [शुक] व्यक्ति[तल] एक जैन मुनि-गच्छ (कुप्र ६)।- छज्जिया स्त्री [छादिका] पुष्प-पात्र-विशेष वाचक नाम (उव)। वित्त न [वर्त] 'पाय वि [प्राय करीब-करीब संपूर्ण, (राज)। भय न [ध्वज] एक देव- एक देव-विमान (सम ३८)। कुछ कम पूर्ण (उप ७२८ टी) 'भद्द पुं| विमान (सम ३८) + णंदि [ नन्दिन] पुप्फस न [दे] फेफसा, शरीर का एक [भद्र] १ यक्ष-विशेष (सिरि ६६६) । २ एक राजा का नाम (ठा १०) °णालिया भीतरी अंग (पउम १०५, ५५) यक्ष-निकाय एक इन्द्र (ठा २, ३) । ३ एक | देखो नालिया (तंदु)। "दंत पुं[दन्त] | पुप्फा स्त्री [दे] फूफी, पिता की बहिन अन्तकृद् मुनि (अंत १८)। ४ एक जैन मुनि, । १ नववा जिनदेव, श्री सुविषिनाथ (सम ६२ (दे ६, ५२)।
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