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पाइअसद्दमहण्णवो
पण-पणयालीस पण देखो पंच (सुपा१नव १० कम्म २,६२६) पणंगणा श्री [पणाङ्गना] वेश्या, वारांगना पणम सक [प्र+ नम्] प्रणाम करना, ३१)। उइ स्त्री ['नवति पंचानबे, नब्बे । (उप १०३१ टीः सुपा ४६० कुप्र५)। नमन करना। परणमइ, पणमए (स ३४४ और पाँच (पि ४४६ )। तीस स्त्रीन पणग न [पद्धक] पांच का समूह (सुर ६, | भग)। वकृ. पणमंत (सण)। कवकृ.
शित पैतीस, तीस और पाँच (औपः ११२, सुपा ६३६ जी द ३१, कम्म पणमिजंत (सुपा ८८)। संक. पर्णामअ, कम्म ४, ५३; पि २७३, ४४५)। नुवइ २, ११)।
पणमिऊण, पणमिऊणं, पणमित्ता, देखो इ (सुपा ६७)। रस त्रि. ब. पणग [दे. पनक] १ शैवाल, सेवार या पणमित्तु (अभि ११ प्रारू पि ५६०; [दशन् पनरह (सण)। वन्निय वि सिवार, तृण-विशेष जो जल में उत्पन्न होता है | भग; काल)। [वर्णिक] पाँच रंग का (सुपा ४०२) । (बृह ४ दस ८ परण १ एंदि)। २ काई,पणमण न [प्रणमन] प्रणाम, नमस्कार वीस स्त्रीन [विंशति पचीस, बीस और वर्षा-काल में भूमि, काष्ठ आदि में उत्पन्न होने
भूमि, काष्ठ आदि म उत्पन्न होन- (उवः सुपा २७; ५६१)। पांच (सम ४४; नव १३; कम्म २)। वाला एक प्रकार का जल-मैल (प्राचा: पडि; पणमिअ देखो पणम । वीसइ स्त्री [विंशति] वही अर्थ (पि ठा ८-पत्र ४२६ कप्प)। ३ कर्दम-विशेष,
पणमिअ वि [प्रगत] १ नमा हुपा (भगः ४४५) । °सट्ठि स्त्री [°षष्टि] पैंसठ, साठ सूक्ष्म पंक (बृह ६, भग ७, ६)। देखो
प्रौप)। २ जिसने नमने का प्रारम्भ किया और पाच (सम ७८; पि २७३)। "सय पणय ( दे )। भट्टिया, मत्तिया स्त्री
हो वह (णाया १,१-पत्र ५) । ३ जिसको न [शत पाँच सौ (दं ६)। सीइ स्त्री [मृत्तिका] नदी प्रादि के पूर के खतम होने
पर रह जाती कोमल चिकनी मिट्टी (जीव [शीति] पचासी, अस्सी और पांच (कम्म
नमन किया गया हो वहः 'परणमिमो भरणे
राया' (स ७३०)। १; परण १-पत्र २५) । २)। सुन्न न [सून] पाँच हिंसा-स्थान (राज)। पणच अक [प्र+ नृत् ] नाचना, नृत्य
पणमिअ वि [प्रगमित] नमाया हुमा (भवि)। पण '[पण] १ शतं, होड़; 'लक्खपणेण करना। वकु. पणचमाण (णाया १,८- पणमिर वि [प्रगम्र] प्रणाम करनेवाला, जुज्झार्वतस्स' (महा)। २ प्रतिज्ञा (माक)।
पत्र १३३; सुपा ४७२)। स्त्री. `णी (सुपा नमनेवाला (कुमा कुप्र ३५०; सण) । ३ धन । ४ विक्रेय वस्तु, क्रयारणक; 'तत्थ २४२)।
पणय सक [प्र+णी] १ स्नेह करना, प्रेम विढप्पिन पणगणं' (तो ३)
पणचण न अनर्तन] नृत्य, नाच (सुपा१५४)। करना। २ प्रार्थना करना। वकृ. पणअंत पण पुं [प्रण] पन, प्रतिज्ञा (नाट-मालती
(से २,६)। पणच्चिअ वि[प्रनृत्तित नाचा हुआ, जिसका १२४)। नाच हुआ हो वह (णाया १, १-पत्र २५)। पणय वि [प्रणत] १ जिसको प्रणाम किया
गया हो वह, 'नरनाहपणयपयकमल' (सुपा पण
| पणचिअ वि [प्रनृत्त] नाचा हुआ, 'अन्नया न [पञ्चक] १ पाँच का समूह (पंच पणग । ३,१६)। २ तप-विशेष, नीवी तप रायपुरमो पणच्चिया देवदत्ता' (महा; कुप्र
२४०)। २ जिसने नमस्कार किया हो वह; (संबोध ५७)। १०)।
'पणयपडिवक्ख' (सुर १, ११२, सुपा
३६१)। ३ प्राप्त (सूप १, ४,१)। ४ पणच्चिअ वि[प्रनर्तित] नचाया हुआ (भवि)। पणअत्तिअ वि [दे] प्रकटित, व्यक्त किया हुमा (दे ६, ३०)। पण? वि [प्रनष्ट] प्रकर्ष से नाश को प्राप्त ।
निम्न, नीचा (जीव ३ राय)। पणअन्न देखो पणपन्न (हे २, १७४ टि; (सूम १, १, २, से ७, ८; सुर २, २४७ । पणय पुं[प्रणय] १ स्नेह, प्रेम (णाया १,
&महा; गा २७)। २ प्रार्थना (गउड)। ३,६६, भवि; उव)। राज)। पणइ स्त्री [प्रणति प्रणाम, नमस्कार (पउम
पणद्ध वि [प्रणद्ध] परिगत (औप)। वंत वि [वत् ] स्नेहवाला, प्रेमी (उप ६६, ६६: सुर १२, १३३; कुमा)। पणपण्ण देखो पणपन्न (कप्प १४७ टि)।
१३१)। पणइ वि [प्रणयिन] १ प्रणयवाला, स्नेही, पणपण्णइम देखो पणपन्नइम (कप्प १७४
पणय पुंदे] पंक, कदम (दे ६,७)। प्रेमी। २ पुं. पति, स्वामी (पाप्रा गउड टि: पि २७३)।
पणय [दे. पनक] १ शैवाल, सेवार, ८३७)। ३ याचक, अर्थी, प्रार्थी (गउड | पणपन्न श्रीन [ दे. पञ्चपश्चाशत् ] पचपन, तृण-विशेष। २ काई, जल-मैल (प्रोष २४६; २५१, सुर १, १०८)। ४ भृत्य, पचास और पाँच (हे २, १७४. कप्प; सम ३४६) । ३ सूक्ष्म कर्दम (पएह १, ४)। दास; 'बपइराप्रोत्ति परणइलवों' (गउड ७२ कम्म ४, ५४३ ५५ ति ५)। पणयाल वि[दे. पञ्चचत्वारिंश ] पैंता७६७)।
पणपन्नइम पि [दे. पञ्चपञ्चाश] पचपना, लीसवाँ, ४५ वाँ (पउम ४५, ४६)। पणइणी स्त्री [प्रणयिनी] पत्नी, भार्या, प्रिया, ५५ वाँ (कप्प)।
पणयाल रखीन [दे. पञ्चचत्वारिंशत्] ' जोरू (सुपा २१६)।
पणपन्निय देखो पणवन्निय (इक)। पणयालीस पंतालीस, चालीस और पाँच, पणइय वि [प्रणयिक, प्रणयिन् ] देखो पणपन्निय पुं [पंचप्रज्ञप्तिक] व्यन्तर देवों । ४५ (सम ६६ कम्म २, २७: ति ३, भग; यणइ-प्रणयिन् (सरण)। | की एक जाति (पव १९४)।
सम ६ मौपः पि ४४५) ।
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