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पडिपाहुड-पडिबोध
पाइअसहमहण्णवो
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पडिपाहुड न [प्रतिप्राभृत] बदले की भेंट
(सुपा १४५)। पडिपिंडिअ वि [दे] प्रवृद्ध, बढ़ा हुआ (दे
पडिपिल्ल सक [प्रति + क्षिप, प्रतिप्र +
ईरय] प्रेरणा करना । पडिपिल्लइ (भवि)। पडिपिल्लण न [प्रतिप्रेरण] १ प्रेरणा (सुर १५, १४१) । २ ढक्कन, पिधान । ३ वि. प्रेरणा करनेवाला; 'दीवसिहापडिपिल्लणमल्ले मिल्लति नीसासे (कुप्र १३१) । पडिपिहा देखो पडिपेहा । संकृ. पडिपिहित्ता (पि ५८२)। पडिपीलण न [प्रतिपीडन] विशेष पीडन,
अधिक दबाव (गउड)। पडिपुच्छ सक [प्रति + प्रच्छ ] १ पृच्छा करना, पूछना । २ फिर से पूछना। ३ प्रश्न का जवाब देना। पडिपुच्छइ (उव) । वकृ. पडिपुच्छमाण (कप्प) । कृ. पडिपुच्छणिज्ज, पडिपुच्छणीय (उवा; णाया १, १; राय)। पडिपुच्छण न [प्रतिप्रच्छन] नीचे देखो (भग; उवा)। पडिपुच्छणया। स्त्री [प्रतिप्रच्छना] १ पडिपुच्छणा पूछना, पृच्छा । २ फिर से पृच्छा (उत्त २६, २०; प्रौप)। ३ उत्तर, प्रश्न का जवाब (बृह ४ उप पृ ३६८)। पडिपुच्छणिज्जखोपडिपच्छ । पडिपुच्छणीय पडिपुच्छा स्त्री [प्रतिपृच्छा] देखो पडिपु
च्छणा (पंचा २; वव २; बृह १)। पडिपुच्छिअ वि [प्रतिपृष्ट] जिससे प्रश्न किया गया हो वह (गा २८६) । पडिपुजिय वि [प्रतिपूजित] पूजित, अचित 'वंदणवरकणगकलससुविणिम्मियपडिपुंजि (? पुज्जि, पूइ) यसरसपउमसोहंतदारभाए' (णाया १, १-पत्र १२)। पडिपुण्ण देखो पडिपुन (उवाः पि २१८)। पडिपुत्त पुं.[प्रतिपुत्र] प्रपुत्र, पुत्र का पुत्र, पोता; 'अंकनिवेसियनियनियपुत्तयपडिपुत्तनत्तपुत्तीयं (सुपा ६)। देखो पडिपोत्तय। पडिपुन वि [प्रतिपूर्ण] परिपूर्ण, संपूर्ण (गाया १, १, सुर ३, १८, ११४)।
पडिपूइय देखो पडिपुज्जिय (राज)। पडिबंधी वि [प्रतिबन्धक] प्रतिबन्ध पडिपूयग) वि[प्रतिपूजका पजा करने- पडिबंधग करनेवाला, रोकनेवाला (अभि पडिपूयय , वाला राजा सम ५१)। २५३; उप ६४५)। पडिपूयय वि [प्रतिपूजक] प्रत्युपकार-कर्ता पडिबंधण न [प्रतिबन्धन प्रतिबन्ध, रुकावट (उत्त १७, ५)।
| (पि २१८)। पडिपूरिय वि [प्रतिपूरित] पूर्ण किया हुआ | पडिबंधेयव्य देखो पडिबंध = प्रति ! बन्ध् । (पउम १००, ५०; ११५, ७)। पडिबद्ध वि [प्रतिबद्ध] १ रोका हुआ, पडिपेल्लण देखो पडिपिल्लण (गउड; से ६, संरुद्ध; 'वायुरिव अप्पडिबद्धे (कप्प, परह ३२)।
१, ३)। २ उपजनित, उत्पादित (गउड पडिपेल्लण न [परिप्रेरण] देखो पडिपिल्लण १८२)। ३ संसक्त, संबद्ध, संलग्न, 'सरियाण (से २, २४)।
तरंगिय पंकवडलपडिबद्धवालुयामसिणा... ... प्रडिपेल्लिय वि [प्रतिमेरित] प्रेरित, जिसको, पुलिणवित्थारा' (गउडा कुप्र ११५; उवा)। प्रेरणा की गई हो वह (सुर १५, १८०; ४ सामने बँधा हुआ; पडिबद्धं नबर तुमे महा)।
नरिंदचकं पयाववियडंपि' (गउड)। ५ व्यवपडिपेहा सक [प्रतिपि + धा] ढकना, स्थित (पंचा १३)। ६ वेष्टित (गउड)। ७ पाच्छादन करना । संकृ. पडिपेहित्ता (सूम
समीप में स्थित; 'तं चेव य सागरियं जस्स २, २,५१)।
अदूरे स पडिबद्धो' (बृह १)। पडिपोत्तय ' [प्रतिपुत्रक नप्ता, कन्या पडिबद्ध विप्रतिबद्ध] नियत, व्याप्त (पंचा का पुत्र, लड़की का लड़का, नाती (सुपा ७,२)। १९२)। देखो पडिपुत्तय।
पडिबाह सक [प्रति + बाध् ] रोकना। पडिप्पह देखो पांडपह (उप ७२८ टा)' हेकृ. पडिबाहिद (शौ) (नाट---महावी पडिप्फद्धि वि [प्रतिस्पर्धिन] स्पर्धा करने
वाला (हे १,४४, २, ५३; प्राप्रा संक्षि १६)। पडिवाहिर वि [प्रतिबाह्य अनधिकारी, पडिप्फलणा स्त्री [प्रतिफलना] १ खलना। अयोग्य (सम ५०)।
२ संक्रमणः 'पडिसद्दपडिप्फलणावजिरनीसे- पडिबिंब न [प्रतिबिम्ब] १ परछाही, प्रतिससुरघंट' (सुपा ८७)।
च्छाया (सुपा २६६)। २ प्रतिमा, प्रतिमूत्ति पडिप्फलिअ) वि [प्रतिफलित] १ प्रति
(पात्र, प्रामा)। पडिफलिअ बिम्बित, संक्रान्त (से १५,
पडिबिंबिअ वि [प्रतिबिम्बित] जिसका ३१ दे १, २७) । २ स्खलित (पाप)। प्रतिबिम्ब पड़ा हो वह (कुमा)। पडिबंध सक [प्रति + बन्ध] रोकना, अट- पडिडुज्झ अक [प्रति + बुध ] १ बोध काना। पडिबंधइ (पि ५१३)। कृ. पडि
पाना । २ जागृत होना । पडिबुज्झइ (उवा) । बधेयव्व (वसु)।
वकृ. पडिबुझंत, पडिबुज्झमाण (कप्प)। पडिबंध सक [प्रति + बन्ध ] १ वेटन पडिबुझणया। स्त्री [प्रतिबोधना] १ बोध, करना । २ सेकना। पडिबंधइ, पडिबंधंति पडिबुज्मणा । समझ । २ जागृति (स (सूत्र १, ३, २, १०)।
१५६ औप)। पडिबंध पुं [प्रतिबन्ध] व्याप्ति, नियम पडिबुद्ध वि [प्रतिबुद्ध] १ बोध-प्राप्त (प्रासू (धर्मसं १११)।
१३५; उव)! २ जागृत (गाया १,१)। पडिबंध ' [प्रतिबन्ध] १ रुकावट (उवाः ३ न. प्रतिबोध (प्राचा)। ४ पुं. एक राजा कप्प)। २ विघ्न, अन्तराय (उप ८८७)। का नाम (पाया १,८)। ३ अत्यादर, बहुमान (उप ७७६; उवर पडिबूहणया स्त्री [प्रतिबृहणा] उपचय, १४६)। ४ स्नेह, प्रीति, राग (ठा पंचा पुष्टि (सूत्र २, २, ८)। १७)। ५पासक्ति, अभिष्वंग (णाया १,५; पडिबोध देखो पडिबोह = प्रतिबोध (नाटकप्प)। ६ वेष्टन (सूम १, ३, २)। मालती ५६)।
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