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णवरत्ति-णाइ पाइअसहमहण्णवो
३८३ णवरत्ति स्त्री [नवरात्रि] नव दिनों का | णव देखो णा - ज्ञा ।
| णहंसि वि [नखवत् ] नखवाला (दस ६, आश्विन मास का एक पर्व (सट्ठि ७८)। णव्वा त [दे] १ ईश्वर, धनाढ्य, भोगी। णवरि अ[दे] शीघ्र, जल्दी, (प्राकृ ८१)।
२ नियागी का पुत्र, सूबेदार का लड़का (दे | णहमुह '[दे] पूक, उल्लू (दे ४, २०) । वरि । देखो णवर (हे २, १८८ से १, ४, २२)।
णहर पुं[नखर] नख, नाखून (सुपा ११, णवरिअ३६, प्रामाः सुर, २६ षड्, गा
णस सक [नि + अस् ] स्थापन करना। १७२)।
नसेज्ज (विसे ९४३)। कर्म, नस्सए (विसे | णहरण [दे] नखी, नखवाला जन्तु, श्वापद णवरिअ न [दे] सहसा, जल्दी, तुरन्त (दे
६७०)। संकृ नसिऊण (स ६०८)। (वज्जा १२)। ४, २२; पाम)
णस प्रक [नश् ] भागना, पलायन करना। णहरणी स्त्री [नखहरणी] नहरनी, नख णवरु देखो णवर (चंड)। एसइ (पिंग)।
उतारने का शस्त्र (पंचव ३)। णसण न [न्यसन न्यास, स्थापन (जीव १) णहराल पुं [नखरिन् नखवाखा श्वापद जंतु णवलया स्त्री [दे] वह व्रत, जिसमें पति का नाम पूछने पर उसे नहीं बतानेवाली स्त्री
णसा स्त्री [दे] नस, नाड़ी असुईरसनिज्झरणे (उप ५३० टी)। पलाश की लता से ताड़ित की जाती है (हे
हड् छुक्करडम्मि चम्मनसनद्धे' (सुपा ३५५) णहरी स्त्री [दे] क्षुरिका, छुरी (दे ४, २०) ४, २१)।
णसिअ वि [नष्ट] नाश-प्राप्त (कुमा)। णहवल्ली स्त्री [दे] विद्युत्, बिजली (दें
णस्स देखो नस = नश् । एस्सइ, एस्सए, णवल्ल देखो णव = नव (हे २, १६५ कुमाः
__४, २२)।
णहारु न [स्नायु] स्नायू, रग, नस, नाड़ी। उप ७२८ टी)। (षड् , कुमा)। वकृ. नस्संत, नस्समाण
णहि पुं[नखिन् नख-प्रधान जन्तु, श्वापद णवसिअ न [दे] उपयाचितक, मनौती (दे (श्रा १६; सुपा २१५) IV
जन्तु (अणु)। ४, २२ पाप वजा ८६)1णस्सर वि [नश्वर] विनश्वर, भंगुर, नाश
णहि विनखिन्] ऊपर देखो (अणु १४२)।णवा स्त्री [नवा] १ नवोढ़ा, दुलहिन । २ पानेवाला; खणनस्सराई रूदाई' (सुपा
णहि अनिहि] निषेधार्थक अव्यय, नहीं युवति स्त्री (सूप १, ३, २)। ३ जिसको २४३)।
(स्वप्न ४१; पिंग, सण)। दीक्षा लिए तीन वर्ष हुए हों ऐसी साध्वी णस्सा स्त्री [नासा] नासिका, घ्राणेन्द्रिय
णहु अ [नखलु] ऊपर देखो (नाट--मृच्छ (वव ४)। ४ अ. प्रश्नार्थक अव्यय, अथवा (नाट-मृच्छ ६२)
२६१ रणाया १, ६). नहीं ? (रयण ६७)। णह देखो णक्ख (सम ६०; कुमा)।
णा सक [ज्ञा] जानना, समझना । भवि. णवि प्र.१ वपरीत्य-सूचक अव्यय, 'गवि हा णह न [नभस् ] १ आकाश, गगन (प्रातः हे पाहिह (विसे १०१३)। णाहिसि (पि वणे' (हे २, १७८ कुमा)। २ निषेधार्थक १, ३२) १२ पुं. श्रावण मास (दे २०१६) ।
५३४)। कर्म, रणवइ, रणज्जइ (हे ४, अव्यय (गउड)।
अर वि [°चर] १ आकाश में विचरनेवाला
२५२)। कवकु. णज्जत, णज्जमाण (से णविअ देखो णमिअ = नत (हे ३, १५६) (से १४ ३८) । २ पुं. विद्याधर, आकाश- १३, ११, उप १००१ टी)। संकृ. णाउं, भवि)। विहारी मनुष्य (सुर ६, १८६)। केउमंडिय
णाऊण, णाऊणं, णच्चा, णचाणं (महा: णविअ वि [नव्य] नूतन, नया (पाचा २, न [ केतुमण्डित ] विद्याधरों का एक
पि ५८६; औपः सूत्र १, २, ३; पि ५८७) । २,३)
नगर (इक)। 'गमा स्त्री [गमा] प्राकाश- कृ. णायव्व, णेअ (भग, जी६; सुर ४, णवीण वि [नवीन] नूतन, नया (मोह ८३; गामिनी विद्या (सुर १३, १८६) गामिणी ७०%; दं २, हे २, १६३ नव ३१) धर्मवि १३२) ।
स्त्री [गामिनी] श्राकाश गामिनो विद्या णा अ [न] निषेध-सूचक अव्यय (गउड)। णवुत्तरसय वि [नवोत्तरशततम] एक सौ (सुर ३, २८)। चर देखो 'अर (उप |
पाअअदेखो णायग (प्राकृ २६)। नववा (पउम १०६, २७)।
५६७ टी) च्छेदणय न [च्छेदनक] णाअक्क । णवुल्लडय (अप) देखो णव = नव (कुमा) नख उतारने का शस्त्र (पाचा २, १, ७, १)Mणाअक्क (अप) देखो णायग (पिंग)। णवोढा स्त्री [नवोढा] नव-विवाहिता स्त्री, 'तिलय न [तिलक] १ नगर-विशेष । णाइ पुंज्ञाति] इक्ष्वाकु वंश में उत्पन्न दुलहिन (काप्र १६७) ।
२ सुभट-विशेष (पउम ५५, १५) वाहण क्षत्रिय-विशेष । 'पुत्त पुं [°पुत्र] भगवान् णवोद्धरण न [दे] उच्छिष्ट, जूठा (दे ४, पुं[वाहन] नृप-विशेष (सुर ६, २६) श्री महावीर (प्राचा)। सुय ( [सुत] २३)।
"सिर न [शिरस् ] नख का अग्र भाग भगवान श्री महावीर (आचा) णव्व [दे] आयुक्त, गाँव का मुखिया (दे (भग ५, ४) "सिहा स्त्री ["शिखा] नख णाइ स्त्री [s] १ नात, समान जाति
का अग्र भाग (कप्प)५ °सेण पुं[सेन] (पउम १००,११ शोप; उवा)। २ माताणव्व वि [नव्य] नूतन, नया, नवीन राजा उग्रसेन का एक पुत्र (राज) हरणी पिता आदि स्वजन, सगा (णाया १, १)। (श्रा २७)।
स्त्री [हरणी] नख उतारने का शस्त्र (बृह ३) ३ ज्ञान, बोध (प्राचा; ठा ५, ३) ।
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