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पाइअसद्दमण्णवो
देवकी-देसि
| देव्यजाणुअ । देखो देव्व-ज (प्राकृ १८)।
सशि अन्यकारी
और
देवकी देखो देवई । गंदण पं. [नन्दन] | देवोद पं. [देवोद] समुद्र-विशेष (जीव ३, गुण-स्थानक (पव २२) । "विराहय वि श्रीकृष्ण (वेणी १८३)।
[विराधक] व्रत आदि में प्रांशिक दूषण देवय वि [दैव्य] देव-सम्बन्धी (पव १२५) । | देवोववाय पं देवोपपात] भरतक्षेत्र में लगानेवाला (भग ८, ६)। "विराहि वि देवय न [दैवत देव, देवता (सुपा १५७)। आगामी उत्सपिणी काल में होनेवाले तेईसवें ["विराधिन] वही अर्थ (णाया १, ११देवय देखो देव = देव (महा; गाया १,१८)। | जिन-देव (सम १५४)।
पत्र १७१) । विगास न [वकाश देवया स्त्री [देवता] १ देव, अमर (मभि देव्य देखो दिव्य = दिव्य (उप ६८६ टी)। श्रावक का एक व्रत (सुपा ५६२)। विगा११७ अरण) । २ परमेश्वर, परमात्मा (पंचा देव्व देखो दइव (गा १३२, महा; सुर ११,
सिय न [वकाशिक] वही अर्थ (प्रौप; ४. अभि ११७); ‘एसो य देवो णाम
सुपा ५६६) । हिव पुं[धिप] राजा देवर देखो दिअर (हे १, १८६; सुपा ४८५)। अणाराहणीमो विरणएण' (स १२८)। ज,
(पउम ६६, ५३) । हिवइ पुं[धिदेवराणी देखो देअराणी (दे १, ५१)। °ण्ण, णु वि [s] जोतिषी, ज्योतिष
पति] राजा (बृह ४)। देवसिय वि देवसिक] दिवस-संबन्धी (प्रोष शास्त्र को जाननेवाला (षड् ; कप्पू)।
देस देखो वेस = द्वेष (रयण ३६) । ६२६, ६३६; सुपा ४१९)।
देसंतरिअ वि [देशान्तरिक भिन्न देश का. देवसिआ स्त्री [देवसिका] एक पतिव्रता स्त्री, देवण्णुअ ।
विदेशी (उप १०३१ टी कुप्र ४१३) । जिसका दूसरा नाम देवसेना था (पुप्फ ६७) । देस पं देश] एक सौ हाथ परिमित जमीन,
देसग देखो देसय (द्र २६)। देविंद पुं [देवेन्द्र] १ देवों का स्वामी, इन्द्र
'हत्यसयं खलु देसो' (पिंड ३४४)। 'देस देसण न [देशन] कथन, उपदेश, प्ररूपण (हे ३, १६२ णाया; १, ८, प्रासू १०७)।
पु.[ देश सौ हाथ से कम जमीन (पिंड (दं १)। २ वि. उपदेशक, प्ररूपक । स्त्री. २ एक प्रसिद्ध जैनाचार्य और ग्रन्थकार (भाव
३४४)। राग पुं[ राग] देश-विशेष °णी (दस ७)। २१)। सूरि . [ सूरि] एक प्रसिद्ध जैना(माचा २, ५, १,७)।
देसणा श्री [देशना] उपदेश, प्ररूपण चार्य और ग्रन्थकार (कम्म ३, २४)।
देस सक [देशय् ] १ कहना, उपदेश देना। देविंदय पुं [देवेन्द्रक] देवविमान-विशेष
२ बतलाना। वकृ. देसयंत (सुपा ४८५;
देसय वि [देशक] १ उपदेशक, प्ररूपक (देवेन्द्र १२८)। सुर १५, २४८)। संकृ. देसित्ता (हे १,
(सम १) । २ दिखलानेवाला, बतलानेवाला देविड्ढि स्त्री [देवद्धि] १ देव का वैभव । ८८)।
(सुपा १८६)। २ पुं. एक सुप्रसिद्ध जैन प्राचार्य और ग्रन्थकार
देस पं देश] १ अंश, भाग (ठा २, २ | देसराग वि [ देशराग] 'देशराग' देश में (कप्प)।
कप्प)। २ देश, जनपद (ठा ५, ३; कप्पा बना हुआ, 'देसरागाणि वा' (प्राचा २, ५, देविय वि [दैविक] देव-संबन्धी (सुर ४, २३६)।
प्रासू ४२)। ३ अवसर (विसे २०६३)। १, ७)। देविल पुं [देविल] एक प्राचीन ऋषि (सूत्र
४ स्थान, जगह (ठा ३, ३)। कहा स्त्री दास वि [षिन् ] द्वेष करनेवाला (रयण
[कथा] जनपद-वार्ता (ठा ४, २)। काल १, ३, ४, ३)। देखो याल (विसे २०६३)। 'जइ पुं.
देसि । विदेशिन् १ अंशी, प्रांशिक, देवी स्त्री [देवी] १ देव-स्त्री (पंचा २)। २
["यति] श्रावक, उपासक, जैन गृहस्थ
देसि भागवाला (विसे २२४७) । २ रानी, राज-पत्नी (विपा १, १५) । ३ दुर्गा, (कम्म २ टीः आउ)। णु वि ["ज्ञ] |
दिखलानेवाला । ३ उपदेशक (विसे १४२५, पार्वती (कप्पू)। ४ सातवें चक्रवर्ती और देश की स्थिति को जाननेवाला (उप १७६
भास २८)। अठारहवें जिन-देव की माता (सम १५१;
टी)। भासा स्त्री [भाषा] देश की बोली देसिअ वि [देश्य, दैशिक] देश में उत्पन्न, १५२)। ५ दशवें चक्रवर्ती की अग्र-महिषी
(बृह ६) । भूसण पुं [भूषण] एक देश संबन्धी (उप ७६८ टी: अच्च ६)। सद्द (सम १५२)। ६ एक विद्याधर-कन्या (पउम
केवलज्ञानी महर्षि (पउम ३६, १२२)। पू[शब्द] देशीभाषा का शब्द (वजा ६)।
'याल पुं [ काल] प्रसंग, अवसर, योग्य देसिअ वि [देशित] १ कथित, उपदिष्ट । देवीकय वि[देवीकृत] देवी से बनाया हुमा, समय (पउम ११, १३) । 'राय वि २ उपदर्शित (दै २२, प्रासू ५२, १३३; 'अणिमिसणपणो सभलो जीए देवीको [राज] देश का राजा (सुपा ३५२)। भवि)। लोगों (गा ५६२)।
वगासिय देखो वगासिय (सुपा ५६९)। देसिअ वि [देशिक] बृहत्क्षेत्र-व्यापी, देवुकलिआ स्त्री [देवोत्कलिका] देवों की विरइ स्त्री [विरति] श्रावक धर्म, जैन | विस्तीर्ण (भाचा २, १, ३, ७)। ठठ, देवों की भीड़ (ठा ४, ३) ।
गृहस्थ का व्रत, अणुव्रत, हिंसा आदि का देसिअ वि [देशिक] १ पथिक, मुसाफिर देवेसर ' [देवेश्वर] इन्द्र, देवों का राजा प्रांशिक त्याग (पंचा १०)। "विरय वि | (पउम २४, १६, उप पू ११५) । २ उप(कुमा)।
[विरत] श्रावक, उपासक । २ न. पाँचवाँ । देष्टा, गुरु (विसे १४२५) । ३ प्रोषित, प्रवास
भाषा भूषण] एक
शब्द] देशीभाषा का कथित, उपदिष्ट ।
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