________________
४६६ पाइअसहमहण्णवो
पउमग-पउमावई (ठा २, ४, इक) । ४ गन्ध-द्रव्य-विशेष ३०)। द्धय पुं[ध्वज एक भावी राजर्षि, ["शेखर] पृथ्वीपुर नगर के एक राजा का (प्रौप; जीव ३)। ५ सुधर्मा सभा का एक जो महापद्म नामक जिनदेव के पास दीक्षा
नाम (धम्म ७)। "गर पुं [कर] १ सिंहासन (णाया २)। ६ दिन का नववाँ लेगा (ठा ८)। नाह देखो °णाभ (उप
कमलों का समूह । २ सरोवर (उप १३३ मुहूत्तं (जो २)। ७ दक्षिण रुचक-पर्वत का ६४८ टी)। पुर न [पुर] एक दक्षिणात्य टी)। सिण न [सिन] पद्माकार प्रासन एक शिखर (ठा ८)। ८ पुं. राजा रामचन्द्र, नगर, जो आजकल 'नासिक' नाम से प्रसिद्ध (जं १)। सीता-पति (पउम १,५, २५, ८)। है (राज)। प्पभ पुं [प्रभ] इस अव
पउमग पुन [पद्मक] केसर (दस ६, ६४) । पाठवाँ बलदेव, श्रीकृष्ण के बड़े भाई। १० सर्पिणी काल में उत्पन्न षष्ठ जिन-देव का नाम
(कप्प)। °प्पभा स्त्री [प्रभा] एक पुष्कइस अवसपिणीकाल में उत्पन्न नववाँ चक्रवर्ती
पउमप्पह [पद्मप्रभ] विक्रम की तेरहवीं
शताब्दी का एक जैन प्राचार्य (विपा ३)। राजा, राजा पद्योत्तर का पत्र (पउम ५. ! रिणी का नाम (इक)। यह देखो पभ १५३; १५४ )। ११ एक राजा का (ठा ५, १, सम ४३; पडि)। भद्द पुं
पउमा स्त्री [ पद्मा] १ लक्ष्मी । २ देवीनाम (उप ६४८ टी)। १२ माल्यव नामक [भद्र] राजा श्रेणिक का एक पौत्र (निर
विशेष । ३ लौंग, लवंग । ४ पुष्प-विशेष, पर्वत का अधिष्ठाता देव (ठा २, ३)। १३ २, १)। °मालि पुं[ मालिन्विद्याधर
कुसुम्भ-पुष्प (प्राकृ २८)। भरतक्षेत्र में आगामी उत्सर्पिणी में उत्पन्न वंश के एक राजा का नाम (पउम ५, ४२)। पउमा स्त्री [पद्मा] १ बीसवें तीर्थंकर श्री होनेवाला पाठवा चक्रवर्ती राजा (सम १५४)। मुह देखो पउमाणण (षड् )। रह पुं
मुनिसुव्रतस्वामी की माता का नाम (सम १४ भरत क्षेत्र का भावी आठव बलदेव (सम | [रथ] १ विद्याधर-वंश का एक राजा
१५१)। २ सौधर्म देवलोक के इन्द्र की एक १५४) । १५ चक्रवर्ती राजा का निधि, जो (पउम ५, ४३)। २ मथुरा नगरी के राजा
पटरानी का नाम (ठा -पत्र ४२६; पउम रोग-नाशक सुन्दर वस्त्रों की पूर्ति करता है जयसेन का पुत्र (महा)। राय [राग]
१०२, १५६)। ३ भीम नामक राक्षसेन्द्र की (उप ६८६ टी)। १६ राजा श्रेणिक का रक्त-वर्ण मणि-विशेष (१३६; १६६ ) ।
एक पटरानी (ठा ४, १-पत्र २०४)। ४ एक पौत्र (निर २, १)। १७ एक जैन मुनि 'राय पुं[राज] धातकोखण्ड की अपर
एक विद्याधर कन्या का नाम (पउम ६, का नाम (कप्प)। १८ एक ह्रद (कप्प)। कंका नगरी का एक राजा, जिसने द्रौपदी का
२४)। ५ रावण की एक पत्नी (पउम ७४, १६ पद्म-वृक्ष का अधिष्ठाता देव (ठा २, ३)। अपहरण किया था (ठा १०)। रुक्ख पुं
१०)। ६ लक्ष्मी (राज)। ७ वनस्पति-विशेष २० महापद्म नामक जिनदेव के पास दीक्षा
(परण १-पत्र ३६)। ८ चौदहवें तीर्थकर ["वृक्ष १ उत्तर-कुरुक्षेत्र में स्थित एक वृक्ष लेनेवाला एक राजा, एक भावी राजर्षि (ठा
श्रीअनन्तनाथ को मुख्य शिष्या का नाम (पव (ठा २, ३)। २ वृक्ष-सदृश बड़ा कमल ८)। गुम्म न [गुल्म] १ पाठवें देव
६)। सुदर्शना-जम्बू की उत्तर दिशा में (जीव ३)। °लया स्त्री [लता] १ कमलिनी, लोक में स्थित एक देव-विमान का नाम (सम
स्थित एक पुष्करिणी (इक)। १० दूसरे पमिनी (जीव ३ भग; कप्प)। २ कमल के ३५) । २ प्रथम देवलोक में स्थित एक देव
बलदेव और वासुदेव की माता का नाम ।
आकारवालो वल्ली (णाया १,१)। वडिंसय, विमान का नाम (महा)। ३ पुं. राजा
११ लेश्या-विशेष (राज)।
वडेंसय न [°ावतंसक] पद्मावती-देवी का श्रेणिक का एक पौत्र (निर २,१)। ४ एक सौधर्म नामक देवलोक में स्थित एक विमान
पउमाड [दे] वृक्ष विशेष, पमाड़ का पेड़ भावी राजर्षि, महापद्म नामक जिनदेव के
चकवड़ (दे ५, ५)। (राजः णाया २–पत्र २५३)। वरवेइया पास दोक्षा लेनेवाला एक राजा (ठा ८)। स्त्री [वरवेदिका] १ कमलों की श्रेष्ठ
पउमाणण पुं[पद्मानन] एक राजा का नाम चरिय न [°चरित] १ राजा रामचन्द्र
वेदिका (भग) ३ जम्बूद्वीप की जगतीके (उप १०३१ टी)। की जीवनी-चरित्र । २ प्राकृत भाषा का ऊपर रही हुई देवों की एक भोग-भूमि (जीव पउमाभ [पद्माभ] षष्ठ तीर्थंकर का नाम एक प्राचीन ग्रंथ, जैन रामायण (पउम ११८, ३)। "वूह पुं [°व्यूह] सैन्य की पद्माकार (पउम १, २)। १२१) । णाभ [ नाभ] १ वासुदेव, रचना (पएह १, ३) । °सर पुं[सरस] पउमार [दे] देखो पउमाड (दे ५. ५ टि)। विष्णु (पउम ४०, १) २ आगामी उत्सर्पिणी- कमलों से युक्त सरोवर (णाया १,१; कप्पा पउमावई स्त्री [पद्मावती] १ जम्बूद्वीप के काल में भरतक्षेत्र में होनेवाला प्रथम जिन-देव महा)। 'सिरी स्त्री [श्री] १ अष्टम चक्र- सुमेरु पर्वत के पूर्व तरफ के रुचक पर्वत पर का नाम (पव ४६) । ३ कपिल-वासुदेव के वर्ती सुभूमराज की पटरानी (सम १५२)। रहनेवाली एक दिक्कुमारी-देवी (ठा)। २ एक माएडलिक राजा का नाम (णाया १, २ एक स्त्री का नाम (कुमा)। सेण पुं भगवान पार्श्वनाथ की शासन-देवी, जो नाग१६--पत्र २१३)। दल न [दल] [°सेन] १ राजा श्रेणिक के एक पौत्र का राज धरणेन्द्र की पटरानी है (संति १०)। कमल-पत्र (प्रारू)। दह पुं [°द्रह] विविध नाम, जिसने भगवान महावीर के पास दीक्षा ३ श्रीकृष्ण की एक पत्नी का नाम (अंत प्रकार के कमलों से परिपूर्ण एक महान् ह्रद । ली थी (निर १,२)। २ नागकुमार-जातीय | १५)। ४ भीम-नामक राक्षसेन्द्र की एक का नाम (सम १०४ कप्पा पउम १०२, एक देव का नाम (दीव)। सेहर पुं पटरानी (भग १०,५)। ५ शक्रेन्द्र की एक
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org