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४९२ पाइअसद्दमहण्णवो
धूमाभा-ध्रुवु धूमाअंति (से ८.१६; गउड)। वकृ. धूमायंत धूव ' [धूप] १ सुगन्धि द्रव्य से उत्पन्न घेवय धैवत] स्वर-विशेष, 'धेवयस्सरसं(गउड से १, ८)।
धूम । २ सुगन्धि द्रव्य-विशेष, जो देव-पूजा पराणा भवंति कलहप्पिया' (ठा ७-पत्र धूमाभा स्त्री [धूमाभा] पाँचवों नरक-पृथिवी प्रादि में जलाया जाता है (णाया १,१; ३६३)। (पउम ७५, ४७)।
सुर ३, ६५)। घडी स्त्री [°घटी] धूप- धोअ सक [धाव ] धोना, शुद्ध करना, धृमिअ वि [धूमित १ धूमयुक्त (पिंड)। २ पात्र, धूप से भरी हुई कलशी (जं १)। जंत पखारना । धोएजा (पाचा)। वकृ, धोयंत
छौंका हुआ (शाक पादि) (दे ६;८८)। न [यन्त्र] धूप-पात्र (दे ३, ३५)। (सुपा ८५)। धूमिआ स्त्री [दे] नीहार, कुहासा (दे ५, धूवण न [धूपन] १ धूप देना । २ धूम-पान, धोअ वि [धौत] धोया हुआ, प्रक्षालित (से
६१ पान; ठा १०; भग ३, ७; अणु)। रोग की निवृत्ति के लिए किया जाता धूम का १, २५, ७, २०० गा ३६६)। धूयरा देखो धूआ (सूत्र १, ४, १, १३)।
पानः 'धूवणे त्ति वमणे य व त्थीकम्मविरेयणे' | धोअग वि [धावक] १ धोनेवाला । २ पुं.
(दस ३, ६)। वट्टि स्त्री [त्ति धूप की धूरिअ वि [दे] दोर्ष, लम्बा (दे ५, ६२) ।
धोबी (उप पृ ३३३)। बनी हुई वत्तिका, अगरबत्ती (कप्पू)। धोअण वि [धावन] धोना, प्रक्षालन (श्रा घूरिअब दे] अश्व, घोड़ा (दे ५, ६१)।
धृवि वि [धृपित] १ तापित, गरम किया, २० रयण १८ प्रोघ ३४७) । धूलडिआ (अप) देखो धूलि (हे ४, ४३२) । हुआ । २ हींग आदि से छौंका हा (चार धोइअ देखो धोअ = धौत (गा १८)। धृलि । स्त्री [धूलि, ली] धूल, रज, रेणु ६)। ३ धूप दिया हुआ (प्रौप; गच्छ १)। धोज वि [धुर्य] १ धुरीण, भार-वाहक । २ धूली (गउड; प्रासू २८८४)। कब, धृसर पुं [धूसर] १ हलका पीला रंग, ईषत् | अगुमा, नेता, धुरन्धर (वव १)। कलब पुं [कदम्ब] ग्रीष्म ऋतु में विक
पाण्डु वर्ण। २ वि. धूसर रंगवाला, ईषत् धोरण न [दे] गति-चातुर्य (प्रौप)। सनेवाला कदम्ब-वृक्ष (कुमा) । जंघ वि पाण्डु वर्णवाला (प्रासू ८४; गा ७७४, से ६, धोरणि । स्त्री [धोरणि, णी] पंक्ति कतार [जङ्क] जिसके पाँव में धूल लगी हो वह | ___८२)।
धोरणी (सुपा ४६ भविः षड्)। (वव १०)। धूसर वि [ धूसर] धूल से
धूसरिअ वि [धूसरित] धूसर वर्णवाला धोरिय देखो धोज (सुपा २८२)। लिप्त (गा ७७४ ८२६) । "धोउ वि (पान भवि)।
धोरुगिणी स्त्री [धोरुकिनिका] देश-विशेष [धोत] धूल को साफ करनेवाला (सुपा घे सक धा] धारण करना । धेइ (संक्षि में उत्पन्न स्त्री (णाया १,१-पत्र ३७)। ३३६) । [पथ] धूलि-बहुल मार्ग ३३); 'धेहि धीरत्तं' (कुप्र १००)। धोरेय वि [धौरेय] देखो धोज (सुपा (प्रोध २४ टी)। वरिस पुं [व] धूल धेअ) वि [ध्येय] ध्यान-योग्य (अजि ६५०)। की वर्षा (प्रावम)। हर न [गृह] वर्षा ऋतु धेज १४ रणाया १,१)।
धोब देखो धोअ = धान् । धोवइ (स १५७; में लड़के लोग जो धूल का घर बनाते हैं वह | घेउल्लिया देखो धीउल्लिया (सुख ३, १)। पि ७८) ! धोवेजा (प्राचा)। वकृ. धोवंत (उप ५९७ टी)। धेज वि [धेय ] धारण करने योग्य (णाया | (भाव
(भवि) । कवकृ. धोव्वंत, धोव्वमाण (पउम धूलिहडी स्त्री [दे] पर्व-विशेष, होली धूलि
१०, ४४ रणाया १,८)। कृ. धोवणिय हडीरायत्तणसरिसा सव्वेसि हसरिणज्जा' धेज न धैिर्य] धीरज, धीरता (पएह २, ।
(णाया १,१६)। (कुलक ५)।
धोवण देखो धोअण (पिंड २३)। धूलीवट्ट पुं[दे] अध, घोड़ा (दे ५, ६१)। घेणु स्त्री [धेनु] १ नव-प्रसूता गौ। २ सवत्सा धोक्य देखो धोवग (दे८, ३६): धूव सक [धूपय] धूप करना । धूवेज गौ। ३ दूधार गाय (हे ३, २६; चंड)।
ध्रुबु (अप) प्र[ध्रुवम् ] अठल, स्थिर (हे (पाचा २, १३) । वकृ. धूवेंत (पि ३६७)। धेर देखो धीर = धैर्य (विक्र १७)।
॥ अ सिरिपाइअसहमहण्णवम्मि धपाराइसहसंकलणो
छब्बीसइमो तरंगो समत्तो।।
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