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देव - देवव्विसिया
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( १७ पत्र १२० ) दिष्ण, दिन [दत्त] व्यक्तिवाचक नाम एक सा पुत्र ( राज गाया १, २ – पत्र ८३ ) । दीव ["द्वीप] द्वीप-विशेष (जीव ३) दूस [दूष्य ] देवता का वस्त्र, दिव्य वस्त्र ( जीव ३) । देव [देव] १ परमेश्वर, परमात्मा, (सुपा ५०० ) । २ इन्द्र, देवों का स्वामी (५) । नट्टिया स्त्री [नर्तिका ] गानेवाली देवी देव-नटी ( जि २१) | 'नगरी स्त्री ["नगरी ] अमरावती, स्वर्ग-पुरी (१२, १५) डिक्सोभ ["प्रति क्षोभ ] तमस्काय अन्धकार ( भग ६, ५ ) । [[परिक्षोभ ] कृष्ण-राजि (भग ६५ [पर्यंत] पर्यट विशेष (ठा २, ३ – पत्र ८० ) । पसाय [प्रसाद] राजा कुमारपाल के पितामह का नाम (५) 'फलिह पुं ["परिष] तमस्काय अन्धकार (भग ६, ५) । भद्द
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[भ] १ देव-द्वीप का अधिष्ठाता देव ( जीव ३) २ एक प्रसिद्ध जैनाचार्य (सार्धं ८३) । भूमि स्त्री [भूमि ] १ स्वर्ग, देवलोक । २ मरण मृत्यु 'ग्रह अन्नया य सिट्टी बिरदेवो देवभूमिमगुपतों (५२) । महामद [महाभद्र] देव-द्वीप का अद्विता देव (जीव ) महावर [महावर ] देव नामक समुद्र का अधिष्ठायक देव-विशेष ( जीव ३; इक)। रइ पुं [रति] एक राजा (भत १२२) । रक्ख पुं [रक्ष] राक्षस वंशीय एक राज कुमार ( पाउन ५, १६६) । रण न [रण्य] तमः काय, अन्धकार ( ४, २) रमण न ["रमण] १ सौभाञ्जनी नगरी का एक उद्यान (विपा १, ४) । २ रा का एक उद्यान (पउन ४५, १५) राय [राज] इन्द्र (पत्रम P, R; ve, e) 'ffe [*] नारद मुनि (पउम ११, ६८ ७८,१० ) । 'लोअ, 'लोग [क] १ स्वर्ग (भाग णाया १, ४ सुपा ६१५३ श्रा १६) । २ देव-शाति 'विहाणं भंते देवलोना पण्णत्ता ? गोयमा चउब्विहा देवलोगा पण्णत्ता, तं जहा - भवरणवासी, वारणमंतरा जोइसिया, वेमारिया' (भग ५, ९ ) ।
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पाइअसहमष्णयो
"लोगगमण न [लोकगमन ] स्वर्ग में उत्पत्ति; पानोवगमरणाई देवलोगगमरणाई कुसुपचायाया पूवहिनामा' (सम १४२) "वर ' [" वर ] देव-नामक समुद्र का अधिष्ठाएक एक देव जी ३) बहू [] देवांगना, देवी (ग्रजि ३० ) । सती स्त्री [*संशति] देवकुल प्रतिबोध २ देवता के प्रतिबोध से ली हुई दीक्षा (ठा १० - पत्र ४०२ ) संणिवाद [सन्निपात] देव-समागम (ठा ३, १) । २ देव-समूह । ३ देवों की भीड़ (राय) । "सम्म ['शर्मन]
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१ इस नाम का एक ब्राह्मण ( महा) । २ ऐरवत क्षेत्र में उत्पन्न एक जिनदेव (सम १५३) । 'साल न ['शाल] एक नगर का नाम ( उप ७६८ टी) । सुंदरी स्त्री [सुन्दरी] देवांगना, देवी (प्रजि २८ ) । "सुय देखो "स्य (पत्र ७) सेग बु [सेन] १ शतद्वार नगर का एक राजा, जिसका दूसरा नाम महापद्म था (ठा - पत्र ४५९ ) । २ ऐरवत क्षेत्र के एक जिनदेव ( पव ७) ३ भरत क्षेत्र के एक भावी जिनदेव के पूर्वभव का नाम ( ती १९ ) । ४ भगवान् नेमिनाथ का एक शिष्य, एक प्रन्तकृद् मुनि (अंत)। स्सन [ 'स्व] देव- द्रव्य, जिनमन्दिर-संबन्धी धन (पंचा ५) । स्य पुं ["भुख] भरतशेष के छ भनी दे (सम १५३) । ° हर न [गृह] देव-मन्दिर ( उप ४११) । इदेव ' [तिदेव] श्रन्
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१२) [["नन्द] ऐवत क्षेत्र में बागामी उत्सर्पिणी काल में उत्पन होनेवाले बीस मिनदेव चौबीसवें (१२४)श्री [निन्दा] १ भगवान् महावीर की प्रथम माता ( श्राचा २, १५, १) । २ पक्ष की पनरहवीं रात्रि का नाम (कप्प ) प ["नुप्रिय ] भद्र, महाराय, महानुभाव, सरल-प्रकृति (श्री ११ महाअ [चायें] एक सुप्रसिद्ध जैन श्राचार्यं ( ७ ) । रन्न देखो रण (भग ६, ५) । २ देवों का क्रीड़ास्थान (जो ६) । °य पुंन [य] स्वर्ग ( उप २६४ टी ) । हिदेव पु [धिदेव ] परमेश्वर, परमात्मा, जिनदेव (सम ४३ सं
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५) । विपुं [धिपति ] इन्द्र, देवनायक (सू १, ६) ।
देव न [देव] एक देव-विमान देवेन्द्र १३३) । कुरु स्त्री [कुरु] भगवान् मुनिसुव्रत स्वामी की दीक्षा शिविका का नाम (विचार १२१ ) [क] कमानदार घूमटवाला दिव्य आसन-स्थान (भाषा २, १५, ५)7 "तमिस्स न ["तमिस्र] धन्यकार-राशि, समस्कार (भग ६,५२६० दिन्ना श्री [दत्ता ] भगवान वामुज्य की दीक्षा-शिविका (विचार १२) पलिक्सोभ ["परिक्षांम] कृष्णराजि, कृष्णवर्णं पुगलों की रेखा (भग ६, ५ - पत्र २७० ) । रमण [रमण] नन्दीश्वर द्वीप के मध्य में पूर्व दिशा स्थित एक अंजनगिरि ( पत्र २६९ टी) । वूद पुं [["व्यूह] तमस्काय (भग ६५ प २६८ ) ।
देव देखो दइव (उप ३५६ टी; महा हे १ १५२ टी स्तु[ि"श] जौतिष-शास्त्र का जानकार (गुपा २०१) पर [पर] भाग्य पर ही श्रद्धा रखनेवाला ( षड् ) । देवइ स्त्री [देवकी] श्रीकृष्ण की माता, आगामी उस काल में होनेवाले एक तीर्थंकर देव का पूर्व भव (पउम २०, १८५ सम १५२ : १५४) | देखो देवकी । देवउप्फ न [दे] पत्रपुष्प, पका हुआ फल (दे ५, ४९) । देवं देखो दा = दा ।
गहिउं
[. दिव्याङ्ग] देव नन (उ ७३८) । देवगणन [देवा]" चरन' (सम्म १६० ) । देवधर देखो देवपगार (मन ६, १ २६८) ।
देवधगार
[देवान्धकार] तिमिर-निचय
अन्धकार का समूह (टा ४, २) । देवकिव्विस पुं [देवकिल्बिष ] एक प्रथम देव जाति (ठा ४, ४ पत्र २७४) । देवकिच्चिसिया स्त्री [ देवकेल्बिांपकी ]
भावना- विशेष, जो अधम देव-योनि में उत्पत्ति का कारण है (ठा ४, ४) ।
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