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दूआ-दूसि
पाइअसहमहण्णवो दूआ देखो धूआ (षड्)।
दमण देखो दुम्मण %D दुर्मनस् (सूम १, दूलह देखो दुल्लह (संक्षि १७) । दुई देखो दूई। पलासय न [पलाशक]
दूस अक [ दुष्] दूषित होना, विकृत होना। एक चैत्य (उवा)।
| दुमणाइअ वि [दुर्मनायित] जो उदास हुआ | दूसइ (हे ४, २३५, संक्षि ३६)।
हो, उद्विग्न-मनस्क (नाट-मालती ६६)' दूइज सक [5] गमन करना, विहरना,
दस सक[ दूषय ] दोषित करना, दूषणजाना । दूइजइ (प्राचा)। वकृ. दूइज्जत,
दूमिअ [दून, दावित] संतापित, पीड़ित | दोष लगाना । दूसइ (भवि), दूसेइ (बृह ४)। दूइज्जमाण (मोप: णाया १, १; भगः । | (सुपा १०० १३३; २३०)।
दूस न [दृष्य १ वस्त्र, कपड़ा (सम १५१, प्राचा: महा)। हेकृ. दूइजित्तए (कस)। दूमिअ वि [धवलित] सफेद किया हुआ (हे | कप्प)। २ तंबू, पट-कुटी (दे ३, २८)। दूइत्त न [दूतीत्व दूती का कार्य, दूतीपन ४, २४; कप्प)।
गणि पु [गणिन् ] एक जैन प्राचार्य (पउम ५३, ४५)।
दूयाकार न [दे] कला-विशेष (स ६०३)। । (दि)। "मित्त पुं ["मित्र मौर्यवंश के दुई स्त्री [दूती] १ दूत के काम में नियुक्त की | दूर न [दूर] १ अनिकट, असमीप: 'रुसेव नाश होने पर पाटलिपुत्र में अभिषिक्त एक हुई स्त्री, समाचार-हारिणी, कुटनी (हे ४, जस्स कित्तो गया दूर' (कुमा)। २ अतिशय, राजा (राज)। हर न [गृह] तंबू, पट३६७)। २ जैन साधुनों के लिये भिक्षा का | प्रत्यन्तः 'दूरमहरं डसते' (कुमा)। ३ वि. | कुटी (स २६७)। एक दोष (ठा ३, ४-पत्र १६६)। "पिंड दूरस्थित, असमीपवर्ती (सूत्र १, २, २)। दूसअवि [दूषक] दोष प्रकट करनेवाला
[पण्ड] समाचार पहुंचाने से मिली हुई | ४ व्यवहित, अन्तरित (गउड)। ग वि | (वज्जा ६८)। भिक्षा (प्राचा २. १, ६)। देखो दूई। [ग] दूरवर्ती, असमीपस्थ (उप ६४८ टी | दूसग वि [दूषक] दूषित करनेवाला (सुपा दूण वि [दून] हैरान किया हुमाः 'हा पिय
कुमा)। गइ, 'गइअ वि [गतिक] १ २७५; सं १२४)।
दूर जानेवाला । सौधर्म प्रादि देवलोक में दूसग वि [दूषक ] दूषण निकालनेवाला, वयंस दूढो (? णो) मए तुम (स ७६३)।
उत्पन्न होनेवाला (ठा ८)। तराग वि | दोष देखनेवाला (धर्मवि ८५) । दूण पुं[दे] हस्ती, हाथी (दे ५, ४४; षड्)।
["तर] अत्यन्त दूर (पएण १७)। "त्थ वि | दूसण न [दूषण] दूषित करना (मज्झ ७३)। दूण (अप) देखो दुउण (पिंग)।
[स्थ] दूरस्थित, दूरवर्ती (कुमा)। भविय दूसण न [दूषण] १ दोष, अपराध । २ दूणावेढ वि [दे] १ अशक्य । २ तड़ाग, पुं[भव्य दीर्घ काल में मुक्ति को प्राप्त
कलंक, दाग (तंदु)। ३ पुं. रावण की मौसी तलाव, तालाब (दे ५, ५६)।
करने की योग्यतावाला जीव (उप ७२८ । का लडका (पउम १६,२५)। ४ वि. दूषित दूभ प्रक [दुःखय ] दूभना, दुःखित होना, टी)। 'य देखोग (सूम १, ५, २)।
करनेवाला (स ५२८)। 'तम्हा पुत्तोवि दूभिज्जा पहसिज्ज व दुज्जणों 'वत्ति वि [वर्तिन् ] दूर में रहनेवाला
| दूसम वि [दुष्षम] १ खराब, दुष्ट । २ पुं. (श्रा १२)। (पि ९४)। लइय वि [लियिक] मुक्ति
काल-विशेष, पाँचवाँ पारा; 'दूसमे काले दूभग देखो दुब्भग (णाया १, १६-पत्र गामी (माचा)। "लय [°ालय १ दूर
(सट्ठि १५६ )। दूसमा देखो दुस्सम. स्थित आश्रय । २ मोक्ष । ३ मुक्ति का मार्ग
दुस्समा (सम ३६; ठा १, ६)। सुसमा दुभग्ग न [दौर्भाग्य] दुष्ट भाग्य, खराब (प्राचा)।
देखो दुस्समसुसमा (ठा २, ३, सम ६४)। नसीब (उप पृ ३१)। दूरंगइअ देखो दूर-गइअ (प्रौप)।
दूसमा देखो दुस्समा (सम ३९; उप ८३३ दूम सक [दू, दावय् ] परिताप करना, दूरंतरिअ वि [दूरान्तरित] अत्यन्त-व्यवहित
टी; से ३४)। संताप करना। दूमइ, दूमेइ (सुपा प्राप्र (गा ६५८)। हे ४, २३)। कर्म. दूमिज्जइ (भवि) ।
दूसर देखो दुस्सर (राज)। दूरचर वि [दूरचर] दूर रहनेवाला (धम्मो | वकृ. दूमेंत (से १०, ६३)। कवकृ. दूमि
दूसल वि [दे] दुभंग, प्रभागा (दे ५, ४३; जंत (सुपा २६६)।
दूराय सक [दूराय] दूरस्थित की तरह दूम देखो दुम = धवलय् (हे ४, २४)। मालूम होना, दूरवर्ती मालूम पड़ना। वकृ. १
दूसह देखो दुस्सह (हे १, १३, ११५) । दूमक। वि [दावक] उपताप-जनक, पीड़ा- दूरायमाण (गउड)।
| दूसहणीअ वि [दुस्सहनीय] दुस्सह, असह्य दूमग जनक (पएह १, ३, राज)। दूरीकय वि [ दूरीकृत] दूर किया हुमा (पि ५७१)। दूमण वि [दावक] उपताप करनेवाला (सूम | (श्रा २८)।
दूसासण देखो दुस्सासण (हे १, ४३)। १, २, २, २७)।
दूरीहूअ वि [दूरीभूत] जो दूर हुमा हो दूसाहिअ वि [दौस्साधिक] दुसाध जाति दूमण न [दवन, दावन] परिताप, पीड़न (सुपा १५८) ।
में उत्पन्न, अस्पृश्य जाति का (प्राकृ १०)। (पएह १,१)।
दूरुल्ल वि [दूरवत् ] दूरस्थित, दूरवर्ती दूसि [दूषिन् ] नपुंसक का एक भेद दूमण न [धवलन सफेद करना (वव ४)।। (माव ४) ।
| 'दोसुवि वेएसु सज्जए दूसो' (बृह ४)।
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