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पाइअसहमहण्णवो
धणंजय-धत्तरटुग दव्वं दुगुरणं घणणंदी भएणई' (दस १)। पाण्डव (वेणी ११०)। २ वहि, अग्नि। ३)। द्धय पु. [ध्वज] नृप-विशेष (ठा "णिहि ' [निधि] खजाना, भण्डार (ठा ३ सर्प-विशेष । ४ वायु-विशेष, शरीर-व्यापी ८)। 'द्धर वि ["धर] धनुविद्या में निपुण, ५. ३)। "स्य वि ["र्थिन धन का अभि- पवन । ५ वृक्ष-विशेष (हे १, १७७, २, धानुष्क (राजः पउम ६, ८७)। "पिट न लाषो (रयण ३८)। "दत्त ['दत्त १ १८५ पड्)। ६ उत्तरा भाद्रपदा नक्षत्र का [पृष्ट] १ धनुष का पृष्ठ-भाग। २ धनुष एक सार्थवाह । २ तृतीय वासुदेव के पूर्व
गोत्र (इक)। ७ पक्ष का नववा दिन (जो | के पीठ के प्राकारवाला क्षेत्र (सम ७३) । जन्म का नाम (सम १५३; एंदिः पावम)।
४)। ८ श्रेष्ठि-विशेष (प्राव ४)। ६ एक पुहत्तिया स्त्री [पृथक्त्विका ] दो कोस, "देव पुं [देव] १ एक सार्थवाह, | राजा (प्रावम)।
गव्यूति (पएण १)। "वेअ, वेअ पुं मएि डक-गणधर का पिता (प्रावम; पाच धणि [ध्वनि ] शब्द, आवाज (विसे, [°वेद] धनुर्विद्या-बोधक शास्त्र. इषु-शास्त्र १)। २ धन्य सार्थवाह का एक पुत्र (णाया १५०)।
(उप ६८६ टीः सुपा २७०; जं २)। हर १; १८) । पइ देखो वइ (विपा २.१)। धणि स्त्री [ध्राणि] १ तृप्ति, सन्तोष (प्रौप)। देखो 'धर (भवि)।
पवर प्रवर] एक श्रेषी (महा)। २ अतृप्ति उत्पन्न करने की शक्ति; 'भमिरिण- | धण पूंन [धनुस 1 ज्योतिष-प्रसिद्ध एक 'पाल पुपाल] धन्य सार्थवाह का एक वितरयाई' (पिते १६५३) ।
राशि (विचार १०६; संबोध ५४) । ल्ल वि पुत्र (णाया १, १८)। देखो वाल। धणि वि [धनिन] धनिक, धनवान् (हे २, [मन् ] धनुषवाला (प्राकृ ३५)। 'पभा स्त्री [प्रभा कुण्डलधर द्वीप की १५६)।
धणुक्क । ऊपर देखो (एकदि; अणु; हे १, राजधानी (दीव)। °मंत, मण वि [वत्] धणि पुं [धनिक] यवन-मत का प्रवर्तक
धणुह । २२; कुमा)। धनी, धनवान (पिंगः हे २, १५६; चंड)। पुरुष-विशेष (मोह १०११०२)।
धणुही स्त्री [धनुष] कामुक, 'वसाम्रो व मित्त पुरा मित्र एक जनमुनि (पउम धणिअ वि [धनिक] १ पैसादार, धनी (दे| धरणहीमो गुणबद्धामोवि पयइकुडिलाप्री' २०, १७१)। य [द] १ एक साथ
(कुप्र २७४ स ३८१)। वाह (सुपा ५०६)। २ एक विद्याधर राजा, जो राजा रावण की मौसी का लड़का था
धणेसर [धनेश्वर] एक प्रसिद्ध जैनमुनि धणिअनदे] अत्यन्त, गाढ़, अतिशय (दे (पउम ८, १२४)। ३ कुवेर (महा)। ४
और ग्रन्थकार (सुर १, २४६; १६, २५०)। ५,५८, प्रौपः भगः महा: कप्पः सुर १, वि. धन देनेवाला; 'धणो घणत्थिाणं' १७५; भत्त ७३; पच्च ८२, जीव ३; उत्त
धण्ण पुं[धन्य] १ एक जैनमुनि। २ (रयण ३८)। 'रक्खिय पुं [रक्षित] १ वव २ स ६६७)।
'अनुतरोपपातिकदसा' सूत्र का एक अध्ययन धन्य सार्थवाह का एक पुत्र (णाया १, १८)। धणि वि [धन्य धन्यवाद के योग्य, (अनु २)। ३ यक्ष-विशेष (विपा २, २)। 'बइ पुं[पति] १ कुबेर (गाया १, ४- प्रशंसनीय, स्तुतिपात्र; 'जाण घरिणयस्प ४ वि. कृतार्थ । ५ धन-लाभ के योग्य । ६ पत्र उप पृ१८०; सुपा ३८)। २ एक पुरो निवडंति रणम्मि असिवाया' (पउम | स्तुति-पात्र, प्रशंसनीय । ७ भाग्यशाली, राजकुमार (विपा २, ६)। वई श्री ५६. २५ अच्नु ४२)।
भाग्यवान् (गाया १, १; कप्प; प्रौप)। [वता] एक साधंवाह-पुत्री (दंस १)। धणिआ स्त्री [दे] १ प्रिया, भार्या, पत्नी | धण्ण देखो धन = धान्य (श्रा १८; ठा ५, वंत, वत्त देखो मंत (हे २, १५६%;
। (दे ५, ५८; गा ५८२; भवि) । २ धन्या, ३, वव १)। चंड)। वह पुं[वह] १ एक श्रेष्ठी (दंस | स्तुति-पात्र स्त्री ( षड्)।
धण्णंतरि धन्वन्तरि] १ राजा कनकरथ १)। २ एक राजा (विपा २,२)। चाल धणिटा श्री धिनिया नक्षत्र-विशेष (सम ।
का एक स्वनाम-ख्यात वैद्य (विपा १.८)। देखो पाल। २ राजा भोज के समकालिक
। १०० १३; सुर १६, २४६ इक)। २ देव-वैद्य (जय २)। एक जैन महाकवि (घण ५०)। "संचया
धणी स्त्री [दे] भार्या, पत्नी। २ पर्याप्ति। धण्णाउस वि दे] १ जिसको आशीर्वाद श्री [संचया] एक वरिणग्-महिला (महा ।
३ जो बँधा हुआ हाने पर भी भय-रहित हो सम्म पुं शर्मन] एक वणिक् (गच्छ
दिया जाता हो वह । २ पुं. आशीर्वाद (दे | वह (दे ५, ६२), 'सयमेव मंकणीए धणीए। ५,५८)। २)। "सिरी स्त्री ["श्री] एक वणिग्-महिला
। तं कंकणी बद्धा' (कुप्र १८५)। (माव ४) सेण पुं [सेन] एक राजा
धत्त वि [दे] १ निहित, स्थापित (प्रावम)। (दंस ४)। ल वि [°वत् ] धनी (प्राप्र)। धणु पुन [ धनुष्] १ धनुष, चाप, कामुक
२ पुं. वनस्पति-विशेष (जीव १)। "वह वि [वह] १ घन को धारण
(षड् , हे १, २२)। २ चार हाथ का करनेवाला, धनी। २ पुं. एक श्रेष्ठी (दंस परिमाण (अणुः जी २६)। ३ पुं. परमा
धत्त वि [धात्त निहित, स्थापित (राज)। ४) । ३ एक राजा (विपा २, २)।
धार्मिक देवों की एक जाति (सम २६)। धत्तरट्रग पुं [धार्तराष्ट्रक] हंस की एक
'कुडिल न [कुटिलधनुष्] वक्र धनुष जाति, जिसके मुंह और पॉव काले होते हैं धणंजय पुं [धनञ्जय] १ अर्जुन, मध्यम (राय)। 'गह पु[ग्रह] वायु-विशेष (बृह। (पएह १, १) ।
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