________________
पाइअसद्दमहण्णवो
दूसिअ-देव
| देयमाण देखो दादा।
दृसिअ वि [दूषित १ दूषण-युक्त, कलङ्क- देक्खंत (अभि १४१)। संकृ. देक्खि पुं["किल्बिष चाण्डाल-स्थानीय देव-जाति युक्त (महा: भवि)। २ पुं. एक प्रकार का (अभि १६६) ।
(ठा ४, ४)। "किब्बिसिय पु[किल्बिनपुंसक (बृह ४)।
देक्खालिअ वि [दर्शित] दिखाया हुआ, षिक] एक अधम देव-जाति (भग ६, ३३)। दसिआ स्त्री[दृषिका] अाँख का मेल (कुमा)। बतलाया हमा (सुर १,१५२)।
'किब्बिसीया स्त्री ["किल्बिषीया] देखो दूसुमिण देखो दुस्सुमिण (कुमा)। देख (अप) देखो देक्ख । देखइ (भवि)। देवकिब्बिसिया (बृह १)। 'कुरा स्त्री दूहअ वि [दुःखक] दुःख-जनक, 'प्रसईणं देह देखो दिद्र = दृष्ट (प्रति ४०)।
[कुरा] क्षेत्र विशेष, वर्ष-विशेष (इक)। दूहनो चंदों' (वज्जा १८)।
देण्ण देखो दइण्ण (णाया १,१-पत्र ३३)। "कुरु पु[कुरु] वही अर्थ (पण्ह १, ४, दहद वि [दे] लज्जा से उद्विग्न (दे ५, देपाल [देवपाल] एक मंत्री का नाम सम ७०; इक)। कुल देखो उल (पि ४८)। (ती २)।
१६८; कप्प)। कुलिय पु[कुलिक] पुजारी दूहय देखो दोधअ (सिरि ६६१)। देप्प देखो दिप्प = दीन् । वकु.-देप्पमाण (प्रावम)। 'कुलिया देखो उलिआ (कुप्र दूहल वि[दे] दुभंग, मन्दभाग्य (दे ५, ४३)। (कुप्र ३४४) ।
१४४) गइ स्त्री [गति] दैवयोनि (ठा ५, दूहब देखो दुब्भग (हे १, ११५; १९२ देय ।
३)। गणिया स्त्री [गणिका] देव-वेश्या, कुमा; सुपा ५६७; भवि)।
अप्सरा (णाया १,१६) । "गिह न [गृह] दूहब सक [दुःखय् ] दूभाना, दुःखी करना।
देर देखो दार = द्वार (हे १,७६, २, १७२, देव-मन्दिर (सुपाः १३, ३४८)। गुत्त पुं दूहवेइ (सिरि १६७)। दे ६, ११०)।
[गुप्त] १ एक परिव्राजक का नाम (प्रौप)। दूहवि वि [ दुःखित] दुःखी किया हुआ
देव उभ [दिव] १ जीतने की इच्छा | २ एक भावी जिनदेव (तित्थ) । चंद पुं दूभाया हुआ; कि केवि दूहविया' (कुम्मा करना। २ पण करना। ३ व्यवहार करना।।
['चन्द्र एक जैन उपासक का नाम (सुपा १२) ।
४ चाहना। ५ आज्ञा करना। ६ अव्यक्त ६३२) । सुप्रसिद्ध श्री हेमचन्द्राचार्य के गुरू दूहिअ वि [दुःखित] दुःख-युक्त (हे १, १३,
शब्द करना। ७ हिंसा करना। देवइ का नाम (कुप्र १९)। च्चय वि [ क] संक्षि १७)। दे अ. इन अर्थों का सूचक अव्यय । १ संमुख
१ देव की पूजा करनेवाला। २. मन्दिर (संक्षि ३३)।
का पुजारी (कुप्र ४४१, ती १५)। °च्छंदग करण । २ सखी को आमन्त्रण (हे २, देव पुन [देव १ अमर, सुर, देवता;
'देवाणि, देवा' (हे १, ३४; जी १६, प्रासू न [च्छन्दक] जिनदेव का पासन (जीव १९२)।
८६)। २ मेघ । ३ आकाश । ४ राजा, ३; राय)। जस पुं[ यशस् ] एक जैन दे अ [दे] पाद-पूरक अव्यय (प्राकृ ८१)।
नरपति; 'तहेव मेहं व नहं व माणवं न देव मुनि (अंत ३, सुपा ३४२) । जाण न देअ देखो देव (मुद्रा १६१; चंड)। देवत्ति गिरं वएज्जा' (दस ७, ५२, भास |
[यान देव का वाहन (पंचा २)। जिण देअर देखो दिअर (कुमाः काप्र २२४ महा)। ६६)। ५ पु. परमेश्वर, देवाधिदेव (भग । पुं[जिन] एक भावी जिनदेव का नाम देअराणी स्त्री [देवरपत्नी] देवरानी, पति के १२, ६; दंस ५सुपा १३)। ६ साधु,
(पव ७)। 'ड्ढि देखो देविड्ढि (ठा ३, छोटे भाई की बहू (दे १, ५१)। मुनि, ऋषि (भग १२, ६)। ७ द्वीप-विशेष । ३; राज)। गाअअ ' [ नायक नीचे
देखो (अच्चु ३७) । गाह पुं [नाथ] १ ८ समुद्र-विशेष (पएरण १५)। ६ स्वामी, देई देखो देवी (नाट-उत्त १८)।
नायक (प्राचू ५)। १० पूज्य, पूजनीय इन्द्र । २ परमेश्वर, परमात्मा (अच्च ६७)। देउल न [देवकुल] देव-मन्दिर (हे १;
(पंचा १)। उत्त वि [ उत] देव से 'तम न [तमस् ] एक प्रकार का अन्ध१७१; कुमा)। णाह पुं["नाथ मन्दिर |
बोया हुआ । २ देव-कृत; 'देवउत्ते अयं लोए' कार (ठा ४, २) । थुइ, थुइ स्त्री का स्वामी (षड्)। वाडय पुंन[पाटक]
(सूअ १, १, ३)। उत्त वि [गुप्त १ [स्तुति देव का गुणानुवाद (प्राप्र)। दत्त मेवाड़ का एक गाँव; 'देउलवाडयपत्तं तुट्टण
देव से रक्षित (सूत्र १, १, ३)। २ ऐरवत पुं["दत्त व्यक्तिवाचक नाम (उत्त ; सीलं च अइमहग्ध' (वज्जा ११६) ।
क्षेत्र के एक भावी जिनदेव (स १५४)। उत्त पिंड; पि ५६६) । दत्ता स्त्री [ दत्ता देउलिअ वि [देवकुलिक] देव स्थान का पता देव-पत्र (सन १, १.३)।। व्यक्ति-वाचक नाम (विपा १, १,ठा १०)। परिपालक (ोघ ४० भा)।
उल न [कुल] देव-गृह, देव-मन्दिर (हे दव्व न [द्रव्य] देव-संबन्धी द्रव्य (कम्म देउलिआ स्त्री [देवकुलिका छोटा देव-स्थान १, २७१; सुपा २०१)। उलिया स्त्री १, ५६)। "दार न [द्वार] देव-गृह विशेष (उप पृ ३६६ ३२० टी)।
[कुलिका] देहरी, छोटा देव-मन्दिर (कुप्र का पूर्वीय द्वार, सिद्धायतन का एक द्वार देत देखो दा = दा।
१४४)। कन्ना स्त्री [ कन्या देव-पुत्री | (ठा ४, २)। दारु पुं[दारु] वृक्ष-विशेष, देक्ख सक [दृश्] देखना; अवलोकन (णाया १,८)। कहकहय पु[कहकहक] देवदार का पेड़ (पउम ५३, ७६) । दाली करना। देक्खइ (हे ४, १८१)। वकृ.। देवताओं का कोलाहल (जीव ३) । किब्बिस । स्त्री [दाली] वनस्पति-विशेष, रोहिणी
। कुलिका] देहरी, २१)। उलिया (हे
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org