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तक्क-तडउडा
पाइअसहमहण्णवो
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तक्क [तक] १ विमर्श, विचार, अटकल- तगरा स्त्री [तगरा] संनिवेश-विशेष (स पत्र ११) । कवकृ. तजिज्जत (उप्र पृ १३४; ज्ञान (श्रा १२ठा ९)। २ न्याय-शास्त्र (सुपा ४६८)
उप १४६ टी)। २८७)।
| तगरा स्त्री [तगरा] एक नगरी का नाम (सुख तजण न [तर्जन] भत्र्सन, तिरस्कार (प्रौपः तकणा स्त्री [दे] इच्छा, अभिलाष (दे ५, ४)। २,८)।
उवः पउम ६५,५३)। तक्य वि [तर्कक] तकं करनेवाला (पएह | तग्ग न [दे] सूत्र-कंकण, धागे का कंकरण तजणा स्त्री [तर्जना] ऊपर देखो (पएह (दे ५, १; गउड)।
२, १; सुपा १)। तक्कर पुं[तस्कर] चोर (हे २, ४ औप)। तगंधिय वि [तदुगन्धिक] उसके समान | तजणी स्त्री [तर्जनी] दूसरी अंगुली, अंगूठे के तक्कलि स्त्री [दे] कदली-वृक्ष, केले का गाछ | गंधवाला (प्रासू ३४)।
पासवाली अंगुली, प्रदेशिनी (सुपा १; कुमा)। (प्राचा २१, ८, ६)।
तश्च वि तृतीय] तीसरा (सम ८; उवा)। तज्जाय वि तज्जात] समान जातिवाला, तक्कलि ) स्त्री [दे] वलयाकार वृक्ष-विशेष तच्च न [तत्त्व] सार, परमार्थ (प्राचाः आरा तुल्य-जातीय (प्राव ४)। तक्कली (पएण १)।
११५) । वाय पुं[वाद] १ तत्त्व-वाद, जजावि वि [तर्जित गिल भत्सित तका स्त्री [तक] देखो त = तर्क (ठा १:
परमार्थ-चर्चा । २ दृष्टिवाद, जैन अंग-ग्रंथ- तजिअ (स १२२ सुका २६२, भवि)। सूत्र १, १३, प्राचा)। विशेष (ठा १०)।
तजित ] तक्काल क्रिवि [तत्काल] उसी समय (कुमा)। तच नतिथ्य] १ सत्य, सचाई (हे २, २१;
तजिज्जत देखो तज्ज। तक्किा वि [तार्किक तर्कशास्त्र का जानकार उत्त २८) । २ वि. वास्तविक, सत्य (उत्त
तज्जेमाण (प्रच्च १०१)। । ३)। "त्थ पुं[ ] सत्य, हकीकत (पउम
तट्टवट्ट न [दे] प्राभरण, प्राभूषण;
'सरिणयं सरिणयं बालत्तणामो तक्कियाणं देखो तक्क = तकं ।
३, १३) "वाय पुं [वाद] देखो ऊपर वाय (ठा १०)।
तणुयाई तट्टवट्टाई। तक्कु पुं[त'] सूत बनाने का यन्त्र, तकुमा,
अवहरिवि नियधरानो तचं प्र[त्रि:] तीन बार (भग; सुर २, तकला, चरखा (द ३, १)। २६)।
हारेइ रहम्मि खिल्लतो' तक्कुय पुं[दे] स्वजन-धर्ग, 'सम्माणिया | तञ्चित्त वि [तच्चित्त] उसी में जिसका मन
(सुपा ३६६)। सामंता, अहिणंदिया नायरया, परिप्रोसिमा लगा हो वह, तल्लीन (विपा १, २)।
तट्टिगा स्त्री [दे. तट्टिका] दिगंबर जैन साधु तक्कुयजणा त्ति' (स ५२०)।
का एक उपकरण (धर्मसं १०४६; १०४८)। | तच्छ सक [तक्ष ] छिलना, काटना । तच्छइ तक्ख सक [तक्ष] छिलना, काटना ।
| तट्टी स्त्री [दे] वृति, बाड़ (दे ५, १)। (हे ४, १६४ षड्) । संक. तच्छिय (सूत्र तक्वइ (षड; हे ४, १९४)। कर्म. तक्खि
| तट्ट वि [त्रस्त] १ डरा हुआ, भीत (हे २,
१, ४, १) । कवकृ, तच्छिजत (सुर १, जइ (कुप्र १७) । वकृ. तक्खमाण (अणु)।
१३६; कुमा)। २ न. मुहूर्त-विशेष (सम २८)।
५१)। तक्ख ताक्ष्य गरुड़ पक्षी (पान)। तच्छ वि [तष्ट] छिला हुमा, तनूकृतः तक्ख पुं[तक्षन् ] १ लकड़ी काटनेवाला,
तट्ट वि [तष्ट] छिला हुआ (सूत्र १, ७) । तच्छिअ'ते भिन्नदेहा फलगं तच्छा (सूम
तव न [त्रस्तप मुहूर्त-विशेष (सम ५१)।
१, ५, २, १४० १, ४, १, २१, उत्त १६, बढ़ई । २ विश्वकर्मा, शिल्पी-विशेष (हे ३,
तट्ठि वि [तष्टिन्] तनूकृत, कृशतावाला (सूम ५६ षड्) । "सिला स्त्री ["शिला] प्राचीन ऐतिहासिक नगर, जो पहले बाहुबलि की तच्छण स्त्रीन [तक्षण] छिलना, कर्तन (पग्रह
१, ७, ३०)।
तहि । पुत्वष्ट्र] १ तक्षक, विश्वकर्मा राजधानी थी, यह नगर पंजाब में है (पउम १, १) स्त्री. णा (णाया १, १३)।
तङ (गउड)। २ नक्षत्र-विशेष का अधि. ४, ३८ कुप्र ५३)। तच्छिड वि [दे] कराल, भयंकर (दे ५,
ष्ठायक देव (ठा २, ३)। तक्खग पुं [तक्षक] १-२ ऊपर देखो। ३ |
तट्टु पुं [त्वष्ट] अहोरात्र का बारहवाँ स्वनाम-प्रसिद्ध सर्प-राज (उप ६२५)। तच्छिज्जत देखो तच्छ।
मुहूर्त (सुज १०, १३)। तक्खण न [तत्क्षण] १ तत्काल, उसी समय तच्छिल वि [दे] तत्पर (षड्)।
तड सक [तन् ] १ विस्तार करना । २ (ठा ४, ४) । २ क्रिवि. शीघ्र, तुरन्त (पास)। तजा देखो तया = त्वच (दे १, १११)।
करना । तडइ (हे ४, १३७) । तक्खय देखो तक्खग (स २०६; कुप्र तज सक [तर्जय ] तर्जन करना, भर्सन तड पुंन [तट किनारा, तीर (वाग्रा कुमा)। १३६))।
करना । तजइ (भवि)। तज्जेइ (णाया १, स्थ वि ["स्थ] १ मध्यस्थ, पक्षपात-हीन । तक्खाण देखो तक्ख = तक्षन् (हे ३, ५६; १८) वकृ. तजंत, तजित तजयंत, २ समीप स्थित (कुमाः दे ३, ६०)। षड्)।
तज्जमाण, तजेमाण (भवि, सुर १२, तडउडा [दे] देखो तडवडा (जीव ३; तगर देखो टगर (पएह २, ५)।
२३३; णाया १, राज; विपा १, १-। जं१)। ५४
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