________________
४५२ पाइअसहमणवो
दंड-दंतिदिन ["नायक] १ दण्ड-दाता, अपराधविचार- दंडण न [दण्डन] दण्ड-करण, शिक्षा (सूप चरंति धीरा' (प्रासू १६५) । २ जितेन्द्रिय कर्ता । २ सेनापति, सेनानी, प्रतिनियत | २, २, ८२,८३)।
(गाया १, १४, दस १०) सैन्य का नायक (पएह १, ४, प्रौप, कप्पा | दंडपासिंग ' [दाण्डपाशिक] कोतवाल | दंत पुं [दन] दाँत, दशन (कुमाः कप्पू)। णाया १, १)। णीइ स्त्री [नीति] नीति- (मोह १२७) ।
कुडी स्त्री [कुटी] दंष्ट्रा, दाढ (तंदु) च्छ विशेष, अनुशासन (ठा ) पह [पथ] दंडलइअ वि [दण्डलातिक] दण्ड लेनेवाला, पुं ["च्छद] प्रोष्ठ, प्रोठ, होठ (पान)। मार्ग-विशेष, सीधा मार्ग (सूत्र १, १३) M अपराधी (वव १)
धावण न [ धावन] १ दाँत साफ करना, पासि पु[पाश्चिन, पाशिन] १ दण्ड दंडावण न [दण्डन] सजा कराना, निग्रह दतवन करना । २ दांत साफ करने का काष्ठ, दाता । २ कोतवाल (राजा श्रा २७) कराना (श्रा १४)।
दतवन (पएह २,४; निचू ३)। पक्खालण 'पुंछणध न [प्रोञ्छनक] दण्डाकार झाडू | दंडाविअ वि [दण्डित] जिसको दण्ड दिलाया न [प्रक्षालन] वही पूर्वोक्त अर्थ (सून १, (जं ५)। °भी वि [भी] दण्ड से डरने- | गया हो वह (मोघ ५६७ टी)
४,२) पाय न [पात्र] दात का बना हुआ वाला, दण्ड-भीरु (प्राचा)। लत्तिय वि | दंडि वि [दण्डिन] १ दण्ड-युक्त । २५. पात्र (आचा २.६,१), 'पुर न [पुर] नगर[°लात] दण्ड लेनेवाला (वव १) °बइ पुं दण्डधारी प्रतीहार, दरवान (कुमाः नं ३)। विशेष (वव १) पहोयण न [प्रधावन] [पति सेनानी, सेनापति (सुपा ३२३) दंडि° देखो दंडी (कुप्र ४४) ।
देखो धावण (दस ३), माल पुं[ माल] 'वासिग, वासिय पुं [दाण्डपाशिक] | दंडि [दण्डिक] १ सामन्त राजा (पव | वृक्ष-विशेष (जं २) । "वक पुं [व] कोतवाल ( कुप्र १५५ स २६५; उप १०३१ | २६८)। २ राज कुलानुगत पुरुष (पव ६१)। दन्तपुर नगर का एक राजा (वब १)। टी)। वी रय पु[वीर्य] राजा भरत के ३ दाण्डपाशिक, कोतवाल (धर्मसं ५६६ ) वलहिया स्त्री [°वलभिका] उद्यान विशेष वंश का एक राजा जिसको आदर्श-गृह में | दंडिअ वि [दण्डित] जिसको सजा दी गई (स ७०) । वाणिज्ज न [वाणिज्य] केवलज्ञान उत्पन्न हुआ था (ठा ८Mरास | हो वह, कैदी (सुपा ४६२)।
हाथी-दाँत वगैरह दाँत का व्यापार (धर्म २)। पुं [ रास] एक प्रकार का नाच (कप्पू)। दंडिअ वि [दण्डिक] १ दण्डवाला। २ पुं. र पुं[कार] दात का काम करनेवाला
इय वि [यत] दण्ड की तरह लम्बा राजा, नृप (वव ४)। ३ दण्ड-दाता, अपराध- शिल्पी (पएण १)। (कस; प्रौप)। यइय वि [यतिक] | विचार-कर्ता (वव १)।
दंतकार पुं दन्त कार] दाँत बनानेवाला पैर को दण्ड की तरह लम्बा फैलानेवाला | दैडिआ स्त्री [दे] लेख पर लगाई जाती राज- शिल्पी (अणु १४६) । (ौप; कस. ठा ५, १) रक्खिग ji मुद्रा, ठप्पा, मोहर (बृह १)।
दंतकुंडी स्त्री [दन्तकुण्डी] दाढ, दंष्ट्रा (तंदु [रक्षिक] दण्डधारी प्रतीहार (निचू ६)। दंडिक्किा वि [दे] अपमानित, 'दंडिकियो ४१)। . परण न [रण्य] दक्षिण भारत का एक समाणो तमवद्दारेण नीरोई' (उप ६४८ टी) देतवक्क पुं[दान्तवाक्य] चक्रवर्ती राजा प्रसिद्ध जंगल (पउम ४१, १; ७६, ५)। दंडिणी स्त्री [दे.दण्डिनी] रानी, राज-पत्नो (सून १, ६, २२)। सिणिय वि [सनिक दण्ड की तरह | (पिंड ५००)।
दंतवण न [दे. दन्तपवन] १ दन्त-शुद्धि । २ पैर फैला कर बैठनेवाला (कस) । देखो देडिम वि दण्डिम] १ दण्ड से निवृत्त ।। दतवन, दाँत साफ करने का काष्ठ (दे २, १२ दंडग, दंडय ।।
२ न. सजा करके वसूल किया हुआ द्रव्य | ठा--पत्र ४६०; उवा; पब ४)। दंड पुदण्ड] १ दण्ड-नायक, सेनापति (वव । (गाया १,१-पत्र ३७)।
दंतवण्ण पुंन [दे. दन्तपवन] दतवन (दस १)। २ उबाल, उफानः 'उसिणोदगं तिंदडुक्क- दंडी स्त्री [दे] १ सूत्र-कनक । २ साँधा हुआ ३, ६) लियं फासुयजलंति जइ कप्प' (पव १३६, वस्त्र-युग्म (दे ५, ३३) । ३ साँधा हुआ जीर्ण दंतसोहण न [दन्तशोधन] दतवन (उत्त पिंड १८ विचार २५७)
वन (णाया १,१६-पत्र १६६ परह १, १६, २७) दंडग । [दण्डक] १ कणं कुण्डल नगर
३-पत्र ५३)
दंताल पुंस्त्री [दे] शस्त्र-विशेष, घास काटने दंडया का एक राजा (पउम १, १६)।
दंत वि [ददत् ] दान कर्ता, दाता (पिंड का हथियार (सुपा ५२६) । स्त्री. ली २ दण्डाकार वाक्य-पद्धति, ग्रन्थांश-विशेष
५९४)। (राज)। ३ भवनपति प्रादि चौबीस दण्डक,
दंत पुं[दान्त] दो उपवास, बेला (संबोध दति [दन्तिन] १ हस्ती, हाथी (पान)। पद-विशेष (दं १)। ४ न. दक्षिण भारत
२ पर्वत-विशेष (पउम १५, ६) का एक प्रसिद्ध जंगल (पउम ३१, २५)
दंत वि दान्त] दो उपवास (संबोध ५८)। दंतिअ पुंदे] शशक, खरगोश, खरहा (दे 'गिरि पुं[गिरि] पर्वत-विशेष (पउम ४२, दंत [दे] पर्वत का एक देश (दे ५, ३३) ५, ३४)। १४)। देखो दंड (उप ८६१; बृह १; सूप दंत वि [दान्त] १ जिसका दमन किया गया दंतिदिन वि [दान्तेन्द्रिय] जितेन्द्रिय २, २, पउम ४०, १३)
| हो वह वश में किया हुआः 'दंतेण चित्तेण इन्द्रिय-निग्रही (प्रोध ४६ भा)।.
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org