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थोडेरुय-दंड
पाइअसहमहण्णवो थोडेरुय देखो घाडेरुय (उप ७२८ टो)। वइकारा हत्ति य अकारणा योभया हुंति (बृह थोव । वि [स्तोक] १ अल्प, थोड़ा (हे थोणा देखो थूणा (हे १, १२५)
१; विसे REE टी)
थोवाग २, १२५, उवः श्रा २७ मोघ थोत्त न [स्तोत्र] स्तुति, स्तष (हे २, ४५, | थोर देखो थुल्ल (हे १, २५५, २, ६६ पउम
२५६ विसे ३०३०)। २. समय का एक सुपा २६६)
परिमाण (ठा २, ३; भग)।" २.१६ से १०, ४२)
थोह न [दे] बल, पराक्रम (दे ५, ३०)। थोत्तुं देखो थुण ।
थोर विदे] क्रम से विस्तीर्ण अथ च गोल थोहर पं स्त्री [दे] वनस्पति-विशेष, थूहर का थोभ । [स्तोभ, क] 'च', 'वै प्रादि (द ५, ३०; वज्जा ३६) ।
पेड़, सेहुँड (सुपा २०३) । स्त्री. री (उप थोभय निरर्थक अव्यय का प्रयोग; 'उय- थोल पु[दे] वन का एक देश (दे ५,३०)। १०३१ टीः जी १० धर्म ३) 10
॥ इम सिरिपाइअसहमहण्णवम्मि थयाराइसहसंकलणो
चउव्वीसइमो तरंगो समत्तो ।।
द [दे] दन्त स्थानीय व्यजन-वणं विशेष | दइच्च [दैत्य] दानव, असुर (हे १, १५१ । दओभास पुं[दकावभास] लवण-समुद्र (प्रापः प्रामा)
कुमाः पाप्र)। गुरु पुं[गुरु] शुक्र, में स्थित वेलंधर-नागराज का एक प्रावासदअच्छर पं[दे] ग्राम-स्वामी, गाँव का | शुक्राचार्य (पास)।
पर्वत (इक) । अधिपति (दे ५, ३६)IV
दइन्न न [दैन्य दीनता, गरीबपन, गरीबी | दंठा देखो दाढा (नाट-मालती ५६) दअरी स्त्री [दे] सुरा, मदिरा, दारू (दे ५, । (हे १, १५१)।
दंठि वि [दंष्टिन] बड़े दांतपाला, हिंसक ३४)।
दइव पुंन [दैव] देव, भाग्य, अदृष्ट, प्रारब्ध, जन्तु ( नाट–वेणी २४) दइ स्त्री [दृति मशक, चर्म-निर्मित जल-पात्र पूर्व-कृतकर्म (हे १, १५३; कुमाः महाः दंड सक [दण्डय ] सजा करना, निग्रह (मोघ ३८) IN
पउम २८, ६०); 'महवा कुविनो दइवो | करना । कवकृ. दंडित (प्रासू ६६) दइअ वि [दे] रक्षित (दे ५, ३५) । परिस कि हणइ लउडेण' (सुर ८, ३४) दंड ' [दण्ड] १ जीव-हिंसा, प्राण-नाश दइअ पुंस्त्री [दृतिका] मशक, चर्म-निर्मित | ज, णु प [] ज्योतिषी, ज्योतिः- (सम १ णाया १, १, ठा १)। २ अपराधी जल-पात्र, चमड़े का बना हुआ वह थैला
को अपराध के अनुसार शारीरिक या माथिक जिसमें पानी भरकर लाते हैं। 'दइएण देव% दैव ।
दण्ड, सजा, निग्रह, दमन (ठा ३, ३, प्रासू वत्थिणा वा' (पिंड ४२)। स्त्री. °आ (भण दइवय न [दैवत] देव, देवता (पएह २, १;
६३; हे १, १२७)। ३ लाठी, यष्टि (उप १५२, पिंडभा १४)। हे १, १५१; कुमा)
५३० टौः प्रासू ७४)। ४ दुःख-जनक, दइअ वि [दयित] १ प्रिय, प्रेम-पात्र दइविग वि [दैविक देव-संबन्धी, दिव्य, परिताप-जनक (प्राचा) । ५ मन, वचन और 'जामो वरकामिणीदइनों (सुर १, १८३)। उत्तम (स ५०६)।
शरीर का अशुभ व्यापार (उत्त १६; दं २ अभीष्ट, वाञ्छित, 'भम्हाण मणोदइयं दइव्व देखो दइव (हे १, १५३; २, ६६ ४६)। ६ छन्द-विशेष (पिंग)। ७ एक जैन दंसमवि दुल्लहं मन्ने (सुर ३, २३८)। कुमाः पउम ६३, ४)।
उपासक का नाम (संथा ६१)। ८ पुन. ३ पुं. पति, स्वामी, भर्ता (पामः कुमा)M उत्ति (शौ) म [द्राग] शीघ, जल्दी
परिमाण-विशेष, १९२ अंगुल का एक नाप यम वि [तम] १ अत्यन्त प्रिय। २ पृ. (प्राकृ९५)
(इक)। प्राज्ञा (ठा ५, ३)। १०पुन, पति, भर्ता (पउम ७७, ६२)
| दउदर । न [दकोदर] रोग-विशेष, सैन्य, लश्कर, फौज (पएह १४ ठा ५,३)।दइआ स्त्री [दयिता] स्त्री, प्रिया, पत्नी दओदर जलोदर, पानी से पेट का फूलना "अल पुं[कल] छन्द-विशेष (पिंग) जुझ (कुमा; महाः सुर ४, १२९) 1V (णाया १, १३; विपा १, १) ।। न [युद्ध] यष्टि-युद्ध (माचा)। णायग
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