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दुप्पधंस-दुब्भिक्ख
पाइअसद्दमण्णवो दुप्पधंस वि [दुष्प्रधर्ष] दुर्धर्ष, दुर्जय (उत्त दुप्पहंस वि [दुष्प्रध्वंस्य जिसका नाश | | दुब्बलिय न [दौर्बल्य] श्रम, थाक, थकावट &; पि ३०५)।
कठिनाई से हो सके वह (गाया १, १८-- (पाचा २, ३, २, ३)। दुप्पमज्जण न [दुष्प्रमार्जन] ठीक-ठीक | पत्र २३६) ।।
दुब्बुद्धि वि [दुर्बुद्धि] १ दुष्ट बुद्धिवाला, सफा नहीं करना (धर्म ३)।
| दुप्पहंस वि [दुष्प्रधृष्य ] अजेय, दुर्जय खराब नियतवाला (उप ७२८ सुपा ४४, दुप्पमज्जिय वि [दुष्प्रमार्जित अच्छी तरह । (गाया १,१८)।
३७६)। २ श्री. खराब बुद्धि, दुष्ट नियत से सफा नहीं किया हुमा (सुपा ६१७)। दुप्पह वि [दुष्प्रभ] जो दुःख से सूझ सके | (था १४)। दुप्पय देखो दुपय = द्विपद (सम ६०)। | वह; दुर्गम (मोह ७२)
दुब्बोल्ल पुंदे] उपालम्भ, उलहना या दुप्पयार वि [दुष्प्रचार] जिसका प्रचार दुप्पाय न [दुष्पाप] तप-विशेष, पायंबिल उलाहना (दे ५, ४२)। दुष्ट माना जाता है वह, अन्याय-युक्त (कप्प)| तप (संबोध ५८)।
दुब्भ वि [दुग्ध] दोहा हुआ। २ न. दोहन दुप्परक्कत वि [दुष्पराक्रान्त] बुरी तरह दुप्पिउ पुं[दुपितृ दुध पिता (सुपा ३८७;
(प्राकृ ७७)। से आक्रान्त (प्राचा)। भवि)।
दुब्म देखो दुह = दुह ।। दुप्परिअल्ल वि [दे] १ अशक्य (द ५, ५५; | दुप्पिच्छ देखो दुपेच्छ (सुर २, ५ सुपा |
| दुब्भग वि [दुर्भग] १ कमनसीब, प्रभागा । पाम से ४, २६, ६, १८ गा १२२) । २ | १२)
२ अप्रिय, अनिष्ट (पएह १, २; प्रासू १४३)। द्विगुण, दुगुना । ३ अनभ्यस्त, अभ्यास-रहित दुप्पिय वि [दुष्प्रिय] अप्रिय भासि
णाम, नाम न [ नामन] कर्म-विशेष (द ५, ५५) । वि [ भाषिन] अप्रिय-वक्ता (सुपा ३१४)।
जिसके उदय से उपकार करनेवाला भी लोगों दुप्परिइअ वि [दुष्परिचित] अपरिचित दुप्पुत्त देखो दुपुत्त (पउम १०५, ७२; भविः
को अप्रिय होता है (कम्म ?; सम ६७) । (से १३, १३) कुप्र ४०५)
करा स्त्री [करा] दुभंग बनानेवाली विद्यादुप्परिचय देखो दुपरिच्चय (उत्त ८)। | दुप्पूर वि [दुष्पूर] जो कठिनाई से पूरा |
विशेष (सूत्र २, २) दुप्परिणाम वि [ दुष्परिणाम] जिसका | किया जा सके (स १२३)।।
दुब्भग्ग न [दौर्भाग्य] दुर्भगता, लोक में परिणाम खराब हो, दुर्विपाक (भवि)। दुप्पेक्ख देखो दुपेच्छ (सण)।
अप्रियता (पिंड ५०२) दुप्परिमास वि [दुष्परिमर्प] कष्ट-साध्य
| दुम्भरणि स्त्री [दुर्भरणि] दुःख से निर्वाह, दुप्पेक्खणिज्ज वि [दुष्प्रेक्षणीय] कष्ट से | स्पर्शवाला (से ६, २४)।
__ होउ अजणणो तेसि दुब्भरणी पडउ तदु.
दर्शनीय (नाट–वेणी २५) । दुप्परियत्तण देखो दुप्परिवत्तण (तंदु)।
दरस्सावि' (सुपा ३७०) । टुप्पेच्छ देखो दुपेच्छ (महा)। दुप्परिल्ल वि दे] दुराकर्ष, 'मालिहिम
दुब्भाव पुं [दुर्भाव] १ हेय पदार्थ (पउम दुप्परिल्लपि णेइ रएणं धणु वाहो' (गा दुप्पोलिय देखो दुप्पउलअ (श्रा २१) ।
८६, ६६)। २ असद्-भाव, खराव-असर १२२)।
दुप्फड वि [ दुष्फ 1 मुश्किल से फटने | 'पिसणे व जेगा को भावो' (मर ३. दुप्परिवत्तण वि [दुष्परिवर्तन १ जिसका योग्य (त्रि ८३)। परिवर्तन दुःव से हो सके वह । २ न. दुःख दुप्फरिस वि [दुःस्पर्श] जिसका स्पर्श खराब | दुब्भाव पुं [द्विभाव विभाग, जूदाई (सुर से पीछे लौटना (तंदु)।
दुप्फास हो वह (पउम २६, ४६; १०१, ३,१६) दुप्पवंच पुं[दुष्प्रपञ्च दुष्ट प्रपंच (भवि) दुफास .७१, ठा भग)
दुब्भाव [द्विर्भाव] द्वित्व, दुगुनापन (चेइय दुप्पवण [दुष्पवन] दुष्ट वायु (भवि)। | दुफास वि द्विस्पश] स्निग्ध पार
दुफास वि [द्विस्पर्श] स्निग्ध और शोत | दुप्पवेस वि [दुष्प्रवेश जहाँ कष्ट से प्रवेश
आदि अविरुद्ध दो सर्शों से युक्त (भग)। दुब्भासिय न [दुर्भाषित] खराब वचन हो सके वह (णाया १,१; पउम ४३, १२ | दुब्बद्ध वि [दुर्बद्ध] खराब रोति से बंधा | (पउम ११८, ६७ पडि)। स २५:; सुपा ४५५) । तर वि [तर] | हुप्रा (प्राचा २, ६, ३)।
दुब्भि पुंन [दुरभि] १ खराब गन्ध (सम प्रवेश करने को अशक्य (पएह १, ३- दुब्बल वि [दुर्बल निर्बल, बल-होन (विपा ४१)। २ वि. अशुभ, खराब, असुन्दर (ठा पत्र ४५)।
१,७; सुपा ६०३; प्रासू २३), पच्चव- | १)। ३ वि. खराब गन्धवाला, दुर्गन्धि दुप्पसह पुं[दुष्प्रसह] पंचम अरे के अन्त | मित्त पुंन [प्रत्यवमित्र] दुर्बल को मदद | (प्राचा)। गंध [गन्ध] पूर्वोक्त ही अर्थ में होनेवाला एक जैन प्राचार्य, एक भावी करनेवाला (ठा )
(ठा १, प्राचाः णाया १, १२) सद्द पुन. जैन सूरि (उप ८०६)।
दुब्बलिय वि [दुर्बलिक] दुर्बल, निबल [शब्द] खराब शब्द (णाया १, १२) दुप्पस्स वि [ दुर्दर्श ] जो मुश्किल से | (भय १२, २), पूसमित्त पुपुष्य- | दुभिक्ख पुंन [दुर्भिक्ष] १ दुष्काल, अकाल, दिखलाया जा सके वह (ठा ५, १ टी- मित्र] स्वनाम-प्रसिद्ध एक जैन प्राचार्य | वृष्टि का प्रभाव (सम ६०; सुपा ३५८); पत्र २६६) (ठा ७ ती ७)।
'मासन्ने रणरंगे, मूढे खते तहेव दुभिक्खे ।
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