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जस्स मुहं जोइज्जइ, सो पुरिसो महीयले विलो' (रण ३२) ।
२ भिक्षा का अभाव (ठा ५, २) । ३ वि. जहाँ पर भिक्षा न मिल सके वह देश श्रादि (ठा ३, १-पत्र ११८ ) 1दुब्भिज्ज देखो दुब्भेज्ज (पउम ८०, ६) IV दुब्भूइ स्त्री [ दुर्भूति ] शिव, अमंगल (बृह ३ ) ~
दुब्भूयन [दुर्भूत] १ नुकशान करनेवाला जन्तु - टिडी वगैरह (भग ३, २ ) । २ न. अशिव, अमंगल ( जीव ३) । दुब्भूय वि [दुर्भूत] दुराचारी (उत्त १७, १७) ।
भेज [दुर्भेद्य ] तोड़ने को अशक्य (पि ८४ २८७; नाट - मृच्छ १३३) दुब्भेय वि [दुर्भेद] ऊपर देखो (राय) 1 दुभग देखो दुब्भग (नव १५ ) ।-दुभव न [द्विभव ] वर्तमान और प्रागामी जन्म, 'बुभवहइसज्जो' (श्रा २७) दुभाग [द्विभाग] भाषा, अँध (भग ७, १) । दुम सक [ धवलय् ] १ सफेद करना। २ चूना श्रादि से पोतना । दुइ (हे ४, २४) । दुमसु (गा ७४७ ) । वकृ. दुमंत (कुमा) । दुम [द्र्म] १ वृक्ष, पेड़, गाछ (कुमा; प्रासू ६; १४६ ) । २ चमरेन्द्र के पदातिसैन्य का एक अधिपति (ठा ५, १ - पत्र ३०२ इक) । ३ राजा श्रेणिक का एक
पुत्र, जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा
लेकर अनुत्तर देवलोक की गति प्राप्त की थी ( अनु २ ) । ४ न एक देव- विमान (सम ३५) कंतन [कान्त ] एक विद्याधरनगर (इ) पत्तन [पत्र ] १ वृक्ष का
पत्ता । २ 'उत्तराध्ययन' सूत्र का एक अध्ययन ( उत्त १० ) पुफिया स्त्री [पुष्पिका ] 'दशवैकालिक' सूत्र का पहला अध्ययन (दस १) राय [राज ] उत्तम वृक्ष (ठा ४, ४) ४ सेण पुं [ सेन] १ राजा श्रेणिक का एक पुत्र, जिसने भगवान महावीर के पास दीक्षा लेकर अनुत्तर देवलोक में गति प्राप्त की थी ( अनु २ ) । २ नववें बलदेव और वासुदेव के पूर्व जन्म के धर्म-गुरु (सम १५३, पउम २०, १७७)
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पाइअसहमणवो
दुमंतय पु ं [दे] केश-बन्ध, धम्मिल्ल - बंधी चोटी, जूड़ा (दे ५, ४७)
दुब्भिज्ज-दुरभवसिय
दुम्महिला स्त्री [दुर्महिला ] दुष्ट स्त्री (श्रो ४६४ टी) ।
दुमण न [ धवलन] चूना आदि से लेपन, सफेद करना (परह २, ३) । दुमणी स्त्री [दे] सुधा, मकान आदि पोतने का श्वेत द्रव्य-विशेष, चूना (दे ५, ४४) । दुमत वि [ द्विमात्र ] दो मात्रावाला स्वर(हे १, ६४ ) 1
दुमास वि [द्वैमासिक ] दो मास का, दो मास - सम्बन्धी ) सण) 1 दुमिअवि [धवलित ] चुना आदि से पोता हुआ, सफेद किया हुआ (गा ७४७; सुज्ज २०) 1
दुमिल देखो दुम्मिल (पिंग) 1 दुमुह [द्विमुख] एक राजर्ष (उत्त ९) । दुमुह देखो दुम्मुह = दुर्मुख ( पि ३४० ) । दुमुहुत्त न [दुर्मुहूर्त] खराब मुहूर्त, दुष्ट समय (सुपा २३७) ।
दुम्मुह देखो दुमुह = द्विमुख (महा) - दुम्मुह पुं [दुर्मुख ] बलदेव का धारणी देवी से उत्पन्न एक पुत्र, जिसने भगवान नेमिनाथ के पास दीक्षा लेकर मुक्ति पाई थी ( अंत ३, पह १, ४) ।
मक्ख वि [दुर्मोक्ष] जो दुःख से छोड़ा दुम्मुह पुं [दे] मर्कट, वानर, बन्दर (दे ५, जा सके (सूत्र १,१२ ) 1
४४) । V
दुम्म देखो दूम = दावय् । दुम्मइ (भवि ) । दुम्मेति, दुम्मेसि (गा १७७; ३४० ) | कर्म. दुम्मिज (गा ३२० ) M
दुम्मेह वि [दुर्मेधस् ] दुर्बुद्धि, दुर्मति (पह १, ३) । -
दुम्मोअ वि [दुर्मोक ] दुःख से छोड़ा योग्य (अभि २४४ ) 1
दुयणु देखो दुअणुअ ( धर्मसं ६४० ) 1 दुरइक्कम वि [दुरतिक्रम] दुर्लव्य, जिसका उल्लंघन दुःख साध्य हो वह (प्राचा) ।
दुरइक्कमणिज्ज वि [दुरतिक्रमणीय] ऊपर देखो (गाया १, ५) ।
दुरंत वि [दुरन्त] १ जिसका परिणामविपाक खराब हो वह, जिसका पर्यन्त दुष्ट हो वह (गाया १, ८ परह १, ४ –पत्र ६५ स ७५०, उवा) । २ जिसका विनाश कष्ट - साध्य हो वह (तंदु) 1
दुम्माण पुं [दुर्मान ] झूठा अभिमान, निन्दित गर्व (अच्चु ५४ ) । दुम्मार [दुर्मार] विषम मार, भयंकर ताड़न; 'दुम्मारेण मनो सोवि' (श्रा १२) । दुम्मारि स्त्री [दुर्मारि] उत्कट मारी-रोग (संबोध २) ।
दुम्मारुय पुं [दुर्मारुत] दुष्ट पवन (भवि ) । दुम्मिअवि [दून] उपतापित, पीड़ित (गा ७४; २२४ ४२३ भवि का ३० ) । ~ दुम्मिल स्त्रीन [दुर्मिल] छन्द-विशेष । स्त्री. °ला (पिंग) 1
दुम्मइ वि [दुर्मति] दुर्दुद्धि, दुष्ट बुद्धिवाला (श्रा २७ सुपा २५१ ) । दुम्मणी श्री [दे] झगड़ाखोर स्त्री (दे ५, ४७; षड् ) ।
दुम्मण वि [दुर्मनस्] १ दुर्मना, खिन्नमनस्क, उद्विग्न-चित्त, उदास (विपा १, १ सुर ३, १४७) । २ दीन, दोनतायुक्त ३ द्विष्ट, द्वेष-युक्त (ठा ३, २ - पत्र १३० ) । दुम्मण क [दुर्मनायू ] उद्विग्न होना, उदास होना । वकृ- डुम्मणाअंत, दुम्मणायमाण (नाट - महावी ६६, मालती १२८ रण ७९ ) 1
दुरंदर वि[दे] दुःख से उत्तीर्णं (दे ५, ४६ ) | दुम्मणिअ न [दौर्मनस्य ] उदासी, उद्वेग, दुरवख वि [दरक्ष ] जिसकी रक्षा करना चिन्ता, बेचैनी (दस ६, ३) कठिन हो वह (सुपा १४३) । दुम्मणिअ न [दौर्मनस्य ] दुष्ट मनो-भाव, मन का दुष्ट विकार, दुर्जनता ( दस १, ३,
८) ।
दुरक्खर वि [दुरक्षर ] पुरुष, कठोर, कड़ा (वचन) (भवि) 1
दुरग्गह पुं [दुराग्रह] कदाग्रह (कुप्र ३७१) | दुम्मय पुं [द्रमक ] भिखारी, भीखमंगा (दस दुरज्भवसिय न [ दुरध्यवसित] दुष्ट चिन्तन ७, १४) IV
(सुपा ३७७)।
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