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दालिद्द-दिअर पाइअसद्दमण्णवो
४६१ दालिद्द देखो दारिद (हे १, २५४ प्रासू दात देखो दाव - दापय ।।
दाहिणिल्ल देखो दक्खिणिल्ल (पउम ७, १७ ७०)
दास पु[दश दर्शन, अवलोकन ( षड्) विपा १,७)। दालिदिय देखो दारिदिय (सुर १३, ११६; दास पुं[दास] १ नौकर, कर्मकर (हे २, दाहिणी स्त्री [दक्षिणा] दक्षिण दिशा (कुमा)।। वजा १३८)।
२०६; सुपा १२२, प्रासू १७५; स १८; दि वि. ब. [द्वि] दो, दो को संख्यावाला दालिम देखो दाडिम (प्राप्र)।
कप्पू । २ धोबर, मल्लाह 'केवट्टो धीवरो दासो' (हे १, ६४ से ६, ५३) ।। 'दालियंब न [दालिकाम्ल] दाल का बना | (पान)। चेड, चेटग पुं[चेट] १ | | दि देखो दिसा (गा ८६६), करि पुं
हुमा खाद्य-विशेष (पएह २, ५) ।। छोटी उम्र का नौकर । २ नौकर का लड़का [करिन् दिग्-हस्ती (कुमा) 'ग्गइंद पूं दालिया स्त्री [दालिका] देखो दालि (उवा) (महा; णाया १, २) सञ्च पुं[सत्य] [गजेन्द्र] दिग्-हस्ती (गउड) 'ग्गय पुं दाली देखो दालि (ओघ ३२३)।। श्रीकृष्ण (अच्चु १७)
[गज] दिग् हस्ती (स ११३)(चक्कसार दाव सक [दय ] दिखलाना, बतलाना। दासरहि पुं[दाशरथि] राजा दशरथ का | न [चक्रसार] विद्याधरों का एक नगर दावइ, दावेइ (हे ४, ३२, गा ३१५)। वकृ. | पुत्र, रामचन्द्र (से १, १४)।
(इक)म्मोह पुं[ मोह] दिशा-भ्रम (गा दावंत (गा ६२०)
दासी स्त्री [दासी] नौकरानी (प्रौपः महा) ८८६) । देखो दिसा ।। दाव सक[दापय 1 दिलाना, दान करवाना। | दासीखबडिया स्त्री [दासीकटिका] जेन | दिअन दे] दिवस, दिन (दे ५, २६); दावेइ (कस)। वकृ. दात (पउम ११७, मुनियों की एक शाखा (कप्प) ।
__ 'राइंदिमाई' (कप्प) २६) सुपा ६१८) । हेकृ. दावेत्तए (कप्प)M दाह पुं[दाह] १ ताप, जलन, गरमी। २
| दिअ [द्विज] १ ब्राह्मण, विप्र (कुमा; दाब देखो ताव = तावत् (से ३, २६; स्वप्न | दहन, भस्मीकरण (हे १, २६४; प्रासू १८)।
पामः उप ७६८ टी)। २ दन्त, दाँत । ३ १२; अभि ३९) ___३ रोग-विशेष (विपा १, १) जर पुं
ब्राह्मण आदि तीन वर्ण–बाह्मण, क्षत्रिय दाव पुंदाव१ वन, जंगल । २ देव, देवता [ज्वर] ज्वर-विशेष (सुपा ३११) वर्क
और वैश्य । ४ अण्डज, अण्डे से उत्पन्न (से ६, ४३)। ३ जंगल का अग्नि (पान) Mतिय वि [व्युत्क्रान्तिक] जिसको दाह
होनेवाला प्राणी। ५ पक्षी। ६ वृक्ष-विशेष, 'ग्गि ' [नि] जंगल की आग (हे १, उत्पन्न हुआ हो वह (णाया १, १-पत्र
टिंबरू का पेड़ (हे १, १४) राय पुं ६७) गणल, नल पुं[नल] जंगल | ६४)
[ राज] १ उत्तम द्विज । २ चन्द्रमा (सुपा की आग (सण; सुपा १६७ पडि) | दाहं देखो दा = दा -
४१२: कुप्र १६) दावण न [दामन छान, पशुओं को पैर में दाग वि [दाहक] जलानेवाला (उवर ८१)Mदिक पुं[द्विक] काक, कौमा (उप ७६८ टो)। बांधने की रस्सी (कुप्र ४३६)।
दाहण न [दाहन] जलाना, भस्म कराना दिअ पूं[द्विप] हस्ती, हाथी (हे २, ७६) । दावण न [दापन] दिलाना (सुपा ४६६) (पउम १०२, १६१)
दिअ न [दिव] स्वर्ग, देवलोक (पिंग)। दावणया स्त्री [दापना] दिलाना (स ५१;
दाहविय वि [दाहित] जलवाया हुआ, प्राग लोअ, लोग पुं [ लोक] स्वर्ग, देवलोक पडि) लगवाया हुआ (हम्मीर २७) ।।
(पउम २२, ४५; सुर ७, १)। दावद्दव पुं [दाबद्रव] वृक्ष-विशेष (णाया १,
दाहिण देखो दक्षिण (भग; कस; हे १, दिअ वि[दित] छिन्न, काटा हुप्रा (धम्मो ११-पत्र १७१)।
४५, २, ७२, गा ४३३, ८१६) दारिय १)। दावर द्वापर] १ युग-विशेष, तीसरा युग।
वि [ द्वारिक] दक्षिण दिशा में जिसका दिअ वि [हत] हत, मार डाला हुपा, 'चंदेण २ न. द्विक, दो; 'नो तियं नो चेव दावर'
द्वार हो वह । २ न. अश्विनी-प्रमुख सात |
| व दियराएण जेण पाणंदियं भुवणं' (कुप्र (सूम १, २, २, २३)। जुम्म पुं[युग्म]
नक्षत्र (ठा ७). पञ्चत्थिम वि १६)राशि-विशेष (ठा ४, ३---पत्र २३७) ।
[ पश्चिमीय] दक्षिण और पश्चिम दिशा | दिअंत ' [दिगन्त] दिशा का प्रान्त भाग दावाव सक [दापय् ] दिलाना। संकृ. के बीच का भाग, नैऋत कोण (भग)। (महा)। दावावेउं (महा)
पह ' [°पथ] १ दक्षिण देश की ओर का दिअंबर वि [दिगम्बर १ नग्न, नंगा, वस्त्रदाविअ वि[दशित] दिखलाया हुआ, प्रदर्शित रास्ता । २ दक्षिण देशा 'गच्छामि दाहिणपह' | रहित । २ पुं. एक जैन संप्रदाय (भविः उवर (पाम, से १, ५३, ५, ८०)
(पउम ३२, १३) पुरथिम वि[पूर्वीय] | १२२; कुप्र ४४३)। दाविअ वि [दापित] दिलाया हुआ (सुपा | दक्षिण और पूर्व दिशा के बीच का भाग, दिअझ पुं [दे] सुवर्णकार, सोनार (दे २४१)
अग्नि-कोण (भग) वित्त वि [व] ५,३६) दावि वि [द्वावित] १ झराया हुमा, टप- दक्षिण में पावर्तवाला (शंख आदि) (ठा ४, | दिअधुत्त पुं[दे] काक, कौमा (दे ५,४१) काया हुआ। २ नरम किया हृमा (अच्चु । २–पत्र २१६)
| दिअर पुं [देवर] पति का छोटा भाई (गा ५८)
दाहिणा देखो दक्खिणा (ठा ६ सुज्ज १०)M ३५ प्राप्र पाप हे १,१४६, सुपा ४८७)।
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