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पाइअसहमहण्णवो
दु- दुक्ख
दु देखो तु (दे २,६४)
दुआ
दु देखो दव = द्रु । कर्म = दुयए ( विसे २८) । .. [], संख्या-विशेषवाला (हे १, ९४; कम्म १३ उवा) 1 [] वृक्ष, पेड़, गाछ ( उर ५) । दुइल्ल (प्रप) वि [ द्विचतुर ] दो-चार, दो या २ सत्ता, सामान्य (विसे २८ ) | चार (प्राकृ १२० ) ।
न [यावर्त ] दृष्टिवाद का एक सूत्र दुक्कप्प पुं [दुष्कल्प ] शिथिल साधु का आचरण, पतित साधु का प्राचार (पंचभा) । (सम १४७ ) | दुक्कम्म न [दुष्कर्मन् ] दुष्ट कर्म. मसदाचरण (सुपा २८ १२०; ५०० ) 1
दुइअ ) वि [द्वितीय] दूसरा (हे १, १०१ दुई | २०१६ कुमाः कप्पूः रयण ४) ।
दुक्कय न [दुष्कृत ] पाप-कर्म (परह १, १३ पि४६)
[[]] दो बार दो दफा (सुर १६, दुउँछ
सक [ जुगुप्स् ] निन्दा करना, दुउच्छ । घृणा करना। दुउंछर, दुउच्छ (हे ४, ४)
५५)
[दुर] इर्थों का सूचक श्रव्यय१ प्रभाव । २ दुष्टता, खराबी । ३ मुश्किल, कठिनाई । ४ निन्दा ( हे २, २१७ प्रासू १५८ सुवा १४३३ गाया १, १३ उवा) 1
अन [ द्रुत ] अभिनय विशेष ( राय ५३) । दुअ न [द्विक] युग्म, युगल, जोड़ा (से ६२१) ।
दुअवि [] १ पीड़ित, हैरान किया हुप्रा (उप ३२० टी) । १ वेग-युक्त। ३ क्रिवि. शीघ्र, जल्दी (सुर १०,१०१६ अणु) । विलं बिअ न [विलम्बित ] १ छन्द- विशेष । २ अभिनय - विशेष (राय) 1 V अक्खर पुं [दे] पण्ड, नपुंसक (दे ५, ४७) I
[क्षर ] १ श्रज्ञान, मूर्ख, अल्पज्ञ ( उप १२९ टी)। २ पुंस्त्री, दास, नौकर (पिंड)। श्री रिया (श्रावम) 1 दुअणुअ . [द्वणुक] दो परमाणुओं का स्कन्ध (विसे २१६२) ।
दुअर वि [दुष्कर] मुश्किल, कठिनाई से जो किया जा सके वह (प्राकृ २६) । दुअल न [दुकूल] १ वस्त्र, कपड़ा । २ महिन वस्त्र, सूक्ष्मवस्त्र (हे १, ११६; प्राप्र ) । देखो दुकूल 17 दुआ [[द्वजाति] ब्राह्मण, क्षत्रिय और वैश्यये तीन वर्ण (हे १, ६४; २, ७६ ) । दुक्ख वि [दुराख्येय ] दुःख से कहने योग्य (ठा ५, १ –पत्र २६६ ) 1
दुउण वि [द्विगु ] दूना, दुगुना (दे ५, ५५ है १, ६४) अर वि [तर] दूने से भी विशेष, अत्यन्त ( से ११,४७ ) I
दुडणिअवि [ द्विगुणित ] ऊपर देखो
(कुमा) 1
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दुल देखो अल्ल (प्राप्र गा ५६६; षड् ) । ढुंडुह ) पु [दुन्दुभ] १ सर्प की एक जाति दुंदुभ ) (दे ७, ५१) । २ ज्योतिष्क-विशेष, एक महाग्रह (ठा २, ३ –पत्र ७८ ) IV दुंदुभि देखो दुंदुहि (भग ε, ३३) ।× दुंदुमिअ न [दे] गले की श्रावाज (दे ५, ४५; षड् ) IV
दुमिण स्त्री [] रूपवाली स्त्री (दे ५, ४५) । दुंदुहि पुंस्त्रो [दुन्दुभि] वाद्य-विशेष (कप्पः सुर ३, ६८ उड; कुप्र ११८)
ती [] सरित् नदी (दे ५, ४८ ) । दुक देखो दुक्कड (द्र ४७ ) IV दुकप देखो दुक्कप्प (पंच) दुकम्म न [दुष्कर्मन् ] पाप, निन्दित या काम (श्रा २७० भवि) 1 दुकाल ' [दुष्काल ] अकाल, दुर्भिक्ष (सिरि ४१) IV दुकिय देखो दुक्कय (भवि) 1
दुकूल पु [दुकूल ] १ वृक्ष विशेष । २ वि. दुकूल वृक्ष की छाल से बना हुआ वस्त्रादि ( गाया १, १ टी -पत्र ४३ ) | दुक्कंदिर वि [दुम्कन्दिन् ] अत्यन्त आक्रन्द करनेवाला (भवि) 1
[द्वार] दरवाजा, प्रवेश-मागं (दे १, ७६ ) 1दुक्कड न [दुष्कृत ] पाप कर्म, निन्द्य श्राचरण दुआरा वि [ दुराराध ] जिसका श्राराधन (सम १२५ हे १, २०६३ पडि) 1 कठिनाई से हो सके वह (परह १, ४) दुक्कडि वि [दुष्कृतिन्, क] दुष्कृत दुआरी [द्वारिका ] १ छोटा द्वार । २ | दुक्कडिय करनेवाला, पापी (सूत्र १, ५, गुप्त द्वार, अपद्वार (गाया १, २ ) ।
१०पि २१९ ) ।
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दुक्कर वि [दुष्कर ] जो दुःख से किया जा सके, मुश्किल, कष्ट साध्य (हे ४, ४१४; पंचा १३) आरअवि ['कारक ] मुश्किल कार्य को करनेवाला (गा १७३३ हे २, १०४) करण न [करण] कठि कार्य को करना (द्र ५७) कारिवि [कारिन] देखो आरअ ( उप १६० ) । दुक्कर न [ दे] माघ मास में रात्रि के चारों प्रहर में किया जाता स्नान (दे ५, ४२ ) । दुक्करकरण न [दुष्करकरण] पाँच दिन का लगातार उपवास (संबोध ५८ ) । दुक्कह वि [] अरुचि वाला, अरोचकी (सुर १, ३६ जय २७) । दुक्काल पुं [दुष्काल] प्रकाल, दुर्भिक्ष (सार्व ३०) ।
दुक्किय देखो दुक्कय (भवि ) Iv दुक्कुक्कणिआ स्त्री [दे] पीकदान, पदा (दे ५, ४८) ।
दुक्कुल न [दुष्कुल] निन्दित कुल (धर्मं १) । - दुक्कुह वि [दे] १ असहन, श्रसहिष्णु, चिड़चिड़ा । २ रुचि -रहित (दे ५, ४४) । दुक्ख पुन [दुःख] ९ असुख, कष्ट, पीड़ा, क्लेश, मन का क्षोभ (हे १, ३३), 'दुक्खा सारीरा माणसा व संसारे (संथा १०१; आचार भगः स्वप्न ५१ ५८ प्रासू ६६; १५२; १८२) । २ क्रिवि. कष्ट से, मुश्किल से, कठिनाई से (वसु) । ३ वि. दुःखवाला, दुःखित, दुःखयुक्त ( वै ३३) ४ खो. 'क्खा (भग) रवि [र] दुःख-जनक (सुपा १५) । तवि [[ ] दुःख से पीड़ित (सुपा १६१ स ६४२ प्रासू १४४ ) । "तगवेसण न [गवेषण] दुःख से पीड़ित की सेवा, प्रार्त्त शुश्रूषा (पंचा १९) । 'मज्जिय वि [ अर्जित दुःख ] जिसने दुःख उपार्जन किया हो वह (उत्त ६) राह वि [राध्य ] दुःख से प्राराधन-योग्य ( वज्जा
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