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दढगालि-दमण पाइअसहमहण्णवो
४५५ में तीर्थकर-नामकर्म उपार्जन करने वाला एक दहर [दे. दर्दर] कुतुप मादि के मुंह पर दप्पणिज वि [दर्पणीय बल-जनक, पुष्टिमनुष्य (ठा -पत्र ४५५)। २ भरत- बाँधा जाता कपड़ा (पिंड ३४७, ३५६ राय | कारक (णाया १, १; पएण १७ औपः क्षेत्र के एक भावी कुलकर पुरुष का नाम (सम । ६८; १००)
कप्प) १५४) ।
दहर वि [दे. दर्द १ घना, प्रचुर, अत्यन्तः दप्पि वि [दर्पिन अभिमानी, गर्विष्ठ (कप्पू)। दढगालि बी [दे] वस्त्र-विशेष, धोया हुआ __'गोसीससरसरत्तचंदणदद्दरदिएणपंचंगुलितला
| दप्पिअ वि [दर्पिक] दर्प-जनित (उबर सदश वस्त्र (पव ८४; दसनि १, ४६ टी) (सम १३७)। २ पु. चपेटा, हस्त-तल का देखो दाढगालि
आघात (सम १३७प्रौपः णाया १,८)। दप्पिअ वि [दर्पित अभिमानी, गर्वित (सुर दढिअ वि [दृढित] दृढ़ किया हुमा (कुमा)
३ माघात, प्रहारः 'पायदहरएणं कंपयंतेव | ७, २००; पण्ह १, ४)। दणु । [दनुज] दैत्य, दानव (हे १,
मेइरिणतलं' (णाया १, १)। ४ वचनाटोप दपिट्ठ वि [दपिष्ट] अत्यन्त महंकारी (सुपा दणुअ२६७; कुमाः षड्) इंद, एंद पुं
(पएह १, ३-पत्र ४४)। ५ सोपान-वीथी, २२) । [इन्द्र] १ दानवों का अधिपति (गउड से
सीढ़ी (सम १३७) । ६ वाद्य-विशेष (जं २)M दप्पुल्ल वि [दर्पवत् ] अहंकारवाला (हे २, १, २)। २ रावण, लंकापति (पउम ६६, | दद्दरिगा देखो दद्दरिया (राय ४६)। १५६ षड् ) १०) व पुं[पति] देखो इंद (पउम | दद्दरिया स्त्री [दे. दर्दरिका] १ प्रहार, प्राघात दब्भ पु[दर्भ] तृण-विशेष, डाभ, काश, १, १, ७२, ६० सुपा ४५)
(णाया १, १६) । २ वाद्य-विशेष (राय)। कुशा (हे १, २१७) 'पुप्फ पु[पुष्प] दत्त वि [दत्त] १ दिया हुमा, दान किया | दद् पुदद्र] दाद, क्षुद्र कुष्ठ-रोग (भग
| साँप को एक जाति (पएह १.१-पत्र ८) हुमा, वितीर्ण (हे १, ४६)। २ न्यस्त,
दब्भायण ।न-दार्भायन, दायाचना स्थापित (जे १)। ३. स्व-नाम-श्यात | दददरपंदर प्रहार. प्राघात (धर्मवि | दाब्भयायण ) चित्रा नक्षत्र का गान (क' एक श्रेष्ठि-पुत्र (उप ५६२, ७६८ टी)। ४
सुज १०) २००५८टा)। ४ ८५) IN भरत-वर्ष के एक भावी कुलकर षुरुष (सम | ददुर [दर्दुर] १ भेक, मेढ़क, बेंग (सुर दब्भिय न [दार्भिक] गोत्र-विशेष (सुज १०, १५३)। ५ चतुर्थ बलदेव के पूर्व-जन्म का | १०, १८७: प्रासू ४५)। २ चमड़े से अवनद्ध १६ टी) नाम (सम १५३)। ६ भरत-क्षेत्र में उत्पन्न | मुहवाला कलश (पएह २, ५)। ३ देव- दम सक [दमय ] निग्रह करना, दमन करना, एक मर्ष-चक्रवर्ती राजा, एक वासुदेव (सम विशेष (णाया १, १३) । ४ राहु, ग्रह-विशेष रोकना। दमेइ ( स २८६)। कर्म. दम्मइ ६३)। ७ भरत-क्षेत्र में प्रतीत उत्सर्पिणी (सुज्ज १९)। ५ पर्वत-विशेष (णाया १, (उव) कवकृ, दमत (उव)। संकृ. दमिऊण काल में उत्पन्न एक जिन-देव (पव ७)। ८ १६)। ६ वाद्य-विशेष (द ७, ६१; गउड)। (कुप्र ३६३)। कृ. दमियव्व, दम्म, दमेयव्य एक जैनमुनि (आक)। ६ नृप-विशेष (विपा ७ न. दर्दुर देव का सिंहासन (णाया १, (काल; आचा २, ४, २; उव) १,७)। १० एक जैन प्राचार्य (कुप्र ६)। १३)वडिंसय न [वतंसक] देव-विशेष, दम पु [दम] १ दमन, निग्रह । २ इन्द्रिय११ न. दान, उत्सर्ग (उत्त १)
सौधर्म देवलोक का एक विमान (णाया निग्रह, बाह्य वृत्ति का निरोध (पएह २, ४, दत्त न [दात्र दाँती, घास काटने का हँसिया | १, १३) ।
णंदि)। 'घोस पुं[घोष] चेदि देश के (दे १, १४)। दद्दुरी स्त्री [दर्दुरी] स्त्री-मेढक, भेकी (णाया
एक राजा का नाम (णाया १, १६) दंत दत्ति स्त्री [दत्ति] एक बार में जितना दान १, १३)।
पुं[°दन्त] १ हस्तिशीर्षक नगर के एक दिया जाय वह, अविच्छिन्न रूप से जितनी ददुल वि [दद्रुमत्] दाद-रोगवाला (सिरि
राजा का नाम (उप ६४८ टी)। २ एक जैन भिक्षा दी जाय वह (ठा ५, १, पंचा १८) ११६) IV
मुनि (विसे २७६६) धर पुं["धर] एक दत्तिय पुत्री [दत्तिका] ऊपर देखो, 'संखो | दधि देखो दहि (सम ७७; पि ३७६)। जैन मुनि का नाम (पउम २०, १९३) दत्तियस्स' (वव ९)।
-दद्ध देखो दड्ढ (सुर २, ११२; पि २२२)।+दमग देखो दमय (णाया १, १६; सुपा दत्तिय पुदत्रिक वायु-पूर्ण चर्म (राज) दप्प दर्पा १ महंकार, अभिमान, गर्व ३८५ वव ३ निवू १५ बृहउव)/ दत्तिया स्त्री [दात्रिका] १ छोटी दाँती, घास (प्रासू १३२)। २ बल, पराक्रम, जोर (से | दमग वि दमक] दमन करनेवाला (निचू काटने का शस्त्र-विशेष (राज)। २ देनेवाली । ४, ३)। ३ घृष्टता, ढिठाई (भग १२, ५)। ) स्त्री, दान करनेवाली बी (चारु २) | । ४ अचि से काम का प्रासेवन (निचू १) दमण देखो दमणक (राय ३४. १२१)। दत्थर पुं[दे] हस्त-शाटक, कर-शाटक (दे दप्पण पु[दर्पण] १ काच, शीशा, आदर्श दमण न [दमन] १ निग्रह, दान्ति। २ वश
(णाया १, १, प्रासू १६१)। २ वि. दर्प- में करना, काबू में करना; 'पंचिदियदमणपरा ददंत देखो दा।। जनक (पएह २, ४)
(माप ४०)। ३ उपताप, पीड़ा (पएह १,
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