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दल-दव्व
पाइअसहमहण्णवो दल प्रक [दल्] १ विकसना। २ फटना, दलिअ वि [दे] १ निकूणिताक्ष, जिसने दवहुत्त न [द] ग्रीष्म-मुख, ग्रीष्म काल का
खण्डित होना, द्विधा होना; 'अहिसअरकि- टेढ़ी नजर की हो वह । २ न. उँगली (दे ५, प्रारम्भ (३५, ३६) रणणिरंबविमं दलइ कमलवणं (गा ५२) । काष्ठ, लकड़ी (दे ५, ५२, पात्र) दवाव सक [दापय् ] दिलाना। दवावेइ ४६५); "कुडयं दलइ' (कुमा) । वकृ. दलंत दलिजंत देखो दल = दलय ।
(महा) । वकृ. दवावेमाण (णाया १,१४)। (से १,५८) दलिद्द देखो दरिद (हे १,२५४; गा २३०)
संकृ. दवावेऊण (महा)। हेकृ. दवावेत्तए दल सक [ दलय] चूर्ण करना, टुकड़े-टुकड़े
(कस)। दलिहा प्रक[दरिद्रा] दुर्गत होना, दरिद्र होना। करना, विदारना। वकृ. 'निम्मूलं दलमागो
दवावण न [दापन] दिलाना (निचू २) सयलंतरसत्तुसिन्नबल' (सुपा ८५)। कवकृ.
दलिद्दाइ (हे १, २५४)। भूका. दलिद्दाईन दवाविअ वि [दापित] दिलाया हुआ (सुपा
(संक्षि ३२) - दलिज्जत (से ६, ६२) । संकृ. दलिऊण
१३०; स १६३; महा: उप पृ ३८५; दलिल्ल वि [दलवत् ] दल-युक्त, दलवाला | ७२८ टी)।
(सण)। दल न [दल] १ सैन्यः लश्कर, फौज (कुमा)।
दविज पुन [द्रव्य १ अन्वयी वस्तु, जीव दलेमाण देखो दल = दा २ पत्र. पत्ता, पंखड़ी या पंखुड़ी; 'तूहवल्लहस्स
आदि मौलिक पदार्थ, मूल वस्तु (सम्म ६; गोसम्मि प्रासि पहरो मिलाणकमलदलों
दव सक [द्र ] १ गति करना । २ छोड़ना। विसे २०३१)। २ वस्तु, गुणाधार पदार्थ (हेका ५१, गा ५, १००२५७, ३९६; दवए (विसे २८)।
(ओघ ५, आचा; कप्प)। ३ वि. भव्य, ५६२, ५६१, सुपा ६३.)। ३ धन, दव [व] १ जंगल का अग्नि, वन की मुक्ति के योग्य (सूत्र १, २, १)। ४ भव्य, सम्पत्ति । ४ समूह, समुदाय, गरोह (सुपा | भाग (दे५, ३३)। २ वन, जंगल। ग्गि
सुन्दर, शुद्ध (सून १, १६)। ५ राग-द्वेष से ६३८)। ५ खण्ड, भाग, अंश (से ६, ६२)। [नि] जंगल का अग्नि (हे १, १७७; विरहित, वीतराग (सूम १, ८) णुओग दलण न [दलन] १ पीसना, चूर्णन (सुपा प्राप्र)।
पुं [नुयोग] पदार्थ विचार, वस्तु की १४. ६१९) । २ वि. 'चूर्ण करनेवाला (सुपा | दव
मीमांसा (ठा १०)। देखो दव्य ।।
द्रव] १ परिहास (दे ५, ३३) । २ २३४ ४६७, कुप्र १३२, ३८३)। पानी, जल (पंचव २) । ३ पनीली वस्तु,
दविअ वि [द्रविक] संयम वाला, संयम युक्त, दलमाण देखो दल = दा ।।
संयमी (प्राचा) रसीली चीज (विसे १७०७)। ४ वेगः 'दव
दविअ वि [द्रवित] द्रव-युक्त, पनीली वस्तु दलमाण देखो दल = दलम् ।।
दवचारी' (सम ३७)। ५ संयम, विरति
| (ोघ) दलमल देखो दरमल। वकृ. दलमलंत(भवि)। (प्राचा) कर वि [कर] परिहासकारक
दविड देखो दविल (सुपा ५८०) दलय देखो दलदा । दलयइ (प्रौप)। भवि. (भग ९, ३३) कारी, गारी स्त्री कारा] दविडी स्त्रीद्राविडी] लिपि-विशेष, तामिल दलइस्संति (प्रौप) । वकृ. दलयमाण (पाया एक प्रकार की दासी, जिसका काम परिहास
भाषा (विसे ४६४ टी)। १,१-पत्र ३७, ठा ३.१-पत्र ११७)। जनक बातें कर जी बहलाना होता है (भग
दविण न [द्रविण] धन, पैसा, संपत्ति (पाम: संकृ. दलइत्ता (प्रौप)। ११, ११ गाया १, १ टी. पत्र ४३)।।
कप्प) दलय सक [दापय ] दिलाना दलयइ दवण न [दवन] यान, वाहन (सूमनि दविय न [द्रव्य १ घास का जंगल, वन में (कप्प)। १०८)
घास के लिए सरकार से अवरुद्ध भूमि (आचा दलबट्ट देखो दरमल । दलवट्टइ (भवि) दवणय देखो दमणय (भवि)।
२, ३, ३, १)। २ तृण आदि द्रव्य-समुदाय दलवट्टिय देखो दलमलिय (भवि)
दवदव । [द्रवद्रवम् ] शीघ्र, जल्दी; । (सून २, २, ८) दलाव सक [दापय् ] दिलाना। दलावेइ दवदवस्ल 'दवदवचरा पमत्तजणा' (संबोध दविल पुं[द्रविड] १ देश-विशेष, दक्षिण (पि ५५२) । वकृ. दलावेमाग (ठा ४, २) १४. उत्त १७,८); 'दवदवस्स न गच्छेजा' (दस देश-विशेष, मद्रास प्रांत। पुंस्त्री. द्रविड़ देश का दलिअ वि [दलित १ विकसित, खिला हुमा ५, १, १४); 'जह वणदवो वणं दवद- | निवासी मनुष्य, द्राविड़ (पएह १,१-पत्र (से १२, १)। २ पीसा हुआ (पास); वस्स जलिमो खणेण निद्दहई' (धर्मवि ८६) १४)।। ‘दलिमनपसालितंडुलधवलमि अंकासु राईसु'
दवदवा स्त्री [द्रवद्रवा] वेगवाली गति, दव्य देखो दविअ = द्रव्य (सम्म १२; भग; (गा ६६१)। ३ विदारित, खण्डित (३१, 'नाऊरण गयं खुहियं नयरजणो धाविमो दव- विसे २८ अरणः उत्त २८)। ६धन, पैसा. १५६, सुर ४, १५२) । दवाए' (पउम ८, १७३)।
संपत्ति (पामा प्रासू १३१) । ७ भूत या दलिअ न [दलिक] १ चीज, वस्तु, द्रव्य (मोघ दवर पुं[दे] १ तन्तु, डोरा, धागा (दे ५, | भविष्य पदार्थ का कारण (विसे २८, पंचा ५५), 'जह जोग्गम्मिवि दलिए सव्वम्मिन ३५; भावम)। २ रज्जु, रस्सी (णाया ६)।८ गौण, अप्रधान । ६ बाह्य, अतथ्य कोरए पडिमा (विसे १६३४) । २ पण्डित
(पंचा ४, ६)। द्विय पुं [र्थिक, स्थित, (बृह० क० भा० उ० ४)।
दरिया स्त्री [दे] छोटी रस्सी (विसे) । स्तिक] द्रव्य को ही प्रधान माननेवाला
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