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४५८ पाइअसहमहण्णवो
दव्व-दह पक्ष, नय-विशेषः ‘दव्वट्ठियस्स सवं सया १) धणु ([धनुष ] ऐरवत क्षेत्र के | दसण्ण पुं [दशाणे] देश-विशेष (उप २११ अणुप्पन्नमविणटुं' (सम्म ११, विसे ४५७) एक भावी कुलकर पुरुष (सम १५३)Mटी कुमा) कूड न [कूट] शिखर-विशेष "लिंग न [लिङ्ग] बाह्य वेष (पंचा ४) पएसिय वि [प्रादेशिक] दस अवयव- (आवम) "पुर न [पुर नगर-विशेष "लिंगि वि ["लिङ्गिन भेषधारी साधु (गु वाला (ठा १०)/पुर देखो "उर (महा) (ठा १०) भद्द पुं[भद्र] दशाणंपुर १०) लेस्सा स्त्री [ लेश्या शरीर आदि पुब्वि वि [ पूर्विन्] दस पूर्व-प्रन्थों का का एक विख्यात राजा, जो अद्वितीय पाडम्बर पौद्गलिक वस्तु का रंग, रूप (भग)। वेय अभ्यासी (ोघ १) बल ["बल] | से भगवान् महावीर को वन्दन करने गया था पुं[वेद] पुरुष आदि का बाह्य आकार भगवान् बुद्ध (पात्र हे १, २६२) म वि और जिसने भगवान् महावीर के पास दीक्षा (राज) यरिय पु. [चार्य] अप्रधान [म] १ दसवाँ (राज)। २ चार दिनों का ली थो (पडि), वइ पुं [पति दशाणं आचार्य, प्राचार्य के गुणों से रहित आचार्य लगातार उपवास (प्राचा पाया १, १; सुर देश का राजा (कुमा)। (पंचा ६)
४, ५५)५°मभत्तिय वि [मभक्तिक | दसतीण न [दे] धान्य-विशेष (पएण १दव्व न [द्रव्य] योग्यता, 'समयम्मि दब- चार दिनों का लगातार उपवास करनेवाला | पत्र ३४)।। सद्दो पायं जं जोग्गयाए रुढो त्ति, णिरूवच- (पएह २, ३) मासिअ वि [ माषिक] दसन्न देखो दसण (सत्त ६७ टी) रितो' (पंचा ६, १०)।
दस मासे का तौलवाला, दस मासे का परि- | दसा स्त्री [दशा] १ स्थिति, अवस्था (गा दव्वहालया स्त्री [द्रव्यहलिका] वनस्पति
माणवाला (कप्पू)। °मो स्त्री [°मी] १ | २२७, २८४ प्रासू ११०)। २ सौ वर्ष के विशेष (परण १-पत्र ३५) ।।
दसवीं । २ तिथि-विशेष (सम २९) मुद्दि- प्राणी की दस-दस वर्ष की अवस्था (दसनि दधि देखो दव्वी (षड् )
याणंतग न [ मुद्रिकानन्तक] हाथ की १)। ३ सूत या ऊन का छोटा और पतला
उंगलियों को दस अंगूठियाँ (प्रौप) मुह धागा (मोघ ७२५) । ४ ब. जैन मागमदबिदिअ न [द्रव्येन्द्रिय] स्थूल इन्द्रिय
पुं [मुख रावण, राक्षस-पति (हे १, ग्रन्थ-विशेष (मणु)
२६२, प्राप्र; हेका ३३४)4 °मुहसुअ पुं दसार पु[दशाह] १ समुद्रविजय प्रादि दश दव्वी स्त्री [दर्वी] १ की, कलछी, चमची, डोई [मुखसुत] रावण का पुत्र, मेघनाद आदि यादव (सम १२६; हे २, ८५; अंत २; (पास) । २ साँप को फन (दे ५, ३७) (से १३, ६०)°य देखो ग (ठा १०) वाया १, ४--पत्र ६९) २ वासुदेव, "अर कर [कर] साँप, सर्प (दे ५, | रत्त न [ रात्र] दस रात (विपा १, ३)M श्रीकृष्ण (णाया १, १६) । ३ बलदेव ३७ पराग १)
'रह पुं[रथ] १ रामचन्द्रजी के पिता का | (प्रावम) । ४ वासुदेव की संतति (राज)। दव्वी स्त्री [दे] वनस्पति-विशेष (पएण १
नाम ( सम १५२, पउम २०, १८३)।२ णेउ पुं["नेत्] श्रीकृष्ण (उव)। नाह
प्रतीत उत्सपिणी-काल में उत्पन्न एक कुलकर | पुं [ नाथ] श्रीकृष्ण (पाम) पत्र ३४)।
वइ पुं पुरुष (ठा दस त्रि. ब. [दशन] दस, नौ और एक (हे
-पत्र ४४७) 4 रहसुय पुं [पति] श्रीकृष्ण (कुमा)।
[ रथसुत] राजा दशरथ का पुत्र--राम, दसिया देखो दसा (सुपा ६४१) १, १६२: ठा ३, १-पत्र ११६; सुपा
लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न (पउम ५६, ८७) २६७) V उर न [पुर] नगर-विशेष
वअण पु[°वदन] राजा रावण (से १०,
दसु पुं[दे] शोक, दिलगीरी (दे ५, ३४) (विसे २३०३) कंठ पुं[कण्ठ] रावण,
५) °वल देखो बल (प्राप्र) विह वि
दसुत्तरसय न [दशोत्तरशत] १ एक सौ एक लंका-पति (से १५, ६१) कंधर पुं
[विध] दस प्रकार का (कुमा)। वेआ- दस । २ वि. एक सौ दसवाँ, ११० वाँ [ कन्धर] राजा रावण (गउड) कालिय
लिअ न [वैकालिक] जैन आगम-ग्रन्थ- (पउम ११०, ४५)। न [कालिक] एक जैन आगम-ग्रंथ (दसनि
विशेष (दसनि १; एंदि) हा म [धा] | दसुय पुं[दस्यु लुटेरा, डाकू, चोर, तस्कर १) °ग न [क] दश का समूह (दं ३८ नव १२) गुण वि [गुण] दस
दस प्रकार से (जी २४)4°णण पुं[नन] | (उत्त १०, १६) ।
राक्षसेश्ववर रावण (से ३, ६३) गुना (ठा १०) गुणिअ वि [गुणित]
हिया | दसेर दे] सूत्र-कनक (दे ५, ३३)।
स्त्री [हिका] पुत्र-जन्म के उपलक्ष्य में दस-गुना (भग; श्रा १०) 'ग्गीव पुं
दस्स देखो दस = दर्शय् । कृ. दस्सणीअ [ग्रीव] रावण (पउम ७३, ८) दस किया जाता दस दिनों का एक उत्सव (कप्प)M
(स्वप्न ६५) ।। मिया स्त्री ['दशमिका] जैन साधु का दसग वि [दशक] दस वर्ष की उम्र का दस्सण देखो दसण (मै २१) एक धार्मिक अनुष्ठान, प्रतिमा-विशेष (सम (तंदु १७)।
दस्सु पु[दस्यु] चोर, तस्कर (श्रा २७) । १०० दिवसिय वि [°दिवसिक] दस दसण ( [दशन] १ दाँत, दन्त (भगः कुमा) दह सक [दह ] जलना, भस्म करना। दिन का (णाया १, १-पत्र ३७)4 'द्ध २ न. दंश, काटना (पव ३८) च्छय पुं दहइ (महा)। कर्म. दहिबइ (हे ४, २५६), पुंन [T] पाँच, ५ (सम ६०; णाया १, [च्छद] होठ, प्रघर, गोठ (सुर १२,२३४) दज्झइ (भाचा)। बकृ. दहंत (श्रा २८)।
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