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तहा देखो तह = तथा (कु
] १ मुक्त
जामिना ताप-युक्त (सूत्र १, १५)।
भूत उस रूप ] उस प्रानिपुण, चतुर, १२, १७) यिन] मुनि,
ससण-ताडिअ पाइअसहमहण्णवो
४३१ जी २) । २ एक स्थान से दूसरे स्थान में तह वि [तथ्य तथ्य, सत्य, सच्चा (सूम ताअ देखो ताव = ताप (गा ७९७, ८१४; जाने-आने की शक्तिवाला प्राणी (निचू १२)। १, १३)।
हेका ५०)। काइय पुं [कायिक] जंगम प्राणी, तह पु[तथ] प्राज्ञाकारक, दास, नौकर (ठा ताअ पुं [तात] १ तात, पिता, बाप (सुर द्वीन्द्रियादि जीव (पण्ह १, १)। काय पुं. ४,२-पत्र २१३)।
१, १२३; उत्त १४)। २ पुत्र, वत्स (सूम [ काय] १ स-समूह (ठा २, १)। २ तह न [तथ्य] १ स्वभाव, स्वरूप जंगम प्राणी (प्राचा)। "णाम, नाम न तहीय (सूपनि १२२)। २ सत्य वचन (सूम
ताअ सक [3] रक्षण करना। कृ. तायव्व [नामन्] कर्म-विशेष, जिसके प्रभाव से १, १४, २१)।
(श्रा १२)। जीव त्रसकाय में उत्पन्न होता है (कम्म १; | तहं देखो तह % तथा (औप)।
ताअप्प न [तादात्म्य तद् पता, अभेद, सम ६७)। रेणु ["रेणु] परिमाण- तहरी श्री [दे] पङ्कवाली सुरा (दे ५, २)। । अभिन्नता (प्राकृ २४)। विशेष, बत्तीस हजार सात सौ अड़सठ पर
तहल्लिआ स्त्री [दे] गो-वाट, गौनों का बाड़ा, ताइ वि [त्यागिन् त्याग करनेवाला (गा माणुओं का एक परिमाण (अणु, पव २५४)। | गोशाला (दे ५, ८)।
२३०)। 'वाइया स्त्री ["पादिका] त्रीन्द्रिय जन्तु- तहा देखो तह = तथा (कुमा; गउड; आचा; ताइ वि [तायिन्] रक्षक, परिपालक (उत्त विशेष (जीव)। तसण न [प्रसन] १ स्पन्दन, चलन, हिलन | प्रात्मा । २ सर्वज्ञ (प्राचा) । 'भूय वि | ताइ वि [तापिन] ताप-युक्त (सूम १, १५)।
(राज) । २ पलायन (सूप १, ७)। [भूत उस प्रकार का (पउम २२, ६५)। ताइ वि [त्रायिन] रक्षक, रक्षण करनेवाला तसनाडी स्त्री [त्रसनाडी] त्रस जीवों के रहने
रूव वि [ रूप] उस प्रकार का (भग (उत्त २१, २२)। का प्रदेश, जो ऊपर-नीचे मिलाकर चौदह |
१५)। वि वि [वित् ] १ निपुण, चतुर ताइ वि [तायिन्] उपकारी (सूत्र १, २, रज्जू परिमित है (पव १४३) ।
| २ . सर्वज्ञ (सूम १, ४, १) । हिम २, १७) । तसर देखो टसर (कप्पू)।
[हि] वह इस प्रकार (उप ६८६ टो)। ताइपुं [त्रायिन्] मुनि, साधु (दसनि २,
तहि देखो तह = तथा (गा ८७८ उत्त ६)।। तसिअ वि [दे] शुष्क, सूखा (दे ५, २)।
तहिंम[तत्र] वहाँ, उसमें (गा २०६ ताइअ वि [त्रात रक्षित (उव)। तसिअ वि [तृषित] तृषातुर, पिपासित, तहि प्रातः गा २३४, ऊरु १०५)। ताउं (अप) देखो ताव = तावत् (कुमा)। प्यासा हुआ (रयण ८४)।
तहिय वि [तथ्य सत्य, सच्चा, वास्तविक ताठा (चूपै) देखो दाढा (हे ४, ३२५)। तसिअ वि [त्रस्त] भीत, डरा हुआ (जीव | (णाया १,१२)।
ताड सक [वाडय] १ ताड़न करना, ३; महा)।
तहियं भ[तत्र] वहाँ, उसमें (विसे २७८)। पीटना । २ प्रेरणा करना, प्राघात करना। तसियव्य देखो तस = त्रस्।
तहेय [तथैव] उसी तरह, उसी प्रकार ३ गुणाकार करना । ताडइ (हे ४, २७)।
तहेव (कुमा; षड्)। तसेयर वि [त्रसेतर] एकेन्द्रिय जीव, स्थावर
भवि. ताडइस्सं (पि २४०)। वकृ. ताडित | ता प्रतिद्] उससे, उस कारण से (हे ४, प्राणी (सुपा १९८)।
(काल) । कवकृ. ताडिजमाण, ताडीअंत, २७८ गा ४६ ६७; उव)।
ताडीअमाण (सुपा २६; पि २४०, अभि तह म [तथा] १ उसी तरह (कुमाः प्रासू ता देखो ताव = तावत् (हे १, २७१, गा |
१५१) हेव. ताडिउं (कप्पू)। कृ. ताडिअ १६ स्वप्न १०)। २ और, तथा (हे १, १४१, २०१)।
(उत्त १९)। ६७) । ३ पाद-पूर्ति में प्रयुक्त किया जाता | ताम[तदा] तब, उस समय (रंभाः कुमा
ताड पुं[ताल] ताड़ का पेड़ (स २५६) । अव्यय (निचू १)। कार पुंकार] 'तथा'
ताडंक पुं[ताडक] कान का प्राभूषणशब्द उच्चारण (उत्त २६)। णाण वि ताम[तहिं] तो, तब (रंभा; कुमा)।
विशेष, कुण्डल (दे ६, ६३ कप्पू: कुमा)। [ज्ञान] प्रश्न के उत्तर को जाननेवाला (ठा | तात्री [ता] लक्ष्मी (सुर १६, ४८)। ६)। २ न. सत्य ज्ञान (ठा १०)। "त्तिम तास [तद्] वह । गंध पुं [गन्ध १ त
ताडण न [ताडन] १ ताड़न, पीटना (उप [इति स्वीकार-द्योतक भव्यय-वैसा ही उसका गन्ध । २ उसके गन्ध के समान गन्ध
९८६ टी गा ५४६)। २ प्रेरणा, प्राघात (जैसा आप फरमाते हैं) (णाया १, १)। (पएण १७)। फास [स्पर्श] १
(से १२, ८३)। 'य प्र[च] १ उक्त अर्थ की दृढ़ता-सूचक उसका स्पर्श । २ वैसा स्पर्श (पएण १७)।
ताडाविय वि [ताडित] पिटवाया गया (सुपा अव्यय । २ समुच्चय-सूचक अव्यय (पंचा २)। 'रस पुं [रस १ वह स्पर्श । २ वैसा
२८८)। 'वि प्र["पि] तो भी (गउड) । 'विह वि स्पर्श (पण १७) वन रूपी ताडिअ देखो ताड = ताडय् । ["विध] उस प्रकार का (सुपा ४५६)। वह रूप । २ बैसा रूप (पएण १७-पत्रताडिअ वि [ताडित १ जिसका ताडन देखो तहा। ५२२)।
किया गया हो वह, पीटा हुमा (पाम)। २
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