________________
४३३
तालक-ति
पाइअसहमहण्णवो ताल की तरह लम्बी जाँघवाला (णाया १,
तालिअ वि [ताडित] पाहत, पीटा हुआ तावं देखो ताव = तावत् (भग )। ८) । मय पु[ध्वज] १ बलदेव (णाया १, ५)।
ताएँ (अप) देखो ताव % तावत् (मावम) । २ नृप-विशेष (दस १)। ३ तालअंट सक[ भ्रमय् ] घुमाना. फिराना। तावहिं । (कुमा) शत्रुजय पहाड़ (ती '१)। पलंब पुं! तालिमंटइ (हें ४, ३०)
तावण पुंतापन] चौथी नरकभूमि का एक [प्रलम्ब] गोशालक का एक उपासक (भग तालिअंट न [तालवृन्त] व्यजन, पंखा (स नरकस्थान (देवेन्द्र ८)। २ वि. तपानेवाला ८; ५) पिसाय पु [पिशाच] दीर्घ- ३०८)
(त्रि ९७) काय राक्षस (पएण १) पुड देखो उड नालिअंटिर वि [भ्रमयितु] घुमानेवाला | तावण न [तापन] १ गरम करना, तपाना (श्रा १२) । यर पुं [°चर] एक मनुष्य
(निचू १) । २ पृ. इक्ष्वाकु वंश का एक जाति, चारण (मोघ ७६६) विंट, वित, तालिज्जंत देखो ताल = ताडय।।
राजा (पउम ५, ५) बेंट, °वोंट न [वृन्त] व्यजन, पंखा (पि | तालिस देखो तारिस (उत्त ५, ३१) । ताणिज्ज देखो ताव = तापय् । ५३, नाट–वेणी १०४ हे १, ६७; प्राप्र)M ताली स्त्री [नाली] १ वृक्ष-विशेष (चारु ६३)। तावत्तीस )
। देखो तायत्तीसय (प्रौप,
र 'संवड प टा ताल के पत्रों का संपट. छन्द-विशेष (पिंग) 'पत्तन [पत्र]
तावत्तीमग
पि ४४५, ४३८, काल)। " ताल-पत्र-संचय (सूम १, ५, १) सम ताल-वृक्ष के पत्ता का बना हुआ पंखा
तावत्तीसा देखो तायत्तीसा (पि ४३८) । वि [°सम] ताल के अनुसार स्वर, स्वर
(चारू ६३)। विशेष (ठा ७) तालु । न [तालु, क] तालु, मुंह के अन्दर
तावस पुं [तापस] १ तपस्वी, योगी, तालक पु[ताडङ्क] १ कुण्डल, कान का | तालुअ
संन्यासि-विशेष (प्रौप)। २ एक जैनमुनि का ऊपरी भाग, तलुप्रा (सत्त ४६) णाया १, १६)
(कप्प) गेह न [गेह] तापसों का मठ प्राभूषण-विशेष । २ छन्द-विशेष (पिंग)।
तालुग्घाडणी स्त्री [तालोद्धाटनी] विद्यातालंकि पुंस्त्री [तालङ्किन] छन्द-विशेष M
विशेष, ताला खोलने की विद्या (वसु)। तावसा स्त्री [तापसा] जैन मुनियों की एक स्त्री. णी (पिंग)
शाखा (कप्प) तालगन [तालका ताला, द्वार बन्द करने तालुर पुं[दे] १ फेन, फीण । २ कपित्थ
तावसी स्त्री [तापसी] तपस्विनी, योगिनी का यन्त्र (उस ३३६ टी)। वृक्ष, कैथ का पेड़ (दे ५,२१) । ३ पानी का
(गउड) तालण देखो ताडण (प्रौप)।
आवर्त (दे ५, २१; गा ३७, पान)। ४ पुं.
ताविअ वि [तापित] तपाया हुआ, गरम पुष्प का सत्व (विक्र ३२)। तालणा श्री [ताडना] चपेटा प्रादि का |
किया हुया (गा ५३; विपा १, ३, सुर ३, तालेवि देखो ताल = तालय । प्रहार (पएह २, १७ प्रौप)।
२२०)। तालप्फली स्त्री [दे] दासी, नौकरानी (दे ५, |
ताव सक [तापय् ] १ तपाना, गरम करना। ताविआ स्त्री [तापिका] तवा, पूना आदि | २ संताप करना, दुःख उपजाना। ताति पकाने का पात्र (दे २, ५६)। २ कड़ाही,
(गा ८५०)। कर्म. ताविज्जति (गा ७)। कृ. तालय देखो तालग (सुपा ४१४; कुप्र २५२)
छोटा कड़ाह (पावम)। तावणिज (भग १५)। तालसम न [तालसम] गेय काव्य का एक
ताविच्छ पुन [तापिच्छ] वृक्ष-विशेष, तमाल ताव पुं [ताप] १ गरमी, ताप (सुपा ३८६; भेद (दसनि २, २३)।
| का पेड़ (कुमा; दे १, ३७; सुपा ५८)।
कप्पू) । २ संताप, दुःख (प्राव ४)। ३ सूर्य, | तालहल पुं[दे] शालि, व्रीहि (दे ५, ७)।
तावी स्त्री [तापी] नदी-विशेष (पउम ३५, रवि। दिसा स्त्री [दिश] सूर्य-तापित
१,गा २३६) ताला म [तदा] उस समय, 'ताला जाति दिशा (राज)
तास पुं [त्रास] १ भय, डर (उप पृ ३५) । गुणा, जाला ते सहिपएहि धिप्पंति' (हे ३, ताव [ तावत् 1 इन अर्थों का सूचक
२ उद्वेग, संताप (पएह १,१)। ६५, काप्र ५२१) अव्यय । १ तबतक (पउम ६८, ५०)।२
तासण वि [त्रासन] त्रास उपजानेवाला ताला स्त्री [दे] लाजा, खोई, धान का लावा प्रस्तुत अर्थ (प्रावम)। ३ अवधारण, निश्चय।
(पएह १, १)।-- (दे ५, १०)। ४ अवधि, हद । ५ पक्षान्तर । ६ प्रशंसा।
तासि वि [बासिन्] १ त्रास-युक्त, त्रस्त । तालाचर पुं[तालचर] ताल (वाद्य) बजाने- ७ वाक्य-भूषा । ८ मान । ६ साकल्य,
२ त्रास-जनक (ठा ४, २, कप्पू)।वाला (निचू १५) । संपूर्णता। १० तब, उस समय (हे १,११)।
तासिअ वि [त्रासित] जिसको त्रास उपतालाचर पुं[तालाचर] १प्रेक्षक-विशेष, तावअ वि [तावक] त्वदीय, तुम्हारा (प्रच्चू
जाया गया हो वह (भवि)। तालायर ताल देनेवाला प्रेक्षक (णाया | ५३)
१,१)। १ नट, नर्तक प्रादि मनुष्य-जाति | तावइअ वि[ तावत् 1 उतना (सम १४४ | ताहे अ [तदा] उस समय, तब (हे ३, ६५)।। (बृह ३)।।
भग)।
| ति[त्रिः] तीन बार (मोघ ५४२)।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org