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णमिआ–णरय पाइअसहमहण्णवो
३८१ णमिआ स्त्री [नमिता] १ स्वनाम-ख्यात एक | के अनेक धर्मों में किसी एक को मुख्य रूप से | [नाथ] राजा, भूपाल (सुपा ६; सुर १, स्त्री। २ 'ज्ञाताधर्मकथासूत्र' का एक अध्ययन स्वीकार कर अन्य धर्मों की उपेक्षा करनेवाला ___६१)4 °पहु पुं [प्रभु राजा, नरेश (उप (णाया २)
मत, एकांश-ग्राहक बोध (सम्म २१; विसे ७२८ टी; सुर २, २४) 'पौरुसि पुं णमिर वि [नम्र नमन करनेवाला (कुमा; ६१४० ठा ३, ३)। ५ विधि (विसे ३३६५) [पौरुषिन् राज-विशेष (उप ७२८ टी) सुपा २७ सण)।
'चंद पुं['चन्द्र] स्वनाम-ख्यात एक जैन लोअपु[लोक मनुष्य लोक (जी २२; णमुइ पुं[नमुचि] स्वनाम-ख्यात एक मन्त्री ग्रन्थकार (रंभा)1 °स्थि वि [°ार्थिन] सुपा ४१३) वइ [पति नरेश, राजा (महा)।
न्याय चाहनेवाला (श्रा १४)। °व, वत वि (सुर १, १०४)। °वर पु[°वर] १ राजा, णमुदय पुं [नमुदय] माजीविक मत का | [वत् ] नीतिवाला, न्याय-परायण (सम नरेश (सुर १, १३१, १५, १४)। २ उत्तम एक उपासक (भग ५, १०)।
५० सुपा ५४२), "विजय पु[विजय] पुरुष (उप ७२८ टो)°वरिंद [वरेन्द्र] णमेरु पु [नमेरु] वृक्ष-विशेष (सुर ७, १६;
विक्रम की सतरहवीं शताब्दी के एक जैन मुनि, राजा, भूमि-पति (सुपा ५६; सुर २, १७६)४ स ६३३)।
जो सुप्रसिद्ध विद्वान् श्री यशोविजयजी के गुरू ___ वरीसर पुं[वरेश्वर श्रेष्ठ राजा (उत्त णमो नमस् ] नमस्कार, नमन (भगः थे (उवर २०२)
१८)1 °वमभ, वसह पुं [वृषभ] १ कुमा)।
णयचक्क न [नयचक्र] एक प्राचीन जैन | देखो उसभ (पराह १, ४, सम १५३)। णमोकार पुं [नमस्कार] १ नमन, प्रणाम | प्रमाण-ग्रन्थ (सम्मत्त ११५)।.
२ राजा, नृपति (पउम ३, १४) ३ . (हे १, ६२, २, ४)। २ जैन-शास्त्र में प्रसिद्ध णयण न [नयन] १ ले जाना, प्रापण (उप | हरिवंश का एक स्वनाम-प्रसिद्ध राजा (पउम एक सूत्र-मन्त्र-विशेष (विसे २८०५) १३४)। २ जानना, ज्ञान । ३ निश्चय (विसे २२, ६७) ५ वाल पुं [पाल] राजा, 'सहिय न [ सहित] प्रत्याख्यान-विशेष, ९१४)। ४ वि. ले जानेवालाः 'वयणाई भूपाल (सुपा २७३) वाहण पुं[वाहन] व्रत-विशेष (पडि)
सुपहनयणाई' (सुपा ३७७)। ५ पुन, आँख, स्वनाम-ख्यात एक राजा (पाक १; सण) णमोयार देखो णमोकार (चंड)।
नेत्र, लोचन (हे १, ३३, पान)। जल न "वेय पुं[वेद] पुरुष वेद, पुरुष को स्त्री के [जल] अश्रु , अाँसू (पान)।
स्पर्श की अभिलाषा (कम्म ४)। सिंघ, णम्म पुंन [नर्मन] १ हाँसी, उपहास । २
णयय पुं[दे. नवत] ऊन का बना हुआ क्रीड़ा, केलि (हे १, ३२ श्रा १४ दे २,
"सिंह, सीह पुं["सिंह] १ उत्तम पुरुष, ६४, पाम)। आस्तरण-विशेष (णाया १,१-पत्र १३)।
श्रेष्ठ मनुष्य (सम १५३; पउम १००, १६)।
२ अर्ध भाग में पुरुष का णयर देखो णगर (हे १, १७७; सुर ३, २० णम्मया स्त्री [नर्मदा] १ स्वनाम प्रसिद्ध नदी
और प्रधं भाग में
सिंह का आकारवाला, श्रीकृष्ण, नारायण (सुपा ३८०)। २ स्वनाम-ख्यात एक राज- औपः भग)।
(णाया १, १६सुंदर [सुन्दर] स्वणयरंगणा स्त्री [नगराङ्गना] वेश्या, गणिका पत्नी (स ५)।
नाम-ख्यात एक राजा (धम्म) (श्रा २७)। णय देखो णद = नद्ः 'विस्सरं नयई नदं'
हिव पुं णयरी स्त्री [नगरी] शहर, पुरी (उपाः पउम
[धिप] राजा, नरेश (गा ३६४७ सुपा (सम ५०)। ३६, १००)।
२५)। णय पुं [नग] १ पहाड़, पर्वत (उप पु २५६;
णर [नर] १ मनुष्य, मानुष, पुरुष (हे १, णरइंदय पुं [नरकेन्द्रक] नरक-स्थान-विशेष सुपा ३४८)। २ वृक्ष, पेड़ (हे १, १७७)।
२२६; सूत्र १, १, ३)। २ अर्जुन, मध्यम | (देवेन्द्र १) देखो णग।
पाण्डव (कूमा)। "उसभ पुं [वृषभ] णरकंठy निरकण्ठ] रत्न की एक जाति णय अ [नच] नहीं (उप ७६८ टी)। श्रेष्ठ मनुष्य, अंगीकृत कार्य का निर्वाहक पुरुष
(राय ६७) . णय [नत] १ नमा हुअा, झुका हुआ, प्रणत, (प्रौप) कंतप्पवाय पुं [कान्तप्रपात नम्र (णाया१,१)। २ जिसको नमस्कार किया हृद-विशेष (ठा २,३) । कता स्त्री [कान्ता]
स णरसिंह पु [नरसिंह] १ बलदेव, 'तत्तो गया हो वह 'नीसेसवियडपडिवक्खनयकमो नदी-विशेष (ठा २, ३; सम २७)। कता
लोयम्म बलदेवो नरसिंहो त्ति पसिद्धो (कुप्र विक्कमो राया'(सुपा ५६६)। ३ न. देवविमान- | कूड न [कान्ताकूट ] रुक्मि पर्वत
१०३) । २ एक राजकुमार (कुप्र १०६)। विशेष (सम ३७) सच्च पुं [सत्य] का एक शिखर (ठा ८) दत्ता स्त्री
णरगनरक] नारक जीवों का स्थान श्रीकृष्ण, नारायण (अच्चु ७)।
[दत्ता] १ मुनि-सुव्रत भगवान् की णरय (विपा १, १, पउम १४, १६; श्रा णय पुनय] १ न्याय, नीति (विसे ३३६५; शासनदेवी ( राज) २ विद्यादेवी-विशेष ३; प्रासू २९; उव)। 'वाल, वालय सुपा ३४८ स ५०१)। २ युक्ति (उप ७६८)। (सति ५) : देव पुं[देव] चक्रवर्ती राजा पुं[पाल, क] परमाधार्मिक देव, जो नरक ३ प्रकार, रीतिः 'जलणा वि घेप्पई पवणा (ठा ५, १) नायग पुं [ नायक] राजा, के जीवों को यातना (पीड़ा) देते हैं (पउम अयगो य केणइ नएण' (स ४५४)। ४ वस्तु नरपति ( उप २११ टी)। 'नाह पुं, २६, ५१८, २३७) ।
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