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णिगडिय-णिग्गिण्ण पाइअसहमहण्णवो
३६३ णिगडिय वि [निगडित नियन्त्रित (हम्मीर | संकृ. णिगिज्झिय, णिग्घेउं (ठा ७; कप्पा उप पू ३३२)। ३ द्वार, दरवाजा (से २,
राज) । कृ. णिगिहियव्व (उप पू २३)। २)। ४ बाहर जाने का रास्ता (से ८, ३३)। णिगढ पुगदे] धर्म, घाम, गरमी (दे ४, णिगुंज अक [नि+गुञ्ज] १ पूजना ५ प्रस्थान, प्रयाण (बृह १)। २७)।
अव्यक्त शब्द करना । २ नीचे नमना। वकृ.. णिग्गमण न [निर्गमन] १ निःसरण, बाहर णिगण वि [नम] नंगा, वस्त्र-रहित (सूम १, णिगुंजमाण (रणाया १,६-पत्र १५७)। निकलना (णाया १, २, सुपा ३३२. भग)।
णिगुंज देखो णिउञ्ज = निकुन्ज (आवम)। । २ पलायन, भाग जाना। ३ अपक्रमण णिगद सक [नि+गद्] १ कहना । २ णिगुण वि [निगुण] गुण-रहित (पएह | (वव १)। पढ़ना, अभ्यास करना। वकृ. णिगदमाण १, २)।
णिग्गमिअ वि [निर्गमित बाहर निकाला (विसे ८५०)।
णिगुरंब देखो णिउरंब (पएह १, ४)। हुआ, निस्सारित (श्रा १६)।
णिगूढ वि [निगूढ] १ गुप्त , प्रच्छन्न (कप्प)। णिग्गमिय वि [निर्गमित] गमाया हुआ, णिगम पुं [निगम] १ प्रकृष्ट बोध (विसे
२ मौनी, मौन रहनेवाला (राज)। पसार किया हुआ (सम्मत्त १२३)। १२८७)। २ व्यापार-प्रधान स्थान, जहाँ
णिगृह सक [नि + गुह. 1 छिपाना, गोपन | णिग्गय वि[निर्गत निःसृत, बाहर निकला व्यापारी, विशेष संख्या में रहते हों ऐसा शहर
करना। णिगृहइ (उवः महा)। णिगृहति हुआ (विसे १५४०; उवा)। जस वि प्रादि (पएह १, ३, प्रौपा प्राचा)। ३ व्या
(सट्टि ३२) । संकृ. णिगूहिऊण (स ३३५)। । [यशस् ] जिसका यश बाहर में फैला पारि-समूह (सम ५१)।
णिगृहण न [निगूहुन] गोपन, छिपाना | हो (णाया १, १८) । मोअ वि [मोद] णिगमण न [निगमन] अनुमान प्रमाण का (पंचा १५)।
जिसकी सुगन्ध खूब फैली हो (पान)। एक अवयव, उपसंहार (दसनि १)।
णिगूहिअ वि [निगूहित] छिपाया हुआ. णिग्गय वि [निर्गज] हाथी-रहित (भवि)। णिगमिअ वि [दे] निवासित ( षड्)। गोपित (सुपा ५१८)।
णिग्गह देखो णिगिण्ह । कृ.णिग्गहियव्व णिगर [निकर समूह, राशि, जत्था (विपाणिगोअ [निगोद] अनन्त जीवों का एक
(सुपा ५८०)। १, ६, उवा)। साधारण शरीर-विशेष (भगः पराण १)।
णिग्गह पुं [निग्रह] १ दण्ड, शिक्षा (प्रासू णिगरण न [निकरण] कारण, हेतु (भग | जीव पुं[जीव] निगोद का जीव (भग
१७०) प्राव ६)। २ निरोध, अवरोध, २५, ६ कम्म ४, ८५)।
रुकावट (भग ७, ९)। ३ वश करना, काबू णिगरिय वि [निकरित] सर्वथा शोषित | णिग्ग देखो णिग्गमनिर् + गम् । वकृ.
में रखना, नियमन (प्रासू ४८)। "द्वाण न (पएह १, ४)। _णिग्गंत (भवि)।
["स्थान] न्याय-शास्त्र-प्रसद्धि प्रतिज्ञा-हानि णिगल देखो णिअल। २ बेड़ी के माकार का | णिग्गंठिद (शौ) वि [निप्रथित] गुम्फित,
प्रादि पराजय-स्थान (टा १, सूप १, १२)। सौवणं माभूषण-विशेष (प्रौप)। अथित (पि ५१२)।
णिग्गहण न [निग्रहण] १ निग्रह, शिक्षा, णिगलिय देखो णिगरिय (जे २)। णिग्गतु देखो णिग्गम = निर् + गम्। णिग्गंतूण)
दएड (सुर १६, ७)। २ दमन, नियमन, णिगाम देखो णिकाम = निकाम (पिंड णिग्गंथ देखो णिअंठ (प्रौपः मोघ ३२८;
नियन्त्रण (प्रासू १३२)। प्रासू १३६, ठा ५, ३)।
णिग्गहिय वि [निगृहीत] १ जिसका निग्रह णिगाम न [निकाम] प्रत्यन्त, अतिशय (ठा |
णिग्गंथ वि [नैर्ग्रन्थ 1 निर्ग्रन्थ-सम्बन्धी किया गया हो वह (सं ११५)। २ पराजित ५, २ श्रा १६)। (णाया १, १३, उवा)।
पराभूत (प्रावम)। णिगास पुं[निकर्ष ] परस्पर संयोजन, णिग्गंथी स्त्री [निर्ग्रन्थी] जैन साध्वी (णाया
णिग्गहीय देखो णिग्गहिय (सुख १, १)। मिलाना, जोड़ (भग २५, ७) ।
१,१,१४. उवाः कप्प; प्रौप)।
णिग्गा स्त्री [दे] हरिद्रा, हलदी (दे ४, २५)। णिगिज्झिय देखो णिगिण्ह ।
णिग्गच्छक [निर+गम 1 बाहर णिग्गाल पुन निगाल] निचोड़, रस, 'सीसणिगिढ़ देखो णिक्किट्ठ (सुपा १८३)।
णिग्गम निकलना । णिग्गच्छइ (उवा; घड़ी निग्गाल' (तंदु ४१)। . णिगिण वि [नग्न] नग्न, नंगा (आचा २,
कप्पू)। वकृ. णिग्गच्छंत, णिग्गच्छमाण, णिग्गालिय वि [निर्गालित] गलाया हुआ २, ३, २, ७, १; पि १३३)।
णिग्गममाण (सुपा ३३०० णाया १,१, (उप पृ८४)। णिगिणिण न [नाग्न्य] नंगापन, नग्नता सुपा ३५६) । संकृ. णिग्गच्छित्ता, णिगं-णिग्गाहि वि [निग्राहिन निग्रह करनेवाला (उत्त ५, २१ सुख ५, २१)।
तूण (कप्पः स १७)। हेक.णिग्गंतुं (उप (उत्त २५, २)। णिगिण्ह सक [नि+ ग्रह] १ निग्रह ७२८ टी)।
| णिग्गिण्ण वि [दे. निर्गीर्ण] १ निर्गत, करना, दण्ड करना, शिक्षा करना । २ | णिग्गम [निर्गम] १ उत्पत्ति, जन्म (विसै | बाहर निकला हुआ (दे ४, ३६, पाम)। २ रोकना। ३ प्रक. बैठना, स्थिति करना।। १५३६)। २ बाहर निकलना (से ६, ३६ | वान्त, वमन किया हुमा (से ५, २६)।
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