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णिच्छम्म-णिज्जा पाइअसहमहण्णवो
३६५ णिच्छम्म देखो णिच्छउम (उव; साधं १४५) | णिच्छुभण न [निक्षेपण] निःसारण, | णिजण वि [निर्जन] १ विजन, मनुष्यणिच्छय सक [निर् +चि] निश्चय करना, निष्कासन (निचू १)।
रहित, सुनसान। २ न. एकान्त स्थान (गउड)। निर्णय करना। वकृ. णिच्छयमाण (उप णिच्छुभाविय वि [निक्षेपित] निस्सारित
णिज्जप्प वि [निर्याप्य] १ निर्वाह-कारक । ७२८ टी)। बाहर निकाला हुआ (णाया १,८)।
२ निबल, बल को नहीं बढ़ानेवाला 'अरसणिच्छय पु' [निश्चय] १ निश्चय, निर्णय
णिच्छुह सक [नि+क्षिप्] डालना। विरससीयलुवखणिजप्पपाणभोयणाई' (पएह (भगः प्रासू १७७)। २ नियम, अविनाभाव | निच्छुहइ (सुख ७,११)।
२, ५)। (राज)। ३ नय-विशेष, द्रव्याथिक नय, णिकछुणा स्त्री [निक्षेपणा] बाहर निकलने मिलक
णिज्जर सक [ निर् + जू] १ क्षय करना, वास्तविक पदार्थ को ही माननेवाला मत, की प्राज्ञा, निर्भत्सना (णाया १, १६ टो
नाश करना । २ कर्म-पुद्गलों को प्रात्मा से परिणाम-वाद (बृह ४, पंचा १३)। कहा पत्र २००)।
अलग करना । णिज्जरेइ, गिजरए, गिजरेंति स्त्री [कथा] अपवाद (निचू ५)। णिच्छूट वि [निक्षिन] १ उद्वृत्त, निर्गत
(भग, ठा ४, १)। भूका. रिएजरिसु, रिणज्जणिच्छल्ल सक [छिद्] छेदना, काटना । (हे ४, २५८)। २ फेंका हुआ, निक्षिप्त
रेंसु (पि ५७६, भग) । भवि. णिज्जरिस्संति पिच्छल्लइ (हे ४, १२४) । (प्रामा)। ३ निस्सारित, निष्कासित (णाया |
(टा ४, १)। वकृ. णिज्जरमाण (भग १८, णिच्छल्लिअ वि [छिन्न] काटा हुआ (कुमा; १,८-पत्र १४६ १, १६-पत्र १९६)।
३)। कवकृ. णिज्जरिजमाण (ठा १०० स २५८ गउड)।
णिच्छूट न [निष्ट थूत] थूक, खखार (विसे णिच्छाय वि [निश्छाय] कान्ति-रहित, | ५.१) । शोभा-हीन (पएह १, २)। णिच्छोड सक [निर + छोटय् ] १ बाहर
णिज्जरण न [निर्जरण] नीचे देखो (प्रौप)। णिच्छारय वि [निस्सारक] सार-रहित, निकलने के लिए धमकाना। २ निर्भर्त्सन
णिज्जरणा स्त्री [निर्जरणा] १ नाश, क्षय । 'निच्छारयछारयधूली' (श्रा २७)। करना। ३ छुड़वाना। णिच्छोडेइ, णिच्छोडेंति
२ कर्म-क्षय, कर्म-नाश । ३ जिससे कर्मों का णिच्छिड्ड वि [निश्छिद्र] छिद्र-रहित (णाया (णाया १,१६,१८)। णिच्छोडेजा (उवा)।
बिनाश हो ऐसा तप (नव १; सुर १४,६५)। १, ६, उप २११ टी)।
संकृ. णिश्छोडइत्ता (भग १५)। णिज्जरा स्त्री [निर्जरा] कर्म-क्षय, कर्म-विनाश गिच्छिण्ण वि [निच्छिन्न] पृथक्-कृत, अलग णिच्छोडग न [निश्छोटन] निर्भत्सन, बाहर (प्राचा; नव २४)। किया हुआ, काटा हुआ (विसे २७३)।। निकालने की धमकी (उव)।
णिज्जरिय वि [निर्जीर्ण] क्षीण, विनाशणिच्छिद्द देखो णिच्छिड्ड (स ३५०)।
णिच्छोडणा स्त्री [निश्छोटना] ऊपर देखो प्राप्त (तंदु)।
(णाया १, १६-पत्र १६६)। णिच्छिन्न देखो णिच्छिण्ण (पुप्फ ४६३;
णिजव वि [निर्याप] निर्वाह करानेवाला णिच्छोडिअ वि [निश्छोटित] सफा किया | महा)।
(पंचा १५, १४)। णिच्छिय वि [निश्चित निश्चित, निर्णीत,
हुप्रा (पिंड २७६)।
णिच्छोल सक [निर् + तक्ष ] छीलना, प्रसदिग्ध (णाया १, १; महा)।
णिज्जवग वि [निर्यापक १ निर्वाह करने
वाला । २ आराधक, आराधन करनेवाला छाल उतारना । निच्छोलेइ (निचू १)। वकृ. णिच्छीर वि [निःक्षीर] क्षीर रहित, दुग्ध
(ोघ २८ भा)। ३ पुं. जैनमुनि-विशेष, णिच्छोलंत (निचू १) । संकृ.निच्छोलिऊण वजित (पएण १)।
जो शिष्य के भारी प्रायश्चित्त का भी ऐसी (महा)। णिच्छुड वि [दे] निर्दय, करुणा-रहित (दे णिजातय वि [नियन्त्रित] नियमित, अंकुशित
तरह से विभाग कर दे कि जिससे वह उसे
निबाह सके (ठा ८ भग २५, ७) । ४, ३२)।
(सुर ३, ४)। णिच्छुट्ट वि [निश्छुटित] निमुक्त, छूटा णिजिण्ण देखो णिजिण्ण (ठा ४, १)।
| णिजवणा स्त्री [निर्यापना] १ निगमन, हुआ (सुर ६, ७२)। णिझुंज देखो णिउंज = नि + युज् । निमुंजइ
दशित अर्थ का प्रत्युच्चारण (विसे २६३२) । णिच्छुभ सक [नि + क्षिप्] १ बाहर (कुप्र ३४८) ।
२ हिंसा (पएह १, १)। निकालना। फेंकरना । णिच्छुभइ (भग)। णिजुद्ध देखो णिउद्ध (निचू १२)। णिज्जवय देखो णिज्जवग (मोघ २८ भा टी कर्म. रिणच्छब्भइ (पि ६६) । कवकृ. णिच्छु- णिजोजण न [नियोजन] नियुक्ति, कार्य में
द्र ४६)। भमाण विपा १,२)। सक.णिच्छुाभत्ता, लगाना, भारअर्पण (उप १७९ टो)। णिज्जविउ वि [निर्यापयितु] ऊपर देखो णिच्छुभिङ (भग; निर १, १)। प्रयो. णिजोजिय देखो णिओइय (उप १७६ टी)।
(पव ६४)। रिणच्छुभावेइ (णाया १,८)।
णिज वि [दे] सुप्त, सोया हुआ (दे ४, २५,णिज्जा अक [निर + या] बाहर निकालना। णिच्छुभ [[निक्षेप] निष्कासन (पिंड
णिज्जायंति (भग)। भवि. णिज्जाइस्सामि ३७५)। | णिज्जंत देखो णी = नी।
(औप)। वकृ. णिजायमाण (ठा ५, ३)।
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