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णेअब्ब-णेवच्छिय
पाइअसद्दमहण्णवो
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णेउआण ? देखो णी = नी।
णे
अव्व देखो णी = नी।
णेगुण्ण न [नैर्गुण्य] निगुणता, निःसारता णेमित्तिअ) विनैमित्तिक] १ निमित्तणेआइअ वि [नैयायिक, न्याय्य न्याय (भत्त १६३)।
मित्तिग । शास्त्र से संबन्ध रखनेवाला (सुर णेआउअ से अबाधित, न्यायानुगत, न्यायो- णेचइय पुं [नै चयिक ] धान्य प्रादि का
६, १७७)। २ कारणिक, निमित्त से होनेचित; 'णेप्राइअस्स मग्गस्स दुट्टे अवयरई बहुं' | थोकबन्द व्यापारी (वब ४)।
वाला, कारण से किया जाता, कदाचित्का (सम ५१; औपः परह २, १)।
णेच्छइअ वि [नैश्चयिक ] निश्चयनय- 'उववासो मित्तिगमो जनो भरिणयों (उप णेआउय । वि [ नेतृ] १ ले जानेवाला सम्मत, निरुपचरित, शुद्ध (विसे २८२)।। ६८३ उबर १०७)। ३ निमित्त शास्त्र का णेउ (सूत्र १, ८, ११)। २ प्रणेता, णेच्छंत वि [नेच्छत् ] नहीं चाहता हुआ
जानकार (सुर १, २३८)। ४ न. निमित्त रचयिता (सूम १, ६, ७)। (हेका ३०६)।
शास्त्र (ठा )। णेआवण न [नायन] अन्य-द्वारा नयन, णेच्छिय वि नैच्छित इच्छा का अविषय,
णेमी स्त्री [नेमी] चक्र-धारा (दे १, १०९) । पहुँचाना (उप ७४६)। अनभिलषित (जीव ३)।
जेम्म वि [दे. निभ] तुल्य, सदृश, समान णेआविअ वि नायित अन्य द्वारा ले जाया णेट्ठिअ वि [नैष्ठिक] पर्यन्त-वर्ती (पएह
(पएह २, ४-पन्न १३०)। गयाः पहुँचाया हुआ (स ४२; कुप्र २०७) ।
णेम्म देखो णेम = नेम (पएह १, ५–पत्र णेउ वि [ने] नेता, नायक (पउम १४, णेड देखो णिड्ड (कुमाः हे १, १०६)। ६२, सूत्र १, ३, १)। जेडाली स्त्री [दे] सिर का भूषण-विशेष
णेरइअ वि [नैरयिक] १ नरक-संबन्धी, नरक (दे ४,४३)।
में उत्पन्न (हे १,७६)। २ पुं. नरक का | जेड्ड देखो णिड्ड (हे २, ६६ प्राप्र षड् )।
जीव, नरक में उत्पन्न प्राणी (सम २, विपा णेउड्ढ पुं[दे] सद्भाव, शिष्टता (दे ४,
णेड्ढरिआ स्त्री [दे] भाद्रपद मास की शुक्ल णेरडअ वि नैऋतिक] नैऋत कोण, दक्षिण
दशमी का एक उत्सव (दे ४, ४५)। णेउण न [नैपुण] निपुणता, चतुराई (अभि
पश्चिम विदिशा (अणु २१५)। णेत्त पुन [नेत्र] नयन, अाँख, चक्षु (हे १, १३२)।
रई स्त्री नैऋती] दक्षिण और पश्चिम के णेउणिअ त्रि [नैपुणिक] १ निपुण, चतुर ३३ प्राचा)।
बीच की दिशा (सुपा ६८ ठा १०)। णेत्त पुं[नेत्र] वृक्ष-विशेष (सूत्र २,२,१८)। (ठा ६)। २ न. अनुप्रवाद-नामक पूर्व-ग्रन्य
णेरुत्त न [नरुक्त] १ व्युत्पत्ति के अनुसार की एक वस्तु (विसे २३६०)। णेद्दा देखो णिहा (पि १९२; नाट)।
प्रथं का वाचक शब्द (मरण)। २ वि. निरुक्त णेपाल देखो णेवाल (उप पृ ३६७)। णे उणिअ देखो णेउण्ण (दस ६, २, १३)।
शास्त्र का जानकार (विसे २४)। णेम स [नेम] १ अर्ध, प्राधा (प्रामा)।२ रुत्तिय वि नरुक्तिक] व्युत्पित्ति-निष्पन्न णेउण्ण न [नैपुण्य] निपुणता, चतुराई |
निपुणता, चतुराई न. मूल, जड़ (पएह १, ३, भग)। उन्न ।(दस ६, २० सुपा २६३)।
(विसे ३०३७)। णेम न [दे] कार्य, काज (राज)।
णेरुत्ती स्त्री [नरुक्ति] व्युत्पत्ति (विसे २१८२)। णेउर न [नूपुर स्त्री के पाँव का एक आभू
णेम पुन [दे] कार्य, काम, काज (पिंड ७०)। णेल वि [नैल] नील का विकार (भगः प्रौप)। पण, पायल (हे १, १२३ गा १८८)। णेउरिल्ल वि [ नूपुरवत् ] नूपुरवाला (पि
णेलंछण देखो णिहंछग (स ६६६)। णेम देखो जेम्म = दे (पएह २, ४ टी-पत्र
णेलच्छ पु[दे] नपुंसक, पंड (दे ४, ४४ १३३)। १२६; गउड)। णेमाल पुं. ब. [नेपाल] एक भारतीय देश,
पाया हे २, १७४) । २ वृपभ, बैल (दे णेत
नेपाल (पउम ६८, ६४)।
गेलय पुं[दे. नेलन] रुपया (पव १११) । णेत देखोणी = गम् ।
णेमि पुनेमि] १ स्वनाम-ख्यात एक जिनणेकंत देखो णिक्कत (गा ११)। देव, बाइसवें तीर्थकर (सम ४३; कप्प)।
लिच्छी स्त्री [दे] कूपतुला, डेकवा ( दे णेग देखो णेअ = नैक (कुमाः पएह १, ३)। २ चक्र की धारा (ठा ३, ३, सम ४३)। ३
४, ४४)। चक्र परिधि, चक्के का घेरा (जीव ३)। ४
णेलच्छ देखो णेलच्छ (पि ६६)।। णेगम पुं निगम] १ वस्तु के एक अंश को स्वीकारनेवाला पक्ष-विशेष, नय-विशेष (ठा
आचार्य हेमचन्द्र के मातुल-मामा का नाम |
| णेव देखो णेअ = नैव (उव; पि १७०) । ७)। २ वणिक . व्यापारीः 'जिणधम्म- (कुप्र २०। चद पु.चन्द्रJएक जना- वच्छ देखो णेवत्थ (से १२.६७. प्रति भाविएणं, न केवलं धम्मो घणामोवि। चार्य (सार्ध ६२)।
६ प्रौपः कुमाः पि २८०)।। नेगमप्रडहियसहसो, जेण कयो अप्पणो णेमित्त देखो णिमित्त (आवम)।
वच्छण न [दे] अवतारण, नीचे उतारना सरिसो' (श्रा २७)। ३ न. व्यापार का णेमित्ति वि [निमित्तिन् ] निमित-शास्त्र (दे ४, ४०)। स्थान (प्राचा २, १, २)।
का जानकार (सुर १, १४४ सुपा १५४)। । णेवच्छिय देखो वस्थिय (पि २८०)।
णेऊण) देखोणी = नी ।
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