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३८४ पाइअसद्दमण्णवो
णाइ-णाण णाइ (अप) देखो इव (कुमा)
भवनपति देवों की एक अवान्तर जाति (सम णागपरियावणिया स्त्री [नागपरियापनिका] णाइ (अप) नीचे देखो (भवि)।
६६) केसर पुं [केसर] पुष्प-प्रधान | एक जैन शास्त्र (णंदि २०२)। णाई देखो ण = न (हे २, १६०; उवा)।
वनस्पति-विशेष (राज)। ग्गह पु[ग्रह] णागर वि [नागर] १ नगर-सम्बन्धी। २
नाग देवता के प्रावेश से उत्पन्न ज्वर आदि णाइणी (अप) स्त्री [नागी] नागिन, सर्पिणी
नगर का निवासी, नागरिक (सुर ३, ६६; (जीव ३)M°जण्ण, जन्न पुं[यज्ञ] नाग महा)। (भवि)
पूजा, नाग देवता का उत्सव (णाया १; णागरिअ नागरिक नगर का रहनेवाला णाइत्त [दे] जहाज द्वारा व्यापार णाइत्तग) करनेवाला सौदागर (उप पृ १०१,
८)1 जुण पुं [र्जुन] एक स्वनाम- (रंभा)। उप ५६२)।
ख्यात जैत प्राचार्य (णंदि)। दंत [दन्त णागरिआ स्त्री [ नागरिका] नगर में णाइय वि [नादित] १ उक्त, कथित, खूटी (जीव ३) दत्त पुं[दत्त १ एक रहनेवाली स्त्री (महा)। पुकारा हुआ (णाया १,१ औप)। २ न. स्वनाम-ख्यात राज-पुत्र (ठा ३, ४; सुपा
णागरी स्त्री [नागरी] १ नगर में रहनेवाली आवाज, शब्द (णाया १, १)। ३ प्रतिशब्द, ५३५) । २ एक श्रेष्ठि-पुत्र (आक) पइ पुं
स्त्री। २ लिपि विशेष, हिन्दी लिपि (विसे प्रतिध्वनि (राय) ।
[पति नाग कुमार देवों का राजा, नागेन्द्र
। ४६४ टी) णाइल पुं[नागिल] १ स्वनाम-ख्यात एक (प्रौप) "पुर न [पुर] नगर-विशेष
णागिद पुं [नागेन्द्र] १ नाग देवों का इन्द्र । जैन मुनि (कप्प)। २ जैन मुनियों का एक (पउम २०, १०) बाण पुं[बाण]
२ शेषनाग (सुपा ७७; ६३६)। वंश (पउम ११८, ११७)। ३ एक श्रेष्ठी दिव्य अस्त्र-विशेष (जीव ३)4 भद्द पुं
णागिणी स्त्री [नागी] १ नागिन । २ एक (महानि ४)।
[भद्र] नाग द्वीप का अधिष्ठाता देव (सुज्ज
(तुष्ज वणिक-पुत्री (कुप्र ४०८)। णाइला स्त्री [नागिला] जैन मुनियों की
१६) भूय न [भूत जैन मुनियों का पशिसोपाल (राज णाइली एक शाखा (कप्प)।
एक कुल (कप्प) महाभद्द[महाभद्र] जागीस्त्री/नागी नागिन, सपिणी (प्राव ४)। णाइल्ल देखो णाइल (विचार ५३४) ।
नागद्वीप का एक अधिष्ठायक देव (सुज्ज १६)Mणागेंद देखो णागिंद (णाया १, ८)। णाइव वि [ज्ञातिमत् ] स्वजन-युक्त,
महावर पुं ["महावर नाग समुद्र का णागोद नागोद] एक समुद्र (सुज्ज १६) नातेदार (उत्त ४) अधिपति देव (सुज्ज १६; इक) "मित्त पुं|
णाड़ देखो णट्ट = नाश्च (णाया १, १ टीणाउ वि [ज्ञात ] जानकार, जाननेवाला [मित्र] स्वनाम-ख्यात एक जैन मुनि, जो | पत्र ४३)
आर्य महागिरि के शिष्य थे (कप्प)4 "रायणाज विनाटकीय नाटक-सम्बन्धी णाउडु पुं [दे] १ सद्भाव, सन्निष्ठा । २ पुं[ राज] नागकुमार देवों का स्वामी,
नाटक में भाग लेनेवाला पात्र (णाया १, अभिप्राय । ३ मनोरथ, वाम्छा (दें ४, ४७)M इन्द्र-विशेष (पउम ३, १४७)। रुक्ख पुं जाउल्ल वि [दे] गोमान्, जिसके पास अनेक [वृक्ष] वृक्ष-विशेष (ठा ८)Mलया स्त्री
णाडइणी स्त्री [नाटकिनी] १ नर्तकी, गैया हों (दे ४, २३)।
लता बल्ला-विशष, ताम्बूला लता (पएण नाचनेवाली स्त्री (बृह ३) गाउं ।
१) वर [°वर] १ श्रेष्ठ सर्प। २ णाऊण --देखो णा = ज्ञा -
णाडग। न [नाटक] १ नाटक, अभिनय,
उत्तम हाथी (ौप)। ३ नाग समुद्र काणाडया नाट्य-क्रिया (बृह १, सुपा १,३५६, पाऊणं अधिपति देव (सुज्ज १६) वल्ली स्त्री
सार्थ ६५)। २ रंग-शाला में खेलने में उपयुक्त णाग पुंन [नाक] स्वर्ग, देवलोक (उप ७१२) [°वल्ली] लता-विशेष (सरण) सिरी स्त्री
काव्य (हे ४, २७०) । णाग [नाग] १ सर्प, साँप (पउम ८,
["श्री] द्रौपदी के पूर्व जन्म का नाम (उप
णाडाल देखो णडाल (गउड)। १७८)। २ भवनपति देवों की एक प्रवान्तर
६४८ टो)" सुहुम न [सूक्ष्म] एक जाति, नाग-कुमार देव (मंदि)। ३ हस्ती,
णाडि स्त्री [नाडि] १ रज्जु, वरना। २
जैनेतर शास्त्र (अरण)4 °सेण पुं[सेन] हाथी (प्रौप)। ४ वृक्ष-विशेष (कप्प)। ५
नाड़ी, नस, सिरा (कुमा)। एक स्वनाम ख्यात गृहस्थ (प्रावम) हत्थि स्वनाम-ख्यात एक गृहस्थ (अंत ४)। ६ एक पुं[हस्तिन् ] एक प्राचीन जैन ऋषि
णाडी स्त्री [नाडी] ऊपर देखो (हे १, २०२)। प्रसिद्ध वंश । ७ नाग-वंश में उत्पन्न (राज)।
(रणदि)।
| णाडीअ पु[नाडीक] वनस्पति-विशेष (भग ८ एक जैन आचार्य (कम्प)। ६ स्वनाम
१०, ७) ख्यात एक द्वीप । १० एक समुद्र (सुज्ज १६)। णागणिय न [नाग्न्य नग्नता, नंगापन
णाण न [ज्ञान] ज्ञान, बोध, चैतन्य, बुद्धि ११ वक्षस्कार-पर्वत विशेष (ठा २, ३)। (सूअ १, ७)।
(भग ८, २. हे २,४२, कुमाः प्रासू २८)।१२ न. ज्योतिष-प्रसिद्ध एक स्थिर करण | णागदत्ता स्त्री [नागदत्ता] चौदहवें जिनदेव धर वि [°धर] ज्ञानी, जानकार, विद्वान् (विसे ३३५०)। कुमार पुं[कुमार] | की दीक्षा-शिविका (विचार १२९) । (सुपा ५०८)। "पवाय न [प्रवाद]
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