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पाइअसद्दमहण्णवो
णराच-वरंगय
णराच! पुन [नाराच १ लोहमय बाण। णलाडंतव वि [ललाटन्तप] ललाट को | नव योजन का परिमाणवाला (ठा ) णराअ२ संहनन-विशेष, शरीर की रचना तपानेवाला (कुमा)।
'णउइ, 'नउइ स्त्री [ नवति] संख्या-विशेष, का एक प्रकार (हे १,६७)। ३ छन्द-विशेष | णलिअन [दे] गृह, घर, मकान (दे ४, । निन्यानबे, ६९ (सम ६६, १००)। 'नज्य (पिंग)। २० षड्)
वि [नवत ९६ वाँ (पउम ६६, ७५)। णरायण [नारायण] श्रीकृष्ण, विष्णु | लिण न [नलिन] १ लगातार तेईस दिन का 'नवइ देखो णउइ (कम्म २, ३०) ।। (पिंग)।
। उपवास (संबोध ५८)। २ पुंन. एक देव- 'नवमिया स्त्री [नवमिका] जैन साधु का णरिंद पुं नरेन्द्र] १ राजा, नरेश (सम विमान (देवेन्द्र १३२) ।
व्रत-विशेष (सम ८८) । म वि [°म १५३; प्रासू १०७, कप्प)। २ गारुड़िक, णलिण न [नलिन] १ रक्त कमल (रायः नववा (उवा)।°मी स्त्री [ मी] तिथि-विशेषः सर्प के विष को उतारनेवाला (स २१६)। चंद १० पाप्र)। २ महाविदेह वर्ष का एक पक्ष का नववा दिवस (सम २६)1°मीपक्ख
कत न [कान्त] देव-विमान-विशेष (सम | विजय, प्रदेश-विशेष (ठा २, ३)। ३ पुं[मीपक्ष] आठवाँ दिन, अष्टमी (जं ३)। २२) पह पुं[पथ] राज-मार्ग, महापथ 'नलिनांग' को चौरासी लाख से गुणने पर जो णवकार देखो णमोकार (सट्टि १; चैत्य ३०; (पउम ७६, ८) । वसह पुं [वृषभ] श्रेष्ठ संख्या लब्ध हो वह (ठा २, ४, इक) । ४ सण)। राजा (उत्त ६)
देव-विमान विशेष (सम ३३; ३५)। ५ णवकारसी स्त्री [नमस्कारसहित] प्रत्याणरिंदुत्तरवडिसग न नरेन्द्रोत्तरावतंसक]
रुचक पर्वत का एक शिखर (दीव)कूड ख्यान-विशेष, व्रत-विशेष (संबोध ५७)। देव-विमान-विशेष (सम २२) ।
[ कूट] वक्षस्कार-पर्वत-विशेष (ठा २, णवख (प्रप ) वि [नव अनोखा, नूतन, नया णरीस [नरेश राजा, नरपतिः 'सो भर
३) गुम्म न [गुल्म] १ देव-विमान- (हे ४, ४२२)। स्त्रीःखी (हे ४, ४२०)। हद्धनरीसो होही पुरिसो न संदेहो' (सुर १२,
विशेष (सम ३५) । २ नृप-विशेष (ठा ८)। णवणीअ पुन [नवनीत] नयनू, मक्खन, मसका
३ अध्ययन-विशेष (प्राव ४) । ४ राजा (कप्प; औप; प्रामा); 'अणलहअोव्व नव८०)। णरीसर पुं [नरेश्वर राजा, नरपति (पजि
श्रेणिक का एक पुत्र (राज)। वई स्त्री णीयो' (पउम ११८, २३)। [वती] विदेह वर्ष का एक विजय, प्रदेश णवणीइया स्त्री [नवनीतिका] वनस्पति
विशेष (ठा २, ३)। णरुत्तम पु [ नरोत्तम ] श्रीकृष्ण (सिरि
- विशेष (पएण १) णलिणंग न [नलिनाङ्ग] संख्या-विशेष, पद्म णवपय न [नवपद] नमस्कार-मन्त्र (सिरि ४२)।
को चौरासी लाख से गुरणने पर जो संख्या | ५७६) णरुत्तम पुं[नरोत्तम] उत्तम पुरुष (पउम
लब्ध हो वह (ठा २, ४ इक)।
णवमालिया स्त्री [नवमालिका] पुष्प-प्रधान ४८, ७५)।
णलिणि । स्त्री [नलिनी] कमलिनी, पद्मिनी वनस्पति-विशेष, बसंती नेवारी, नेवार (कप्प) णरेंद देखो णरिंद (पि १५६ पिंग)।
णलिणी । (पायः गाया १,१)। गुम्म णवमिया स्त्री [नवमिका] १ रुचक पर्वत पर णरेसर देखो णरीसर (उप ७२८ टी; सुपा देखो णलिण-गुम्म (निर २, १; विसे) रहनेवाली एक दिक्कुमारी देवी (ठा ८)। ५५, ५६१)।
°वण न [वन] उद्यान-विशेष (गाया २) २ सत्पुरुष-नामक इन्द्र की एक अग्र-महिषी णल न [नड] तृण-विशेष, भीतर से पोला लिगोदग पुं [नलिनोदक] समुद्र-विशेष
(ठा ४, १)। ३ शक्रेन्द्र की एक पटरानी शराकार तृण (हे २, २०२; ठा ८) (दीव)
(ठा ८)
णवय देखो णव-ग (पंचा १७, ३०) ।। जल न [नल] १ ऊपर देखो (पएण १; उप मल्लय न दे] १ वृति विवर, बाड़ का छिद्र ।
णवय देखो णयय (णाया १, १७)। १०३१ टी; प्रासू ३३)। २ पुं. राजा राम
णवयार देखो णवकार (पंचा १: पि ३०६)। चन्द्र का एक सुभट (से ८,१८)। ३ वैश्रमण कर्दमित, कीचवाला (दे ४, ४६)
णवर सक [कथ ] कहना । कर्म. गवरिजइ का एक स्वनाम-ख्यात पुत्र (अंत ५)। णव देखो गम । णवइ (षड् ; हे ४, १५८
(प्राकृ.७७) कुब्बर, कूवर पुं[कूबर] १ दुर्लघपुर | २२६)।
णवर प्र. १ केवल, सिर्फ फक्त (हे २,१८७; का एक स्वनाम-ख्यात राजा (पउम १२, णव वि [नव] नया, नूतन, नवीन (गउड;
णवरं कुमाः षड् उवाः सुपा ८ जी २७ ७२) । २ वैश्रमण का एक पुत्र (प्रावम) प्रासू ७१) वहुया, बहू स्त्री [वधू]
गा १५) । २ अनन्तर, बाद में (हे २, १८८; "गिरि पु[गिरि] चण्डप्रद्योत राजा का नवोढ़ा, दुलहिन (हका ५१; सुर ३, ५२)। प्राप्र)। एक स्वनाम-ख्यात हाथी (महा)।
णव त्रि. ब. [नवन्] संख्या-विशेष, नव, वरंग । [नवरङ्ग, क] १ नूतन रंग, णलय न [दे] उशीर, खस का तृण (दे ४, (ठा ६)५°इ स्त्री [ति] संख्या-विशेष नब्बे, णवरंगय । नयाँ वर्ण (सुर ३, ५२)। २ १६७ पास)।
| ६० (सण)। ग न [क] नव का समुदाय छन्द-विशेष (पिंग)। ३ कौसुम्भ रंग का णलाड देखो गडाल (हे २, १२३; कुमा)। (द ३०)। जोयणिय वि [योजनिक] | वस्त्र (गउड गा २४१, सुर ३, ५२, पान)
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