________________
पाइअसहमणो
णाम न [नामन्] नाम, आख्या अभिधान (विपा ११ से २५) कम्म न ['कर्मन् ] कर्म-विशेष, विचित्र परिणाम का कारण-भूत कर्म (स ६७)। °धिज्ज, 'वेज्ज 'यन [व] नाम, माया (कव्य सम ७१; पउम ४,८०) पुरन [र] एक विद्याधर नगर (इक) मुद्दा स्त्री [मुद्रा ] नाम से अंकित मुद्रा (पउम ५, ३२) । | सच्च वि ['सत्य ] नाम मात्र से सच्चा, नामधारी (ठा १०) अ देखो 'धेय (पउम २०, १७६६ स्पप्न ४३) । णामण न [ नमन ] नमाना नीचा करना (विसे ३००८ ) 1 V
जाणता स्त्री [नानाता]] ऊपर देखो (विसे णाममंतक्ख पुं [दे] अपराध, गुनाह (गउड) । णामागोत न [नामगोत्र ] १ यथार्थं नाम । २१६१) २ न.म तथा गोत्र ( सुज १६ ) 1 णामियवि [नमित] नमाया हुआ (सार्थ a) 1
णामिय न [नामिक] वाचक शब्द, पद (विसे
णाणकणारइअ
जैन ग्रन्यांश-विशेष, पाँचवाँ पूर्वं (सम २६ ) । माया देखो यार (पडि) व, वंत वि [वत् ] ज्ञानी, विद्वान् ( पि ३४८ प्राचा ४९) विवि [ "वित् ] ज्ञान वेत्ता (चा) [चार] ज्ञान-विषयक शाक विधि (राज)वरण न [वरण] ज्ञान का आच्छादक कर्म ( धरण ४४ ) रणजन [वरणीय] अनन्तर उक्त अर्थ (सम ६६ श्रप)
णाणक न [दे] सिक्का, मुद्रा (मृच्छ १७ } राज )
णाणग
अन्तर
णाणत न [नानात्व] भेद, विशेष (घोप ६१८ ) ।
जुदा-जुदा बा हि वि["विध]
जाणा [नाना] भर १८ अनेक प्रकार का, विविध (जीव ३, सुर ४, २४५, दं १३) ।
[शान्]ि शानो जानकार, विद्वान्
(भाचाः उव) । -
णादिय देखो जाइय (कण) 1
नाभि पुं [नाभि ] १ स्वनाम ख्यात एक कुलकर पुरुष, भगवान् ऋषभदेव का पिता (सम १५० ) । २ पेट का मध्य भाग । ३ गाड़ी का एक अवयव (दस ७) नंदण पुं [नन्दन] भगवान् ऋषभदेव (पउम ४,६८ ) । णाम एक [नमय्] १ नमागा, भीचा
करना । २ उपस्थित करना। ३ अर्पण करना । गामेइ (हेका ४६ ) । वकृ. गामयंत (विले २०६०)। संह. णामिता (भित्र १) - णाम [नाम ] १ परिणाम, भाव (भग २५, ५) । २ नमन ( विसे २१७६)
णाम [नाम] संभावना सूचक अव्यय (सूम १, १२.३) ।
णाम अ [नाम ] इन अर्थों का सूचक अव्यय - संभावना ( से ५, ४) । २ श्रामन्त्रण संबोधन (बृह ३३ जं १ ) । ३ प्रसिद्धि, ख्याति (कप्प ) । ४ अनुज्ञा, अनुमति (विसे) । ५-६ वाक्यालंकार पाद-पूर्ति में भी इसका प्रयोग होता है (ठा ४, १ राज ) 1
४९
Jain Education International
[ न्याय] १ अक्षपाद - प्रणीत न्यायशास्त्र (सुख ३, १; धर्मवि ३८ ) । २ सामयिक श्रादि षट् कर्म (३१) - णाय [नाद] अनुनासिक वार अक्षर-विशेष (सिरि ११६ ) IV
वि [ न्याय्य ] न्याय-युक्त (सूत्र १, १३,
१००३) । V णामुक्कसि न [दे] कार्य, काम, काज णमोक्कसिअ ) (हे २, १७४; दे ४, २५) । गाय व [] भिमानी (४, २३) । जाय देखो णाग (काप्र ७७७ कप्पू श्रौपः गउड बजा १४; सुपा ६३६ पउम २१, ४९)
२१) धम्मा श्री ["धर्मकथा] जैन श्रागम-ग्रंथ - विशेष (सम १ ) ) णाय पुं [नाद] शब्द, श्रावाज, ध्वनि (प्रौप; णायग पुं [नायक ] हार के बीच की मि पउम २२, ३८ स २१३) । सुमेरु ( स ६८६ ) ।
६)
णाय पुं [ न्याय ] १ न्याय नीति ( प्रौपः स १५६६ श्राचा) । २ उपपत्ति, प्रमारण (पंचा ४; विसे)। कारिवि [कारिन्] न्याय - कर्त्ता ( १ ) गर वि [° कर ] १ न्यायकर्ता. न्यायाधीश (१४) । or वि ['ज्ञ] न्याय का जानकार (उप ३४६)
३८५
[नाक] स्वर्ग, देव-लोक (पास) 1 [ज्ञात] १ भगवान् महावीर (सूत्र १, २,२,३१) २ वि प्रसिद्ध (सूम १६.२१) णाय वि [ज्ञात ] १ जाना हुमा, विदित (उ सुर २, ३९ ) । २ ज्ञाति संबन्धी, सगा, एक बिरादरी का (कप्पः प्राउ ६) । ३ वंशविशेष में उत्पन्न ( श्रौप) । ४ पुं. वंशविशेष (ठा ६) । ५ क्षत्रिय - विशेष (सूत्र १, ६ कप्प ) । ६ न. उदाहरण, दृष्टान्त (उव; सुपा १२८ कुमार ['कुमार] ज्ञात- ' वंशीय राज - पुत्र (गाया १, ८) कुल न [कुल ] वंश - विशेष (परह १, ३) 'कुटचंद पुं [कुलचन्द्र ] भगवान् श्री महावीर ( याचा ) 1 कुलनंदण [ कुलनन्दन ] भगवान् श्री महावीर (पराह १०११। पुचपुं [पुत्र ] भगवान् श्री महावीर ( श्राचा) । V "मुणि ["मुनि] भगवान् श्री महावीर (पराह २.१ "विहि श्री ["विधि] माता या पिता के द्वारा संबन्ध, संबन्धिपन (वब ६) संडन [पण्ड] उद्यान-विशेष जहाँ भगवान् श्रीमहावीर देव ने दीक्षा ली थी ( श्राचा २, ३, १) ५ य पुं [सुत] भगवान श्रीमहावीर "सुप [ "भुत ] 'ज्ञाता कथा' नामक जैन आगम ग्रन्थ (गाया
For Personal & Private Use Only
णाय
tar [नायक ] नेता मुखिया, अयुधा ( उप ६४८ टी, कप्पः सम १३ सुपा २२ ) । पुं [दे] समुद्र मार्ग से व्यापार करनेवालावर वारा सुकरा श्रासि नाम नायत्ता' (उप ५६७ टी)। नायर देखो णागर (महा; सुपा १८८ ) । णायरिय देखो नागरिय (सुर १४, १३३ ) । fat (f) णायरी देखो नागरी (भवि) णायन्त्र देखो णा = ज्ञा ।
णार पुं [नार] चतुर्थं नरक- पृथिवी का एक प्रस्तर (इक)
णारइअ वि [नारकिक] १ नरक पृथिवी में उत्पन्न, नारकी । २ पुं. नरक का जीव (हे १,७६)
www.jainelibrary.org